मेरठ किठौर के विधायक सत्यवीर त्यागी, इनके फितरत में है आंदोलन
जनता के मुद्दे पर सड़क पर उतर कर आंदोलन सत्यवीर त्यागी की फितरत है। उनके इस जुझारू रवैये का ही कमाल रहा कि गत विधानसभा चुनाव में मेरठ जनपद की खरखौदा विधानसभा सीट से भाजपा केटिकट पर चुनाव लड़कर सत्यवीर त्यागी ने लगातार तीन बार से विधायक निर्वाचित होते आ रहे
सुशील कुमार
मेरठः जनता के मुद्दे पर सड़क पर उतर कर आंदोलन सत्यवीर त्यागी की फितरत है। उनके इस जुझारू रवैये का ही कमाल रहा कि गत विधानसभा चुनाव में मेरठ जनपद की खरखौदा विधानसभा सीट से भाजपा केटिकट पर चुनाव लड़कर सत्यवीर त्यागी ने लगातार तीन बार से विधायक निर्वाचित होते आ रहे सपा सरकार में केबिनेट मंत्री रहे शाहिद मंजूर को हरा कर राजनीतिक हलकों में तहलका मचा दिया था।
ये भी पढ़ें:पीएम मोदी की ताकत: स्वतंत्रता दिवस पर दुश्मन देशों ने भी दी बधाई, जताया आभार
हापुड़ के बझीलपुर गांव में 21 जुलाई 1953 को ब्राह्मण (त्यागी) परिवार में जन्मे सत्यवीर त्यागी के पिता जसवन्त सिंह त्यागी पेशे से शिक्षक थे। मां सुकर्मा देवी त्यागी घरेलू महिला थी।
कृषि और उद्योग व्यवसाय से जुड़े इंटर तक पढ़े सत्यवीर त्यागी ने अपने जुझारुपन के चलते जनता से जुड़े कई आंदोलनों में हिस्सा लिया है। तिहाड़ जेल दिल्ली, चौधरी चरणसिंह कारागार ,मेरठ तथा जिला कारागार लखनऊ में वर्ष 1984,1985,1986 में विभिन्न आंदोलनों में बन्दी रहे।
चरण सिंह व जनेश्वर मिश्र की छाप
छात्र जीवन से ही जुझारु रहे हैं। 1977 में युवा जनता दल के गाजियाबाद जनपद के उपाध्यक्ष बनकर राजनीति शुरु करने वाले सत्यवीर त्यागी लोकदल(बहुगुणा) के राष्ट्रीय महासचिव, समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव व राष्ट्रीय लोकदल के वेस्ट यूपी के प्रभारी एवं अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसान नेता चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे नेताओं के करीब रहे सत्यवीर त्यागी के ऊपर इन नेताओं की छाप साफतौर पर दिखाई भी देती है।
कमीशन नहीं लेते
यही नहीं इलाके में मशहूर है कि सत्यवीर त्यागी की विधायक निधि का टेंडर जल्दी कोई ठेकेदार नहीं लेता, क्योंकि वो सड़क, नाला, या कोई भी काम खुद खड़े होकर कराते हैं। कमीशन लेते नहीं और कमी होने पर ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कराने से भी चूकते नहीं हैं।
किठौर से भाजपा ने टिकट दिया
सत्यवीर त्यागी की क्षेत्र के विकास कार्यो के प्रति निष्ठा व ईमानदारी ही है कि भाजपा के एक राजनेता होने के बावजूद उनका सम्मान हर पार्टी और हर नेता करता है। सत्यवीर त्यागी के जुझारुपन और क्षेत्र में उनके प्रभाव को देखकर ही भाजपा नेतृत्व ने उन्हें मेरठ जनपद की जीत के हिसाब से सबसे कठिन सीट माने जाने वाली किठौर सीट से टिकट दिया था। सत्यवीर त्यागी ने भी जीत हासिल कर पार्टी नेतृत्व के अपने ऊपर किए गए विश्वास को टूटने नही दिया।
रात में भी फोन आ जाता है
ईमानदारी के साथ ही सभी धर्म और जातियों के लिए बराबर काम करने के कारण जनता तो उन्हें अपना सुपर हीरो मानती है। यह अलग बात है कि उनकी जनता से २४ घंटे जुड़े रहने की खूबी कई बार काफी भारी भी पड़ती है।
जैसाकि वह खुद कहते हैं, कई बार लोग देर रात जब मैं से रहा होता हूं। मुझे फोनकर अपनी समस्या बताने लगते हैं। बकौल सत्यवीर त्यागी,इससे कभी-कभी मुझे बेवख्त फोन करने वाले पर गुस्सा तो आता है।
लेकिन फिर यह सोचकर गुस्सा जल्दी ही शांत भी हो जाता है कि क्षेत्र की जनता उन्हें अपने ही परिवार से जुड़ा सदस्य मानती है तभी तो वह वक्त-बेवक्त अपना दुःखड़ा सुनाने में संकोच या किसी तरह का डर महसूस नही करती है।
ये भी पढ़ें:अरबपतियों की पार्टी: यहां खुलकर चलती अय्याशी, सिर्फ 15 मिनट में भाग रहा कोरोना
बात जरूर कराएं
सत्यवीर त्यागी कहते हैं,मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि जनता को मुझसे जो उम्मीदें वह टूटे नहीं। इसलिए बीमारी की अवस्था में भी मेरे अपने निजी स्टाफ को यह साफ और कड़े निर्देश रहते हैं कि अगर कोई बड़ी मुसीबत में है और अपनी परेशानी के समाधान के लिए मुझे से बात करना चाहता है तो उसकी बात जरुर कराई जाए।
गरीबों की मदद रूटीन कार्य
