बहराइच: कतर्निया घाट सैंक्चुरी में घड़ियालों और मगरमच्छों का नया कुनबा बसने को तैयार है। ये कुनबे गेरुआ नदी के टापू पर ३२ घोसलों में पल रहे हैं। भवनियापुर गांव के सामने और टावर समेत चार जगहों पर इनके घोसले ढूंढे गए हैं।
डेढ़ माह बाद नेस्ट से निकली नई जिंदगियों की शुरुआत होगी। वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए 5 टीमें गठित की हैं, जो इन पर 24 घंटे निगरानी रख रही हैं। BREEDING PLACE
यही है पसंदीदा जगह
-कतर्निया घाट रिजर्व फॉरेस्ट के बीच से बहने वाली नेपाल की गेरुआ नदी जलजीवों की पसंदीदा जगह मानी जाती है।
-यहां घड़ियाल, मगरमच्छ और डाल्फिन अपने कुनबे में ईजाफा करते हैं।
-यहां हर साल मार्च के अंत से अप्रैल के अंत तक घडिय़ाल और मगरमच्छ अंडे देते हैं।
-इन अंडों को नर और मादा नदी के टापू में नेस्ट बनाकर सहेजते हैं।
बनने लगे घोसले
-इस बार भी नेस्ट बनाने का सिलसिला मार्च में शुरू हुआ था जो अब तक चलरहा था।
-फॉरेस्ट कंजर्वेटर आशीष तिवारी ने बताया कि गेरुआ नदी में चार जगहों पर घडिय़ाल और मगरमच्छ के 32 नेस्ट पाए गए हैं।
-इनमें भरथापुर के करीब और पक्के टावर के सामने टापू पर मादा घडिय़ालों के 16 नेस्ट शामिल हैं।
-इसके अलावा बीट नंबर 6 और भवानीपुर घाट के पास टापू पर सैंडबार में भी कई नेस्ट पाए गए हैं।
एक घोसला 65 अंडे
-आशीष तिवारी ने बताया कि घड़ियाल और मगरमच्छ नेस्ट में अंडे सहेजते हैं जिनकी संक्या 55 से 65 तक होती है।
-इन अंडों से करीब 2000 नई जिंदगियां खुली हवा में सांस लेंगी।
-15 जून के आसपास घोसलों से निकले बच्चों को नदी में छोड़ दिया जाएगा।
आवाजाही पर पाबंदी
-डीएफओ ने बताया टापू पर आम लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई है।
-बैराज क्लोजर के चलते कभी कभी नदी सूख जाती है। ऐसे में लोग नदी के बीच से होकर गुजरते हैं।
-लोग टापू पर न पहुंचें और नेस्ट सुरक्षित रहें, इसके लिए 24 घंटे कॉंबिंग की जा रही है।
-टापुओं की ओर सैलानियों की बोट ले जाने और निजी बोटों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
-इनकी सुरक्षा के लिेए 5 टीमें लगातार गश्त कर रही हैं।
टैंक में रहेंगे सुरक्षित
-घडिय़ाल प्रजनन केंद्र में नन्हे घडिय़ालों को सुरक्षित करने की कवायद 2014 में शुरू हुई थी।
-इस बार भी जून में नेस्ट खुलने पर लगभग 500 नन्हे घडिय़ालों को टैंक में सुरक्षित पहुंचाने का प्रयास होगा।
-यहां से कुछ बच्चे कुकरैल भी भेजे जा सकते हैं।
मूवमेंट पर नजर
-फॉरेस्ट की टीमें मोटरबोट से गेरुआ नदी में गश्त करके टापू पर मादा घडियालों के मूवमेंट पर नजर रख रही हैं।
-नाविक रामरूप को विशेष रूप से नेस्ट पहचानने के लिए लगाया गया है।
-घड़ियालों और मगरमच्छों के घोसलों की गिनती जारी है। विभाग को अभी और घोसले मिलने की उमीद है।