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नल की टोंटी पर तिलकः इस देवता की पूजा से शुरू होता है दिन, जानिये क्यों

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किए जा रहे ‘जल जीवन मिशन’ का उद्देश्य साल 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित रूप से और लंबे समय तक निर्धारित गुणवत्ता वाला पेयजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना है।

Shreya
Published on: 8 Sep 2020 10:16 AM GMT
नल की टोंटी पर तिलकः इस देवता की पूजा से शुरू होता है दिन, जानिये क्यों
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आदिवासियों के घरों में नल से पानी

भोपाल: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के कोलार गांव में रहने वाली मुन्नी देवी की सुबह आभार व्‍यक्‍त करने के साथ शुरू होता है। उनकी दिनचर्या में प्रार्थना का काफी महत्व है। वो सुबह अपने दिनचर्या की शुरूआत आभार व्यक्त करने के साथ करती हैं। वो हर सुबह ‘नल’ पर तिलक लगाने के साथ अपने दिन की शुरूआत करती है, जैसे ही वो नल पर तिलक लगाती है, उसका सिर कृतज्ञता व श्रद्धा भाव से झुक जाता है। आप सोच रहे होंगे कि कोई नल की पूजा क्यों करेगा।

दरअसल उसके लिए किसी भगवान की मूर्ति से कम नहीं है क्योंकि यह नल पवित्र नदी ‘सोन’ से पानी लाता है, जो उसके लिए छोटी गंगा की तरह है। इससे पहले वह धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक या दो साल में एक बार 150 किलोमीटर की यात्रा कर अमरकंटक (नदी का उद्गम) जाया करती थी, लेकिन अब शोधन के बाद उसी नदी के जल की आपूर्ति उसके घर पर नल कनेक्शन के माध्यम से की जाती है।

मध्य प्रदेश में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किए जा रहे ‘जल जीवन मिशन’ का उद्देश्य साल 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित रूप से और लंबे समय तक निर्धारित गुणवत्ता वाला पेयजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना है। केंद्र सरकार की ओर से राज्य के सभी ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए साल 2020-21 में मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए करीब 1,280 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

लाखों घरों को प्रदान किए गए नल कनेक्शन

राज्य में 1.21 करोड़ ग्रामीण घरों में से 13.52 लाख को नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं, जबकि राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 में 26.7 लाख घरों में नल का जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है। अब तक 5.5 लाख नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इससे पहले ग्रामीणों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत एक नलकूप और हैंड पंप थे, जो आमतौर पर गर्मियों के मौसम में सूख जाते थे, जिससे ग्रामीणों का जल संकट और भी गहरा जाता था।

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मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के कोलार गांव की निवासी मुन्नी देवी बताती हैं कि इस नल कनेक्शन से पहले मुझे पास के एक कुएं से पानी लाना पड़ता था और गर्मी के मौसम में मैं चिलचिलाती गर्मी में 1-2 किलोमीटर पैदल चलकर पीने का पानी लाती थी। मध्य प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन करने के कारणों में भीषण गर्मी और जल की कमी शामिल रहे हैं।

महिलाओं और लड़कियों के जीवन हुए प्रभावित

नल कनेक्शनों के अभाव ने इस क्षेत्र की कई महिलाओं और लड़कियों के जीवन को प्रभावित किया, जिससे उनका जीवन स्‍तर बेहतर नहीं हो पाया और स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वाली लड़कियों की संख्‍या काफी अधिक हो गई थी। कई बार तो पानी की कमी की समस्‍या इतनी अधिक गंभीर हो जाती थी कि ग्रामीण खुले में शौच का सहारा लेने पर विवश हो जाते थे, क्योंकि पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होता था।

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Jal Jevan MIssion

बहु-ग्राम ग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्यान्‍वयन

जल की कमी की समस्‍या के समाधान और एक टिकाऊ पेयजल योजना प्रदान करने के लिए एमपी जल निगम ने सतही जल स्रोतों के आधार पर एक बहु-ग्राम ग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्यान्‍वयन किया। मध्य प्रदेश जल निगम मर्यादित (एमपीजेएनएम) मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के मानपुर ब्लॉक के 19 गांवों को कवर करते हुए एक बहु-ग्राम जलापूर्ति योजना (एमवीएस) लागू कर रहा है। यह एमवीएस नल जल कनेक्शनों के माध्यम से 61,294 की अनुमानित आबादी को शोधित पेयजल प्रदान कर रही है।

