जानिए क्यों ​टूटा एल्गिन-चरसरी बांध, गोंडा के सैकड़ोंं गांवों में मचा है हाहाकार

Update:2016-08-09 18:53 IST

लखनऊः एल्गिन-चरसरी बांध कभी गलत डिजाइन पर बनने के कारण टूटा तो कभी बांध बचाव के उपाय न होने से। पिछले 6 वर्षों से इस बांध के साथ यही कहानी दोहराई जा रही है। अब एक बार फिर यह बांध टूटा है। इस बार बांध बचाव परियोजना शुरू करने के लिए धन न मिलने के कारण बताए जा रहे हैं। जिससे गोंडा के सैकड़ोंं गांवों में हाहाकार मचा है।

सिंचाई विभाग के स्थानीय इंजीनियरों के अनुसार उन लोगों ने बांध बचाव की परियोजना के लिए शासन से धन मांगा था। पर उसका आवंटन नहीं हुआ। जिससे बचाव के उपाय शुरू नहीं किए जा सके और परिणाम सबके सामने हैंं।

क्यों जरूरी थी बांध बचाव परियोजना

स्थानीय अभियंताओं का कहना है कि गोंडा और बाराबंकी की सीमा के समीप नकरही गांव के पास जहां बांध में कटान हुई है। उसके करीबन 10 किमी के पहले से ही नदी का प्रवाह बांध की तरफ बढ़ रहा था। इसको देखते हुए नदी में जगह-जगह ठोकर बनाए जाने की योजना बनी। ताकि बाढ़ के सीजन में बांध को कटान से बचाया जा सके। पर शासन से इसके लिए धन की मंजूरी ही नहीं मिल सकी।

वर्ष 2010 और 2011 में भी टूटा था यह बांध

- वर्ष 2010 और 2011 में लगातार दो वर्ष तक यह बांध टूटा, फिर भी बांध केे निर्माण मे गल्ती दोहराई गई।

-उस समय बांध का निर्माण इसके मूल डिजाइन (एलाइनमेंट) पर नही कराया गया था।

-जिससे मानसून के समय तटबंध संकरा साबित हुआ व पानी का दबाव नही झेल सका।

-यही इतिहास 2011 में भी दोहराया गया।

उस समय भी निर्माण के लिए धन का नहीं हो सका था आवंटन

जानकारों के अनुसार वर्ष 2010 और 2011 में कमीशनखोरी के चलते निर्माण कार्यो के लिए धन का आवंटन नहीं हो सका था। इस बार भी ऐसा ही हुआ और धन के अभाव में बांध बचाव परियोजना शुरू नहीं हो सकी।

—उस समय योजना से जुड़े रहे इंजीनियरों का कहना है कि तब उन पर एक बड़े इंजीनियर द्वारा एक विशेष कम्पनी के सैंड बैग का प्रावधान योजना मे रखने का दबाव डाला गया था।

—लेकिन यहां के बाढ़ बचाव कार्यो के लिए यह बैग उपयुक्त नही था।

—यह बात परियोजना के मुख्य अभियंता ने उन बड़े इंजीनियर को बतायी भी जो उन्हें नागवार लगी।

—इसकी वजह से तब एल्गिन चरसरी बांध के कार्यो के लिए धन का आवंटन नही किया गया।

—जिससे बाढ बचाव के कार्य समय रहते पूरे नही कराये जा सके। परिणामतः बांध टूट गया।

—बताया जा रहा है कि इस बार भी ठीक ऐसा ही हुआ।

—और समय से धन का आवंटन न होने के कारण बांध को नहीं बचाया जा सका।

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