विश्‍व दिव्‍यांग दिवस: ब्‍लाइंडनेस के बावजूद खेत गिरवी रख खेला जूडो, 'कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स' में मिला गोल्‍ड

जूडों के खेल में शत प्रतिशत ब्‍लाइंडनेस के बावजूद गोल्‍ड मेडल जीतना कोई आम बात नहीं है। लेकिन देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्‍बे में कुलदीप ने यह सपना सच कर दिखाया। इसके लिए उन्‍हें अपना खेत तक गिरवी रखना पड़ा लेकिन सब कुछ गिरवी रखकर वह ब्‍लाइंडनेस के बावजूद सात समंदर पार करके कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स तक पहुंचे और देश के लिए गोल्‍ड मेडल हासिल किया।

Update: 2017-12-03 11:17 GMT

लखनऊ: जूडों के खेल में शत प्रतिशत ब्‍लाइंडनेस के बावजूद गोल्‍ड मेडल जीतना कोई आम बात नहीं है। लेकिन देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्‍बे में कुलदीप ने यह सपना सच कर दिखाया। इसके लिए उन्‍हें अपना खेत तक गिरवी रखना पड़ा लेकिन सब कुछ गिरवी रखकर वह ब्‍लाइंडनेस के बावजूद सात समंदर पार करके कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स तक पहुंचे और देश के लिए गोल्‍ड मेडल हासिल किया।

सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने यूपी के बांदा के रहने वाले कुलदीप सिंह को इस अचीवमेंट के लिए सर्वश्रेष्‍ठ दिव्‍यांग खिलाड़ी के पुरस्‍कार से रविवार (3 नवंबर) को नवाजा।

8 साल से खेल रहे जूडो

कुलदीप सिंह ने बताया कि उन्‍हें बचपन से ही दिखाई नहीं देता है। जूडो के बारे में दोस्‍तों से बहुत कुछ सुना तो उसे खेलने का मन हुआ। 8 साल की उम्र से इस खेल को खेलने लगा। धीरे धीरे इसमें पारंगत हुआ तो दिल्‍ली पहुंचा। इस खेल से धीरे धीरे पहचान बनना शुरू हो गया।

देश के लिए गिरवी रखा खेत

कुलदीप सिंह ने बताया कि उन्‍हें पता चला कि विदेश में जाकर वह इस खेल से अपने देश का मान बढ़ा सकते हैं। इसके बाद उन्‍होंने पासपोर्ट के लिए अप्‍लाई किया। पासपोर्ट में लगने वाले खर्च के लिए अपना खेत 35 हजार रुपए में गिरवी रख दिया। इसके बाद जापान गए, वहां उन्‍हें एक प्रतियोगिता में हिस्‍सा लेने का मौका मिला। फिर वर्ष 2016 में पोर्ट एलिजाबेथ, साउथ अफ्रीका में नेल्‍सन मंडेला दिवस पर आयोजित कॉमनवेल्‍थ जूडो चैंपियनशिप प्रतियोगिता में गोल्‍ड मेडल जीता। इन्‍होंने दिव्‍यांग कैटेगरी में देश के प्रथम तीन जूडो खिलाडि़यों की लिस्‍ट में अपना स्‍थान बनाया हुआ है। इसके लिए इन्‍हें गवर्नर रामनाईक भी सम्‍मानित कर चुके हैं।

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