कुंभ : 42 देशों के आदिम जाति, जनजाति एवं आदिवासी लीडर्स से मिला 32 देशों का डेलीगेट्स

 परमार्थ निकेतन शिविर अरैल क्षेत्र, सेक्टर 18 प्रयागराज में कौटिल्य फेलो प्रोग्राम, इण्डिया फाउण्डेशन के अन्तर्गत विश्व के 32 देशों के 80 से अधिक राजनायिक, अधिकारियों एवं विशेषज्ञ आये। उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदनन्द सरस्वती से भेंट की।

Update:2019-02-22 20:33 IST

आशीष पाण्डेय

कुम्भ नगर: परमार्थ निकेतन शिविर अरैल क्षेत्र, सेक्टर 18 प्रयागराज में कौटिल्य फेलो प्रोग्राम, इण्डिया फाउण्डेशन के अन्तर्गत विश्व के 32 देशों के 80 से अधिक राजनायिक, अधिकारियों एवं विशेषज्ञ आये। उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदनन्द सरस्वती से भेंट की। स्वामी जी महाराज ने भारतीय संस्कृति, संस्कार, अध्यात्म, वॉटर सैनिटेशन, हाइजीन, जलवायु परिवर्तन, नदियों और पर्यावरण संरक्षण जैसे वैश्विक समस्याओं पर चर्चा की।

राजनयिकों, अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने परमार्थ निकेतन शिविर में भ्रमण कर आश्रम की गतिविधियों के विषय में जानकारी प्राप्त की और देखा कि एक ओर वेद मंत्रों की ध्वनि के साथ यज्ञ, श्रीराम कथा, सत्संग हो रहा है वहीं पर दूसरी ओर लोग टॉयलेट कैफेटैरिया में बैठकर चाय कॉफी पी रहे हैं और आध्यात्मिक चर्चा के साथ स्वच्छता के विषयों पर भी वार्ता कर रहे हैं। उन्होने देखा की यह अनूठा संगम है जहां पर वैश्विक स्तर की समस्याओं का समाधान आध्यात्मिक आयोजन के माध्यम से आध्यात्मिक मंच से आध्यात्मिक गुरू कर रहे हैं यहां पर माला और नाला दोनों का चिन्तन साथ-साथ हो रहा है। एक ओर बात माला की हो रही है तो दूसरी ओर नाले की स्वच्छता पर भी हो रही है।

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वैदिक चर्चा के साथ भारत को खुले में शौच से मुक्त करने के लिये लोगों को टॉयलेट कैफेटेरिया के माध्यम से शौचालय के प्रयोग का संदेश दिया जा रहा है। इस परमार्थ निकेतन शिविर में वैदिक मंत्रों के साथ विश्व शान्ति हेतु हवन हो रहा है तो वहीं पर शहीदों को श्रद्धाजंलि एवं स्वस्थ्य लाभ की कामना भी की जा रही है। प्रतिदिन संगम आरती होती है और उसी मंच पर राष्ट्रगान गाया जा रहा है। यह सब देखकर कहा कि अद्भुत है भारत की संस्कृति। सभी राजनायिकों, अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने बाल विवाह को ना और शिक्षा को हां कैम्पेन के झण्डे पर हस्ताक्षर किये।

उन्होंने जाना कि वास्तव में भारत के पास सभी समस्याओं का हल है, भारतीय मूल्यों में सभी वैश्विक समस्याओं का समाधान सामहित है। राजनायिकों, अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने देखा कि परमार्थ शिविर में विश्व के विभिन्न देशों से लोग आकर रह रहे हैं, एक साथ सभी गतिविधियों में सहभाग कर रहे हैं, वास्तव में यह दृश्य वसुधैव कुटुम्बकम् को चरितार्थ कर रहा है। उन्होने कीवा फेस्टिवल की गतिविधियों का भी अवलोकन किया और जाना कि किस प्रकार आदिम जाति के लोग अपनी पूजा पद्धति के द्वारा जल, पर्यावरण और अन्य वैश्विक समस्याओं के लिये प्रार्थना करते है और दूसरों को भी जागरूक करते हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि प्रयागराज संगम केवल नदियों का ही संगम नहीं है बल्कि यह तो विश्व की विभिन्न संस्कृतियों और विश्व के विभिन्न लोगों का भी संगम है। इस पर्व के माध्यम से हम वैश्विक स्तर पर पर्यावरण, जल, प्रकृति के संरक्षण का संदेश प्रसारित कर रहे हैं।

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कौटिल्य फेलो प्रोग्राम, इण्डिया फाउण्डेशन के अन्तर्गत परमार्थ निकेतन शिविर आये राजनायिकों, अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन और संरक्षण में सम्पन्न होने वाली दिव्य संगम आरती में सहभाग कर जाना की यहां से किस प्रकार देवभक्ति के साथ देश भक्ति का संदेश प्रसारित किया जा रहा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने संगम आरती के पश्चात सभी राजनायिकों, अधिकारियों एवं विशेषज्ञों को पर्यावरण, जल और धरा को स्वच्छ रखने का संकल्प कराया और कहा कि हम सब मिलकर अपने- अपने टाईम, टैलेंट, टेनासिटी और टेक्नीक के आधार पर वैश्विक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। आईये मिलकर इस ओर कदम बढ़ायें और धरा को स्वच्छ, सुन्दर और हर-भरा बनाये।

 

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