सर्दी के मौसम में हर साल क्षेत्र के गरीब तबके के लोंगो में कंबल वितरित, विधवाओं को मुफ्त साड़ी, सिलाई मशीन आदि वितरित कराना सत्यवीर त्यागी का रुटीन कार्य है। इस संवाददाता के साथ बातचीत में अपने क्षेत्र के विकास कार्यो को लेकर सत्यवीर त्यागी बेहद गंभीर दिखते हैं।
मेरठ से गढ़ वाया किठौर हाइवे पास
वे कहते हैं,क्षेत्र में मेरठ से गढ़ वाया किठौर हाईवे पास हो चुका है। बहुत जल्द काम शुरु होने वाला है। इसके अलावा नए सम्पर्क मार्गो का निर्माण,पक्के खंडजों,सरकारी स्कूलों की मरम्मत कराने के अलावा क्षेत्र के गांवों में दूषित पानी की समस्या के निराकरण के लिए जगह-जगह सरकारी प्रयास से टंकियां बनवाई जा रही है। सत्यवीर त्यागी के अनुसार क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम कराया जा चुका है और काफी अभी भी शेष है।
काली नदी का कायाकल्प का प्रयास
बकौल त्यागी,काली नदी के प्रदूषण से क्षेत्र के गांव प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए काली नदी का काया कल्प कराने का प्रयास कर रहा हूं। केंद्रऔर प्रदश सरकार से बात चल रही है।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट में काली नदी का काम होने जा रहा है। दूसरा काम माछरा में तहसील की स्थापना करना है। क्योंकि मेरठ और हापुड़ तहसील में मेरे क्षेत्र के गांव आते हैं।
दोनों ही तहसील दूर होने के कारण तहसील के कामों के लिए मेरे क्षेत्र के ग्रामीणों को काफी लंबा सफर तय करना पड़ता है। इसके कारण उनका समय और पैसा अधिक खर्च होता है।
फल मंडी व ओवरब्रिज प्राथमिकता
शाहजहांपुर में फल मंडी की स्थापना के साथ ही यहां ओवर ब्रिज का निर्माण कराना भी मेरी प्राथमिकता है। इसमें जल्दी ही हमें सफलता मिलने की उम्मीद भी है।
इसके अलावा नंगलामल में पर्यटन स्थल और खरखौदा में आयुष अस्पताल का प्रस्ताव है। भागदौड़ करके सरकार से आयुष अस्पताल के लिए मंजूरी ले भी है। उम्मीद हैकि जल्द ही यह काम शुरु हो जाएगा। यह पांच काम काम है,जिनकों मुझे पूरा करवाना है।
राजनीति में न आते तो खेती करते
संवाददाता के इस सवाल पर कि आप राजनीति में नही आते तो दूसरा क्या काम करते सत्यवीर त्यागी का तपाक से जवाब था- खेती करता। यानी करता तो जनता की सेवा ही। मसलन अब जनसेवक बन कर रहा हूं। तब किसान बनकर करता।
महंगे होते चुनावों पर सत्यवीर त्यागी चिंता जताते हुए इतना ही कहते हैं कि जल्दी ही इसका समाधान जनता और सरकार को तलाशना चाहिए।
जनता की अपेक्षायें जन प्रतिनिधियों से लगातार बढ़ती जा रही है। इससे आप कितनी दिक्कते महसूस करते हैं। इस सवाल पर गंभीर अंदाज में सत्यवीर त्यागी कहते हैं, हम विधायक बने ही जनता की सेवा करने और उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए हैं। इसलिए जनता की अपेक्षाओं पर तो सफल होना ही पड़ेगा।
अलबत्ता,दिक्कत तब आती है जब कोई अपने ही भाई-बहन,मां-बाप या बेटे सास-बहू के विवाद को लेकर सामने आते हैं। परिवार या पड़ोसियों के विवादों का निराकरण कराना बहुत परेशानी वाला होता है। क्योंकि इसमें हम दोंनो पक्षों को संतुष्ट नही कर सकते हैं।
एक पक्ष का नाराज होना स्वाभाविक होता है। इसलिए ऐसे मामलों में हमारी कोशिश आंमतौर पर दोंनो पक्षों का सम्मानजनक समझौता करने की होती है।
ये भी पढ़ें:मोदी की भौकाली कार: इससे लाल किले पहुंचे थे PM, बड़े से बड़े हथियार भी बेअसर
तंदुरुस्ती का राज
हमारे आखिरी इस सवाल पर कि इस उम्र में इतने फिट कैसे रह पाते हैं। सत्यवीर त्यागी ने तपाक से जवाब दिया 'मैं जनता के लिए जीता-मरता हूं। अब जिसके साथ जनता की दुआएं रहेंगी वह भला बूढ़ा व असहाय कैसे हो सकता है।
राजनीति में पिछले चार दशक से अधिक समय से सक्रिय सत्यवीर त्यागी का संघर्ष छात्र राजनीति से होता हुआ प्रदेश की राजनीति तक पहुंच गया। विधायक भी बन गये। बावजूद इसके सत्यवीर त्यागी ने अपनी मौलिकता नहीं छोड़ी।
वें कहते हैं,विपक्ष में भी मेरे लिए जनता से जुड़े मुद्दे अहम थे। और आज सत्ता पक्ष का विधायक होने पर भी मेरे लिए जनता से जुड़े मुद्दे अहम हैं। बहरहाल,उन्होंने यह साबित किया है कि राजनीति में शार्टकट बहुत दिनों तक नहीं टिकता है।
देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।