मानपुर बहु-ग्राम ग्रामीण जलापूर्ति योजना दरअसल ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने वाली योजनाओं में से एक है। राज्य और देश में पहले से लागू ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम से मिली सीख और समीक्षाओं से यह महसूस किया गया है कि ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं की सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि ‘एमपीजेएनएम’ योजना कार्यान्वयन के प्रत्येक स्तर पर समुदाय को शामिल करने के लिए आवश्‍यक उपाय कर रहा है।

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समुदाय की भागीदारी के लिए एक संस्थान की आवश्यकता के रूप में ग्रामीण स्तर के एक संस्थान ‘ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्‍ल्‍यूएससी)’ का गठन किया जाता है जिसका उद्देश्य ’हितधारकों में स्वामित्व की भावना को व्यवस्थित करना, शामिल करना और विकसित करना है। वीडब्‍ल्‍यूएससी का गठन ग्राम सभा की बैठक में और ग्राम सभा की मंजूरी के बाद ग्रामीणों द्वारा किया जाता है।

एनजीओ के साझेदार से सरल हुई पूरी प्रक्रिया

एनजीओ के साझेदार ने पूरी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया। वीडब्‍ल्‍यूएससी के गठन के नियमों के अनुसार, वीडब्‍ल्‍यूएससी की संरचना में ग्रामीणों के सभी वर्गों की समान भागीदारी सुनिश्चित की गई जैसे कि 50% महिलाओं को भागीदारी दी गई, एससी/एसटी एवं हाशिए पर पड़े वर्गों को शामिल किया गया और ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया। वीडब्‍ल्‍यूएससी गांव के भीतर जलापूर्ति योजना के संचालन और रखरखाव के लिए एक अधिकृत निकाय बन गई है।

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आवश्‍यक सलाह भी दे रही वीडब्ल्यूएससी

गांव कोलार की वीडब्ल्यूएससी में इस समय 16 सदस्य हैं, जिनमें से 8 महिलाएं हैं। वीडब्ल्यूएससी आवश्‍यक सलाह भी दे रही है, समकक्ष दबाव डाल रही है और इसके साथ ही जल का दुरुपयोग करने वाले परिवारों के खिलाफ सांकेतिक कार्रवाई कर रही है। वीडब्ल्यूएससी कोलार अब तक 95 परिवारों से सिक्‍योरिटी एवं नए कनेक्शन प्रभार के रूप में 11,000 रुपये एकत्र कर चुकी है और इसके साथ ही इसने जल शुल्‍क के रूप में प्रति परिवार प्रति माह 80 रुपये एकत्र करना शुरू कर दिया है। अब मुन्नी देवी और अन्य महिलाओं को अपनी दुर्दशा एवं कठोर श्रम से मुक्ति मिल रही है।

संचालन और रखरखाव का पूरा ख्याल

जल जीवन मिशन ‘एक अहम मोड़ वाले पड़ाव’ तक पहुंच रहा है क्‍योंकि मध्य प्रदेश के इस आदिवासी गांव ने यह साबित कर दिखाया है कि स्थानीय समुदाय को जलापूर्ति का प्रबंधन करने के साथ-साथ गांवों के भीतर इसके संचालन और रखरखाव का पूरा ख्याल रखने का भरोसा स्‍वयं पर रहता है। इसका अन्य गांवों पर भी आगे आने और अपने-अपने जल संसाधनों के साथ-साथ लंबे समय तक जलापूर्ति का प्रबंधन करने के लिए स्‍पष्‍ट रूप से ठोस एवं अनुकरणीय प्रभाव पड़ेगा।

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स्थानीय समुदाय की महत्‍वपूर्ण भूमिका

सुदूर गांवों में हो रही यह मौन क्रांति प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावकारी प्रबंधन में स्थानीय समुदाय की महत्‍वपूर्ण भूमिका को बयां करती है। ‘जल जीवन मिशन’ सही मायनों में जमीनी स्तर पर अनुकूल एवं उत्तरदायी नेतृत्व विकसित करने में अत्‍यंत मददगार एवं सही साबित हो रहा है।

यह लोगों का वास्तविक सशक्ति‍करण है, जिसकी परिकल्पना जल जीवन मिशन के तहत की गई है। स्थानीय समुदाय को गांवों में जलापूर्ति योजनाओं के नियोजन, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव की जि‍म्मेदारी लेनी होगी, ताकि प्रत्येक ग्रामीण घर में नियमित रूप से और लंबे समय तक पेयजल की आपूर्ति हो सके।

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