कुमार विश्वास का नेताओं पर निशाना, कविताओं के जरिए कह दी ये बात
महात्मा गांधी पीजी कॉलेज का दो दिवसीय स्वर्ण जयंती समारोह में पहुचे कवि डॉ. कुमार विश्वास ने गोरखपुर को प्रणाम किया, गुरु गोरक्षनाथ को नमन किया। प्रेम कवि के रूप में जहां कुमार विश्वास ने प्रेम से भरी रचनाएं सुनाई तो वही व्यंग बाण से भी राजनीतिक राजनेताओं भी अछूते नहीं रहे।
गोरखपुर: महात्मा गांधी पीजी कॉलेज का दो दिवसीय स्वर्ण जयंती समारोह में पहुंचे कवि डॉ. कुमार विश्वास ने गोरखपुर को प्रणाम किया। गुरु गोरक्षनाथ को नमन किया प्रेम कवि के रूप में जहां कुमार विश्वास ने प्रेम से भरी रचनाएं सुनाई तो वही व्यंग बाण से भी राजनीतिक राजनेताओं भी अछूते नहीं रहे। काव्य पाठ के दौरान सांसद रवि किशन भी मौजूद रहे। क्या कांग्रेस क्या आम आदमी और क्या भाजपा कुमार ने सब पर निशाना साधा तालियों की गड़गड़ाहट के बीच देशभक्ति की भी बात हुई।
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संविधान में सबको अपनी आवाज उठाने का हक है- कुमार विश्वास
सबसे ज्यादा वाहवाही कुमार विश्वास को कश्मीर पर सुनाई कविता मेरे कश्मीर मेरी जान मेरे प्यारे चमन को मिली कुमार ने मंच से राष्ट्रीयता पर बोलते हुए कहा कि संविधान में सबको अपनी आवाज उठाने का हक है। लेकिन जेएनयू में हमारे पैसे से पढ़ा एक व्यक्ति कैसे हजारों लोगों के सामने असम को भारत से काटने की बात करता है। कुमार ने कहा कि कैसे सामने बैठे लोगों का खून नहीं खौला, सामने बैठे आदमी यह क्यों नहीं कहते कि हम संविधान के अंतर्गत लड़ेंगे प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री से लड़ेंगे लेकिन भारत तोड़ने की बात करोगे तो तुझे यही तोड़ देंगे।
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अपनी गजलों से बांधा माहौल
दर्शकों की मौजूदगी में कुमार विश्वास ने सबसे पहले अपने लोकप्रिय कविता जवानी में कई गजलें अधूरी छूट जाती है कई ख्वाहिश तो दिल ही दिल में पूरी छूट जाती हैं। सुनाया तो माहौल बन गया इसके बाद कुमार रुके नहीं और कहा कि जख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं, दीप ऐसे बुझे की जले ही नहीं नहीं, व्यर्थ किस्मत पर रोने से क्या फायदा, समझ लेना कि हम तुम मिले ही नहीं। हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना, वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं। किसी के दिल की मायूसी जहां से होके।
अपनी कविताओं के जरिए नेताओं पर साधा निशाना
वहीं कवि विश्वास ने अपनी कविताओं के बहाने राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल पर कटाक्ष किया। राहुल गांधी के लिए कहा कि इस अधूरी कहानी का क्या फायदा। नरेंद्र मोदी के लिए कहा जिसमें धुलकर नजर भी न पावन बने, आंख में ऐसे पानी का क्या फायदा। फिर अरविंद केजरीवाल के लिए कहा कि बिन कथानक कहानी का क्या फायदा। कवि कुमार विश्वास ने तिरंगा कविता से काव्य पाठ का समापन किया।
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