एसआरएस यादवः ये थे मुलायम के सहकारिता आंदोलन की धार, दी मजबूती
1967 में पहली बार विधायक बने मुलायम सिंह यादव की सहकारिता विभाग में सेवा करने वाले एसआरएस यादव से पहली मुलाकात लखनऊ आने पर ही हुई।
लखनऊ: 1967 में पहली बार विधायक बने मुलायम सिंह यादव की सहकारिता विभाग में सेवा करने वाले एसआरएस यादव से पहली मुलाकात लखनऊ आने पर ही हुई। सहकार भाव से भरे एसआरएस यादव को उसी समय मुलायम सिंह ने अपना साथी बना लिया और दोनों ने मिलकर प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने का संकल्प लिया। सहयोग और सहकार पर आधारित यह रिश्ता ही आगे चलकर सहकारिता राजनीति के वटवृक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी को मजबूत आधार प्रदान करता रहा। कोरोना काल में सपा के बाबूजी का साथ छूटने से हजारों समाजवादी कार्यकर्ता ठीक वैसा ही महसूस कर रहे हैं जैसे वटवृक्ष को किसी ने अचानक काट कर उन्हें आश्रयहीन कर दिया है।
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लखनऊ में हर रोज उनसे भेंट-मुलाकात करने वालों की लंबी लाइन रहती थी
पहली बार चुनाव जीत कर उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे मुलायम सिंह यादव की राजनीति के चर्चे पहले से ही लखनऊ में होने लगे थे। लखनऊ में हर रोज उनसे भेंट-मुलाकात करने वालों की लंबी लाइन रहती थी। ऐसे ही एक दिन उनकी मुलाकात सहकारिता विभाग की सेवा करने वाले एसआरएस यादव से हुई। समाजवादी आंदोलन में सहकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचान चुके मुलायम सिंह को एसआरएस यादव से बातचीत में महसूस हुआ कि वह उनके सहकार आंदोलन विचार को मजबूत आधार दे सकते हैं।
आने वाले दिनों में मुलायम सिंह यादव की राजनीति का मजबूत आधार भी सहकारिता की राजनीति ही बनी और वह अपने क्षेत्र के ऐसे दिग्गज नेता बन गए जिसकी इच्छा के बगैर सहकारिता की गाड़ी एक इंच भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं होती । समाजवादी पार्टी का गठन हुआ तो सहकारिता का यही मजबूत आधार उसे विरासत में मिला। इस आधार को तैयार करने में मुलायम सिंह यादव के साथ कदम से कदम मिलाकर पसीना बहाने वाले एसआरएस यादव भी पार्टी की राजनीति में अहम होते चले गए। बाद में सरकारी सेवा से मुक्ति लेकर वह पूरी तरह से समाजवादी संगठन के लिए समर्पित हो गए।
सपा के कार्यकाल में भी यह जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाई
सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास के कार्यकाल में उन्होंने पार्टी के संगठन का काम-काज संभाला तो कुछ ही सालों में पार्टी का सांगठनिक ढांचा ही निखरकर सामने आ गया। पार्टी में नेता और कार्यकर्ता के योगदान को परखने की आश्चर्यजनक प्रतिभा के धनी बाबू जी ने मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव के कार्यकाल में भी यह जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाई।
उन्होंने जब किसी को संगठन का कोई कार्य सौंपा तो उसमें आशानुरूप ही सफलता मिली। पार्टी के ऐसे सैंकड़ों नेता व कार्यकर्ता मिलेंगे जो बताएंगे कि उनके राजनीतिक जीवन को दिशा और आधार देने का काम बाबूजी ने किया है। समाजवादी सरकारों में मंत्री रहे नेता भी यह जानते थे कि एसआरएस यादव ही अकेले ऐसे शख्स हैं जो पार्टी के हर जिले के नेता व कार्यकर्ता के बारे में मामूली से मामूली बात की जानकारी रखते हैं।
बैंकुठ धाम पर पहुंचे सपाइयों ने दी अंतिम विदाई
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार की सुबह उनके निधन पर सबसे पहले श्रद्धांजलि दी। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि सपा के वरिष्ठ नेता, एमएलसी व पार्टी कार्यालय के प्रभारी एसआरएस यादव के कोरोना से हुए निधन पर सभी स्तब्ध हैं। प्रदेश ने आज एक समर्पित समाजवादी खो दिया है। उन्हें श्रद्धा सुमन अपिर्त करने के लिए बैंकुंठ धाम पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, डॉ राजपाल कश्यप, संतोष यादव सन्नी, विजय सिंह यादव, राम सागर यादव, विकास यादव, मणेंद्र मिश्रा मशाल, दिगग्विजिय सिंह देव, ब्रजेश यादव, रमेश प्रजापति, डॉ आशुतोष वर्मा, प्रदीप शर्मा, रणविजय सिंह, अमीक जामेई, किशन दीक्षित भी पहंचे।
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जूही सिंह के आवास पर श्रद्धांजलि सभा
समाजवादी पार्टी नेत्री जूही सिंह के गोमती नगर स्थित आवास पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर लोगों ने एसआरएस यादव के व्यक्तित्व व संगठन कार्य कुशलता की चर्चा की। लोगों ने कहा कि उनका व्यवहार पार्टी के बडे व छोटे सभी कार्यकर्ताओं के लिए एक जैसा था। वह समान भाव से लोगों के अच्छे कार्य की सराहना करते और गलती करने पर फटकार भी लगाते थे। पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रति उनका भाव सदैव अभिभावक का रहा है। शोक सभा में पूर्व आईएएस अखंड प्रताप सिंह, जूही सिंह मणेंद्र मिश्रा मशाल समेत कई लोग मौजूद रहे।
अखिलेश तिवारी
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