दुर्भाग्य है ! जिन्हें सच में जरुरत है, उनके किसी काम नहीं आने वाली 'योगी' की कर्ज माफ़ी
लखनऊ : यूपी की पहली कैबिनेट मीटिंग का इंतजार सभी को था, सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार अपनी पहली बहुप्रतीक्षित कैबिनेट मीटिंग में प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों का एक लाख तक का कर्ज माफ कर दिया, और इसके साथ ही 120 लाख टन गेहूं खरीद की भी घोषणा की। अधिकतर ने इसे सराहा लेकिन जमीनी हकीकत ये है, कि सूबे के काफी किसान ऐसे भी हैं जिन्हें इससे कोई लाभ नहीं मिलने वाला जबकि वो ज्यादा जरूरतमंद है।
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आकड़ों पर नजर डालें तो जनगणना 2011 के मुताबिक यूपी में 2,60,15,544 परिवार ऐसे हैं जो गांव में रहते हैं। वहीं राज्य में कुल 75704755.44 एकड़ जमीन है। इसमें से 1,43,65,328 परिवार ऐसे हैं, जो जमीन के मालिक हैं। इसके मुताबिक 55.22 फीसदी गांव वालों के पास ही भूमि है। जबकि राज्य के 11649123 गांव वाले ऐसे हैं जो भूमिहीन हैं। यानी 44.78 फीसदी।
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इस हिसाब से सीएम योगी कि कर्जमाफी से इन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला। जबकि ये वो लोग हैं जो किसी और की जमीन पर खेती करते हैं। इन्हें कोई बैंक लोन नहीं देता, ये सेठ साहूकारों से ब्याज लेकर खेती करते हैं। और इनके बच्चे और कभी-कभी तो नाती पोते तक कर्जा चुकाते रहते हैं। इन्हें इस कर्ज माफ़ी से कोई फायदा नहीं मिलने वाला।
सरकारी आकड़ों के मुताबिक यूपी सरकार ने 94 लाख छोटे और सीमांत किसानों का 36,359 करोड़ कर्ज माफ किया है। इसमें 5630 करोड़ वो भी शामिल हैं, जिन्हें 7 लाख किसानों ने लिया था, और बैंक भी नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर चुके थे। कैबिनेट ने 31 मार्च 2016 तक 86.68 लाख छोटे और सीमांत किसानों द्वारा लिए गए 30,729 करोड़ के फसली कर्ज को माफ किया है। इसके साथ ही प्रति किसान एक लाख तक का कर्जा माफ़ किया गया है।
हमारे देश के कानून के मुताबिक देश में 1 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को सीमांत किसान और जिनके पास 1 से 2 एकड़ जमीन है। वो छोटे किसान माने जाते हैं। सरकारी आकड़ों की बात करें तो यूपी में 2.30 करोड़ किसान हैं। जबकि इनमें से 1.85 करोड़ सीमांत हैं और 0.30 करोड़ छोटे किसान हैं।
19,39,617 परिवारों के पास 50 हजार या अधिक वाला किसान क्रेडिट कार्ड है। जो होता है 7.46 फीसदी। इससे पता चलता है कि बैंक से कर्जा तो न के बराबर किसान लेते हैं।
राज्य में यदि सही मायने में देखा जाए तो मदद की ज़रूरत बंटाई पर खेती करने वाले किसान को है। लेकिन इनके पास कोई मालिकाना हक नहीं होता। तो इन्हें कोई बैंक लोन नहीं देता, और न ही कोई सब्सिडी ही मिलती है। जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं वो कर्ज में डूबे तो हैं लेकिन सेठ-साहूकारों के जिन्होंने उनकी सासें तक गिरवी रख ली हैं। इनके कर्ज देने के तरीके से सभी वाकिफ हैं, लेकिन मज़बूरी में जाना इनके पास ही होता है और ये कर्ज पुश्तों तक चलता रहता है।
योगी ने कर्ज माफ़ कर दिया है अच्छी बात है ।लेकिन इसका फायदा उनको ही मिलेगा जो जमीनों के मालिक है ,ना कि बटाई पर किसानी करने वालों को।
अक्सर देखने को मिलता है कि ज़मीन मालिक बैंक से लोन लेकर अपने घर बनवाते हैं । गाडी खरीदते हैं या कहीं और खर्च करते हैं इसके बाद इनका लोन माफ़ हो जाता है ।लेकिन भूमिहीन बटाईदार किसान उसके बारे में कोई नहीं सोचता आखिर असली किसान तो वही है ।बाकी जिनके पास जमीने हैं वो तो इन्हें जमीन देकर फसल का आधा भी रखते हैं और कर्ज माफ़ी का जश्न भी मनाते हैं।