Kushinagar News: धर्म समधा देवी मंदिर में मुस्लिम महिलाओं ने किया पूजा पाठ, फोटो हो रहा है खूब वायरल
Kushinagar News: धर्मसमधा देवी का मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में है। जानकारों के अनुसार यह देवी राजा मल्ल राजा मदन पाल सिंह की कुलदेवी हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती हैं।
Kushinagar News: जनपद के रामकोला नगर के निकट धर्मसमधा देवी मंदिर में दो मुस्लिम महिलाओं ने पूजा अर्चना कर धर्म के ठेकेदारों को करारा जवाब दिया है। मुस्लिम महिलाओं के पूजा कर दिखा दिया कि सभी धर्मों के देवी देवता समान हैं। बस मानने के तरीके अलग अलग हैं। देवी मां के मंदिर में देवी का दर्शन करने वाली मुस्लिम औरतांे का फोटो खूब वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसकी खूब चर्चा कर रहे हैं।
क्या है यहां की मान्यता-
जनपद के रामकोला-पडरौना मार्ग पर स्थित प्रसिद्ध धर्मसमधा देवी का मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में है। जानकारों के अनुसार यह देवी राजा मल्ल राजा मदन पाल सिंह की कुलदेवी हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती हैं।
मंदिर की ऐतिहासिकता-
धर्मसमधा देवी मंदिर अति प्राचीन है। यहां के देवी मां की महिमा और ऐतिहासिकता के विषय में पुजारी ने बताते हैं कि धर्मसमधा देवी मां कुसम्ही के मल्ल गणराज्य के राजा मदन पाल सिंह की कुलदेवी हैं। एक बार की बात है कि रामकोला थाने पर एक दरोगा त्रिजुगी नारायण गश्त पर निकले थे तभी उन्होंने सोमल के किनारे एक सफेद वस्त्र धारी महिला को देखा। दरोगा ने उक्त महिला का पीछा किया, वह महिला भागते हुए धर्मसमधा नामक स्थान पर आयीं और एक खंडहर में अंतर्ध्यान हो गई। दरोगा जी काफी खोजबीन किए। शीघ्र ही उन्हें आभास हो गया कि वह श्वेता वस्त्र धारी महिला दिव्य शक्ति हैं। उन्होंने अपने सहकर्मियों के सहयोग से उस स्थल पर एक छोटा सा स्थान बनवा दिया। जिस पर बाद में एक छोटा सा मंदिर बना। धीरे-धीरे मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती गई और आज यहां पर एक भव्य मंदिर बन गया है।
सती माता का मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध-
धर्मसमधा देवी मंदिर के बगल में पोखरों के बीच में सती माता का भी एक मंदिर है। इस मंदिर का भी ऐतिहासिक महत्व है जो मल्ल राजा मदन पाल सिंह की पुत्री से जुड़ा हुआ है। राजा के दरबार की ज्योतिषाचार्यों ने राजा के पुत्री की कुंडली को देख कर बताया कि सुहागरात के समय इस कन्या के पति को बाघ मार देगा। राजा ने इसके लिए धर्मसमधा नामक स्थान पर पोखरों के बीच में एक महल बनवाया जहां पर उनकी पुत्री और दामाद सुहागरात का समय बिता सकें। राजा ने सोचा था कि तालाब पार कर बाघ तो आएगा नहीं। लेकिन विधि का विधान कोई नहीं टाल सकता है।
नाउन के उबटन की झिल्ली से बाघ बन गया और राजकुमारी के पति को मार डाला। राजकुमारी अपने पति के साथ चिता में सती हो गई। जो भी श्रद्धालु धर्मसमधा देवी मंदिर का दर्शन करने आते हैं वे अवश्य सती माता का दर्शन करते हैं। आज भी यह मंदिर दो तालाबों के बीच में विद्यमान है। धर्मसमधा देवी मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालु आते हैं। मंदिर वर्तमान में भव्य रूप में विद्यमान है। मंदिर की प्रसिद्धि दिन पर दिन बढ़ रही है। यहां प्रत्येक माह में देवी मां के समक्ष लड़के लड़कियों की शादियां होती हैं। शारदीय नवरात्र और चैत नवरात्र में काफी भीड़ होता है। मंदिर में दुर्गा माता का प्रतिमा व चरण पादुका है।