Chandan Gupta Hatyakand: अदालत के फैसले को पीड़ित परिवार ने किया स्वीकार, माँ ने जलग्रहण कर तोड़ा उपवास

Chandan Gupta Hatyakand:चंदन गुप्ता हत्याकांड हत्याकांड में आज NIA कोर्ट में सभी 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट के फैसले आने से पहले चंदन गुप्ता की मां ने संगीता गुप्ता ने जल त्याग दिया था जब आज फैसला आया उस फैसले के बाद उन्होंने जल ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ा तथा फैसले को स्वीकार किया।

Report :  Ajay Chauhan
Update:2025-01-03 17:21 IST

Chandan Gupta mother her fast after NIA verdict (Photo: Social Media)

Chandan Gupta Hatyakand:  कासगंज जनपद में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान दंगे में एक युवक जिसकी गोली मार के हत्या कर दी थी। उस हत्याकांड में आज लखनऊ की NIA कोर्ट में चंदन हत्याकांड के सभी 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। कोर्ट के फैसले आने से पहले चंदन गुप्ता की मां ने संगीता गुप्ता ने जल त्याग दिया था जब आज फैसला आया उस फैसले के बाद उन्होंने जल ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ा तथा फैसले को स्वीकार किया। 


लखनऊ जेल में बंद 26 दोषी वसीम जावेद उर्फ वसीम, नसीम जावेद, मोहम्मद जाहिद कुरैशी उर्फ जाहिद उर्फ जग्गा ,आसिफ कुरेशी उर्फ हिटलर ,असलम कुरैशी, अकरम ,तौफीक , खिल्लन , शवाब अली खान, राहत ,सलमान ,मोहसिन, आसिफ जिमवाला, साकिब, बबलू, निशु उर्फ जीशान, वासिफ, इमरान, शमशाद ,जफर, साकिर ,खालिद परवेज ,फैजान ,इमरान ,साकिर, मोहम्मद आमिर रफी,व कासगंज जेल में बंद मुनाजिर और कोर्ट में सरेंडर हुए सलीम को सुनाई उम्रकैद की सज़ा।लखनऊ जेल से 26 दोषी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। वही एक दोषी मुनाजिर कासगंज जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ा।

कौन था चन्दन गुप्ता?

26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान गोली मारकर मौत के घाट उतार दिए जाने वाले चन्दन गुप्ता कासगंज नगर में एक साधारण परिवार का सदस्य था, उसके पिता सुशील गुप्ता कासगंज नगर स्थित आशा अस्पताल मे मेडिकल स्टोर को चलाकर घर का भरण पोषण करते रहे हैं, चन्दन की हत्या के बाद उसकी बहन कीर्ति को लगभग 6 माह के लिए संविदा पर ब्लॉक कार्यालय मैं लगाया गया पर बाद मैं उसे हटा दिया गया वही उसके भाई विवेक गुप्ता को सरकारी सस्ते गल्ले के राशन की दुकान आवंटित की गई है, चन्दन गुप्ता एबीवीपी का सदस्य था।

हत्या के पीछे नही थी कोई पुरानी रंजिश

चन्दन हत्याकांड के पीछे कोई पुरानी रंजिश नही थी उनके परिवार का किसी से भी कोई विवाद नही था, महज तिरंगा यात्रा के दौरान भारत माता की जय और वन्दे मातरम के नारों का जयघोष किया जा रहा था उसके और अन्य बाइक सवार साथियों के हाथ मे राष्ट्रीय प्रतीक तिरंगा झंडा ही था, किसी धर्मविशेष के नारों का यात्रा के दौरान उद्घोष नही हो रहा था।

परिवार की सरकार से मांग

सज़ा का ऐलान होने के बाद से परिवार अदालत के फैसले को स्वीकार करने के बाद अब सरकार की तरफ निगाहें लगाए हुए है कि सरकार के नुमाइंदों ने जो वायदे किये थे उन्हें कब पूरा किया जाएगा।।

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