खुशी डेथ केस: 4 दिन बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, पुलिस ने कही ये बात
खुशी की मौत के मामले में उसके पिता ने इलाज में लापरवाही का मुकदमा दर्ज कराया है। कौशांबी के पिपरी थाने में डॉ अंकित गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज है। आईजी रेंज केपी सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों में बिना सीएमओ रिपोर्ट के पुलिस कोई एक्शन नहीं ले सकती है।
प्रयागराज: प्राइवेट हॉस्पिटल यूनाइटेड मेडिसिटी (United Medicity) में सर्जरी के बाद तीन साल की मासूम बच्ची खुशी की मौत के मामले की जांच अब तक आगे नहीं बढ़ पाई है। मामले में मृतक बच्ची के पिता द्वारा केस दर्ज कराए जाने के चार दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। उधर, आईजी रेंज केपी सिंह का कहना है कि कार्रवाई को लेकर पुलिस के हाथ बंधे हुए हैं।
क्या है पुलिस का कहना?
आपको बता दें कि खुशी की मौत के मामले में उसके पिता ने इलाज में लापरवाही का मुकदमा दर्ज कराया है। कौशांबी के पिपरी थाने में डॉ अंकित गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज है। आईजी रेंज केपी सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों में बिना सीएमओ रिपोर्ट के पुलिस कोई एक्शन नहीं ले सकती है। उन्होंने कहा कि बीते तीन दिन से सीएमओ की जांच रिपोर्ट आने का इंतजार है। बताते चलें कि मामले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा डीएम प्रयागराज से 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई थी।
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जानें क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के करेली इलाके के रहने वाले ब्रह्मदीन मिश्रा की तीन साल की बेटी खुशी को पेट से संबंधित बीमारी थी। जिसके इलाज के लिए माता पिता ने खुशी को धूमनगंज के रावतपुर में एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल में कुछ दिन बाद बच्ची के पेट का ऑपरेशन किया गया और फिर दोबारा एक ऑपरेशन किया गया।
पिता का ये है आरोप
बच्ची के पिता का कहना है कि इस ऑपरेशन का डेढ़ लाख रुपये लेने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने पांच लाख रुपये मांगे। वहीं, जब पैसे नहीं दे पाए तो बच्चे सहित परिवार को बाहर भेज दिया गया और कहा कि अब इसका इलाज यहां पर नहीं हो पाएगा। पिता के मुताबिक, इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को लेकर कई हॉस्पिटल्स के चक्कर लगाए, लेकिन कहीं भी उसे एडमिट नहीं किया गया।
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सबने कहा कि बच्ची की हालत बहुत नाजुक है, वह अब नहीं बच पाएगी। बच्ची ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। मृतक बच्ची के पिता का आरोप है कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद सिलाई, टांका नहीं किया और परिवार को ऐसे ही सौंप दिया। इसी वजह से दूसरे अस्पतालों ने उसे भर्ती नहीं किया। बाद में इलाज के अभाव में बच्ची ने दम तोड़ दिया।
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