Kushinagar News: तुर्कपट्टी का गुप्तकालीन सूर्य मंदिर उपेक्षित, देवरिया सांसद के पार्लियामेंट में मांग से जगी उम्मीद

Kushinagar News: कुशीनगर जिला स्थित तुर्कपट्टी का सूर्य मंदिर प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है। हाल ही में देवरिया MP डॉ रमापति राम ने इस मुद्दे पर संसद में मांग रखी, तो उद्धार की उम्मीद जगी है।

Update: 2022-08-04 10:12 GMT

surya mandir turkpatti in kushinagar

Kushinagar News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कुशीनगर जिला (Kushinagar district) स्थित तुर्कपट्टी का सूर्य मंदिर (Surya Mandir Turkpatti) आज प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है। समुचित विकास और सुरक्षा के मुकम्मल इंतजाम नहीं होने से देश-विदेश से आने वाले सैलानी यहां से मुंह मोड़ने लगे हैं। यहां की प्रतिमा गुप्तकालीन नील पत्थरों से बनी है। यह मूर्ति अपने आप में अद्भुत है। अगर, सरकार इस गुप्तकालीन सूर्य मंदिर का विकास सही तरीके से करवाए, तो निश्चित ही इस क्षेत्र में पर्यटन को खासा बढ़ावा मिलेगा।

देवरिया के सांसद के मांग से जगी उम्मीद

तुर्कपट्टी महुअवा स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग देवरिया के सांसद डॉ रमापति राम (Deoria MP Dr Ramapati Ram) ने सदन में रखा। सांसद ने इस सूर्य मंदिर को 'स्वदेश दर्शन योजना' (Swadesh Darshan Scheme) से जोड़ने की बात भी कही। सांसद के इस पहल से अब लोगों में उम्मीद जगी है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है सांसद के इस प्रयास के बाद सूर्य मंदिर के दिन बहुरेंगे। आपको बता दें कि, तुर्कपट्टी इलाका देवरिया संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। दरअसल, स्थानीय लोगों ने इस प्राचीन सूर्य मंदिर के विकास की बात सांसद के समक्ष रखी थी। बीजेपी सांसद डॉ. त्रिपाठी ने सदन में मांग के संबंध में आवाज उठाई।


तुर्कपट्टी के सूर्य मंदिर की ऐतिहासिकता

कुशीनगर जिले का तुर्कपट्टी कसया से 16 किलोमीटर पूरब स्थित है। यहां महुअवा नामक जगह पर सूर्य मंदिर है, जो तुर्कपट्टी-फाजिलनगर मार्ग (Turkpatti-Fazilnagar Road) पर पड़ता है। लोगों के कथनानुसार, तुर्कपट्टी महुअवा खास गांव के रहने वाले सुदामा शर्मा को रात में स्वप्न आया कि, वह जिस जगह सोया है उसके नीचे भगवान सूर्य की मूर्ति है। सुदामा ने इस सपने पर ध्यान नहीं दिया। कुछ दिन बाद उसके परिवार के एक सदस्य की अकाल मृत्यु हो गई। इसके बाद सुदामा ने यह बात कुछ लोगों को बताई। 31 जुलाई 1981 को सूर्य ग्रहण लगा था। उसी दिन पूर्व ग्राम प्रधान मथुरा शाही के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सुदामा शर्मा के बताए गए स्थान पर खुदाई की थी। खुदाई में वहां से दो प्रतिमाएं मिलीं। इनमें से एक बलुई मिट्टी की थी तो दूसरी नीलमणि पत्थर की। तब इतिहासकारों ने इसे गुप्तकालीन बताया था।


अपने आप में अनोखी है भगवान सूर्य की प्रतिमा

तुर्कपट्टी में मिली भगवान सूर्य की मूर्ति अद्भुत है। पुराणों में वर्णित सूर्य की महिमा के अनुसार यह मूर्ति है। प्रतिमा में रथ में जुड़े सात घोड़े, सूर्य की रानियां और सारथी अरुण की छवि साफ दिखती है। इस, मूर्ति में राहु और केतु भी दिखते हैं। भगवान सूर्य के दोनों हाथों में कमल है। साथ ही किन्नर और गंधर्व सूर्य का गुणगान करते दिखते हैं।

नहीं है सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम  

वर्ष 1998 की एक रात यहां से नीलमणि पत्थर वाले भगवान सूर्य की मूर्ति चोरी हो गई थी। काफी प्रयास के बाद मूर्ति तो मिली लेकिन उसके बाद भी सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया। कुछ दिन तक दो सिपाही तैनात रहते रहे।

सुविधाओं की है भारी कमी

तुर्क पट्टी स्थित सूर्य मंदिर में सुविधाओं की भी भारी कमी है। संसाधन के अभाव और देख-रेख की कमी वजह से यह प्राचीन मंदिर खस्ताहाल है। विधायक निधि से मंदिर परिसर में बना फव्वारा कई सालों से बंद पड़ा है। विश्राम गृह भी देखभाल के अभाव में रहने योग्य नहीं रह गया। आवागमन का कोई सरकारी साधन नहीं है।

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