Arvind Giri का शव देख फफक पड़े MLA रोमी साहनी, सिर पकड़ जमीन पर बैठ गए, लोगों ने संभाला

Arvind Giri Funeral : पनिया विधानसभा सीट बीजेपी एमएलए रोमी साहनी और अरविंद गिरी अच्छे मित्र रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र भले ही दोनों की अलग-अलग रही हो, मगर निवास गोला ही रहा।

Report :  Sharad Awasthi
Update: 2022-09-07 06:34 GMT

Arvind Giri का शव देख फफक पड़े MLA रोमी साहनी

Arvind Giri Funeral : लखीमपुर खीरी जिले में गोला गोकरण नाथ से विधायक अरविंद गिरी की हार्ट अटैक से मौत (UP BJP MLA Arvind Giri Dies  Of Heart Attack) हो गई। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके दोस्त और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से विधायक रोमी साहनी (Romi Sawhney) उनके आवास अंतिम दर्शन को पहुंचे। जहां उन्हें देखकर वह फफक-फफक कर रो पड़े। उनका रोना देखकर वहां खड़े हर शख्स की आंखों में आंसू आ गए। रूमी साहनी इतने भावुक हो गए कि वह उनके पार्थिव शरीर शरीर के पास बैठ काफी देर तक रोते रहे। 

आपको बता दें कि, पनिया विधानसभा सीट बीजेपी एमएलए रोमी साहनी और अरविंद गिरी अच्छे मित्र रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र भले ही दोनों की अलग-अलग रही हो, मगर निवास गोला ही रहा। दोनों विधायकों की नजदीकियां तब और ज्यादा बढ़ी जब 2017 में भाजपा में आए। भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों विधायक कई बार साथ देखे गए। 

दल-बदलने की अटकलों को बताया था अफवाह

हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी बदलने जैसी संभावनाओं का दोनों विधायकों ने खंडन किया था। मीडिया के सामने साथ मिलकर आए थे। तब विधायक रोमी साहनी ने अटकलों का खंडन करते हुए कहा था, कि वह बीजेपी के साथ हैं और रहेंगे। जिन विरोधियों ने क्षेत्र में जाकर कुछ किया नहीं है और उनके पास कुछ कहने को नहीं है वो ऐसे ही अफवाह फैला रहे हैं। भाजपा की 2022 में जीत पक्की है। इसी दौरान गोला के विधायक अरविंद गिरी ने भी दल बदलने की बातों को ख़ारिज किया था। 


दोनों की 30 साल पुरानी दोस्ती, अब टूट गयी 

स्थानीय लोगों और उनके परिचितों के मुताबिक, विधायक रोमी साहनी और विधायक अरविंद गिरी की दोस्ती लगभग 30 साल पुरानी थी। अरविंद गिरी पहले सपा से विधायक रहे। उसके बाद 2012 में कांग्रेस में आए। साल 2014 में उन्होंने बसपा का दामन थामा। मगर, चुनाव लड़े 2017 में वह भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर। फिर, चौथी बार विधायक बने। वहीं, 2022 में वह भाजपा से दोबारा चुनाव लड़े। इस बीच राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बाद भी दोनों की दोस्ती कायम रही। मगर अरविंद गिरी की मौत के साथ ही ये दोस्ती भी टूट गई। 

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