Lord Buddha Place: जानिए वो ऐतिहासिक बौद्ध स्थल, जिसे फाइलों में गायब कर दिया गया...

Lord Buddha Place: महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में एक ऐसी जगह है, जहां भगवान बुद्ध ने वर्षाकालीन विश्राम किया था। इतिहास से जुड़े साक्ष्य मिलने के बावजूद इसकी दशकों से खंडहर जैसी हालत है। इसे विकसित किया गया होता, तो आज यह आस्था और पर्यटन का केंद्र बन सकता था।

Update: 2023-02-27 09:40 GMT

महात्मा बुद्ध का वर्षाकालीन विश्राम स्थल (फोटो: सोशल मीडिया)

Lord Buddha Place Kushinagar: इंवेस्टर्स समिट, पर्यटन से रोजगार को बढ़ावा, सरकार की तमाम प्लानिंग यूपी के विकास के मकसद को दिखाती हैं। लेकिन कभी-कभी कोई जिला प्रशासन ऐसे लक्ष्यों में बराबरी से कदमताल करता नजर नहीं आता है। ऐसा ही एक मामला महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में दिखाई देता है। जहां का एक ऐतिहासिक बौद्ध स्थल गुमनामी जैसी हालत में है और दशकों से जीर्णोद्धार का इंतजार कर रहा है। बौद्ध आस्था के केंद्र कुशीनगर में विश्व के 20 से ज्यादा देशों से श्रद्धालु आते हैं‌। भगवान बुद्ध की शरण को महसूस करते हैं। महात्मा बुद्ध की यह महापरिनिर्वाण स्थली आस्था और पर्यटन के लिहाज से देश के प्रमुख शहरों में शुमार है।

यहां के मशहूर बौद्ध स्थलों का उसी लिहाज से सुव्यवस्थित रखा भी जाता है। लेकिन आश्चर्य है कि इसी शहर में एक प्राचीन बौद्ध स्थल ऐसा भी है, जो दशकों से उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यहां खुदाई में अति प्राचीन कुषाण कालीन ईंटे मिलीं थीं। जिन्हें राजकीय संग्रहालय में रख दिया गया था, जिसके बाद इस ऐतिहासिक बौद्ध स्थल से मुंह मोड़ लिया गया। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोग आज भी इस खंडहरनुमा स्थल पर पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन दशकों से इसे विकसित करने के लिए किसी का ध्यान नहीं दिया है।

 महात्मा बुद्ध की प्राचीन स्थली

रामकोला विकासखंड मुख्यालय से लगभग तीन किमी दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 730 के किनारे पपउर गांव के दक्षिण में भगवान बुद्ध से संबंधित प्राचीन बौद्ध स्थल है। जो प्राचीन काल से पंपापुर के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थल पर प्राचीन काल में महात्मा बुद्ध वर्षाकालीन विश्राम किये थे। इस स्थल को पहचान दिलाने के लिए पूर्व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामनाथ के प्रयास बाद कुशीनगर जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी आर सैम्फिल ने खुदाई करवायी।

जर्जर हालात में वर्षाकालीन विश्राम

जिला प्रशासन ने जब वहां खुदाई कराई तो अति प्राचीन काल की ईंटें मिलीं, जिसे जांच के लिए लखनऊ भेजा गया। तत्कालीन जिलाधिकारी सैम्फिल ने इस बौद्ध स्थल पर एक चबूतरा बनवा कर संगमरमर की बौद्ध प्रतिमा रखवा दी। धीरे-धीरे लोगों के प्रयास से चबूतरे पर लिंटर्ड छज्जा हो गया। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोग यहां पूजा-अर्चना करने लगे। गुरु पूर्णिमा तथा महात्मा बुद्ध से संबंधित तिथियों पर बौद्ध मतावलंबियों की यहां भीड़ लगती है।

हर साल आती है जापान से महिला

वर्तमान में रामनाथ नाम के शख्स यहां प्रतिदिन पूजा करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि हर साल एक बार जापान की एक महिला यहां जरूर आती है और जितने भी लोग यहां मिलते हैं, उन्हें मिठाइयां बांटती है। उधर, चकबंदी में भी यह जमीन बौद्ध स्थल के नाम से अलग की गई है। फिर भी आज तक यहां विकास कार्य नहीं हो सके। बौद्ध स्थल की कुछ जमीन टीले के रूप में झाड़ियों से पटी हैं।

स्थल तक पहुंचने वाली रोड का हाल

बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोगों ने गत वर्ष स्थानीय विधायक रामानंद बौद्ध को बुलाकर वहां की यथास्थिति को दिखाया। उन्होंने स्थल का भ्रमण करने के उपरांत विश्व मानचित्र पर इसे पहचान दिलाने तथा अपने फंड से सुंदरीकरण कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कुछ नहीं हो सका। बौद्ध स्थल को जाने वाली सड़क की आरसीसी ढलाई पूर्व जिला पंचायत सदस्य फूल बदन कुशवाहा के द्वारा कराई गई, जबकि अभी तक इस स्थल की चारदीवारी तक नहीं बन पाई है।

सर्वे में मिल सकते हैं ऐतिहासिक तथ्य

साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने पंपापुर का जिक्र अपनी पुस्तक में किया था। इस स्थान की खुदाई से प्राप्त कुषाण कालीन ईंटों को कुशीनगर के राजकीय संग्रहालय में रखा गया है। आज भी यहां बगल में एक और टीला है जिसका सर्वे नहीं हुआ है। उसमें भी तमाम ऐतिहासिक साक्ष्य होने की संभावना है।

दुनियाभर में व्यापक रूप फैला है बौद्ध धर्म

दुनिया के करीब 20 देशों एवं गणराज्यों में बौद्ध धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं। इसके अलावा दुनिया के ज्यादातर देशों में इस धर्म को मानने वाले लोग हैं। एक अनुमान के मुताबिक विश्व में बौद्ध धर्म की जनसंख्या 150 करोड़ से ज्यादा है। लाओस, कम्बोडिया, भूटान, थाईलैण्ड, म्यानमार और श्रीलंका ये छह देश अधिकृत 'बौद्ध देश' हैं, क्योंकि इन देशों के संविधानों में बौद्ध धम्म को 'राजधर्म' या 'राष्ट्रधर्म' का दर्जा प्राप्त है।

क्या कहता है पूर्वांचल विकास बोर्ड

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य विजय विक्रम सिंह से जब न्यूज़ट्रैक ने बौद्ध स्थल की बदहाली के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि 'हमारी डबल इंजन की सरकार प्रदेश के विकास के लिए संकल्पित है। प्रदेश के ऐतिहासिक/धार्मिक और पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार और पर्यटन स्थल के रूप मे बड़े पैमाने पर विकसित किया जा रहा है। सरकार के मानक के अनुरूप कोई भी पौराणिक और धार्मिक स्थल विकसित होने से वंचित नहीं रहेगा।'

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