Kaushambi के इस गांव में पगडंडियों के सहारे थी जिंदगी, अधिकारी और किसानों की पहल पर होगा 'उजाला'

इलाके के लोगों ने प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार देखी, लेकिन उन्हें अब तक आश्वासन ही मिला। एक अदद सड़क मयस्सर नहीं हुई।

Written By :  Ansh Mishra
Update:2022-06-20 20:49 IST

kaushambi manjhanpur tehsil village

Kaushambi News : आज़ादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां के लोगों को सड़क तक नसीब नहीं है। आज भी उन इलाकों के लोग पगडंडियों पर चलने को मजबूर हैं। सबसे बुरी हालत तो बरसात में हो जाती है, जब स्थानीय लोगों को कीचड़ होकर अपने गंतव्य तक जाना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं कौशाम्बी जिले के मंझनपुर तहसील क्षेत्र के पश्चिम शरीरा अंतर्गत पूरब शरीरा गांव  में नउनतारा की।

इस इलाके के लोगों ने प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार देखी, लेकिन उन्हें अब तक आश्वासन ही मिला। एक अदद सड़क मयस्सर नहीं हुई। सभी पार्टियों के जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को रास्ता बनाने को लेकर आश्वासन जरूर दिया, मगर कभी मूर्त रूप देने की दिशा में काम नहीं किया। 

दो किसानों ने जमीन दान दी 

जनप्रतिनिधियों के निराशाजनक व्यवहार और अनदेखी से आजिज इस इलाके के दो लोगों ने सड़क निर्माण को लेकर पहल की। इनके नाम हैं कमलेश गौतम और हरिओम पांडेय। इन दोनों ने अपनी जमीन रास्ते के लिए दान में दिया है। गांव के दो किसानों के जमीन दान देने से अब ग्रामीणों के आवागमन के लिए रास्ता बन जाएगा। दोनों किसानों को जमीन दान देने के लिए थानेदार भवानी सिंह और अधिशासी अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने सराहा। इन दोनों अधिकारियों ने ही पहल इस दिशा में की थी।

क्या है मामला?

मंझनपुर तहसील क्षेत्र के पश्चिम शरीरा अंतर्गत पूरब शरीरा गांव में नउनतारा के लोगों की जिंदगी आजादी के बाद से पगडंडी के भरोसे चल रही थी। पीढ़ी दर पीढ़ी बीत गई, लेकिन सड़क नहीं बनी। गांव के लोग बताते हैं बरसात में हालात नारकीय हो जाते हैं। ग्रामीण लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से रास्ते बनाए जाने की मांग कर रहे थे। लेकिन, कभी किसी ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया। समस्या दिनोंदिन गंभीर होती गई। जिसके मद्देनजर पश्चिम शरीरा थाना प्रभारी भवानी सिंह व अधिशासी अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने इसका हल निकालने की सोची।

आखिर हो ही गया समाधान 

गांव के दो किसान कमलेश गौतम और हरिओम पांडेय से उनके खेत से रास्ता दान में देने की अपील की। जिसे दोनों किसानों ने मान लिया। रास्ते के लिए जमीन दान में देने को वो तैयार हो गए। इससे ग्रामीणों के रास्ते की समस्या का समाधान हो गया।

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