जानिए क्यों ! अब अपराधियों के लिए आरामगाह नहीं बन सकेंगी यूपी की जेल
जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था पर बड़े सवाल उठने के बाद खतरनाक अपराधियों पर नकेल कसने के लिए कई बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश के अलग-अलग कोने की पांच जेलों को चिन्हित किया जायेगा, जहां चप्पे-चप्पे पर कड़े पहरा होगा। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के नेतृत्व में जेल सुरक्षा के लिए गठित कमेटी की सिफारिशों का भी अध्ययन किया जा रहा है।
लखनऊ : जेलों में आये दिन होने वाली सुरक्षा में चूक, बवाल और मोबाइल फोन के इस्तेमाल से लेकर होने वाली दावतों की खबरों से खराब हुई जेल प्रशासन की छवि को सुधारने के लिए अब प्रदेश की पांच जेलों को अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस कर वहां कुख्यात अपराधियों को अभेद सुरक्षा में रखे जाने की तैयारी है।
तिहाड़ जेल की तर्ज पर इन जेलों में तीन स्तरीय चेकिंग व्यवस्था होगी। कारागार मुख्यालय स्तर पर हुई इस कवायद के बाद अब जल्द ही इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जायेगा।
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जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था पर बड़े सवाल उठने के बाद खतरनाक अपराधियों पर नकेल कसने के लिए कई बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश के अलग-अलग कोने की पांच जेलों को चिन्हित किया जायेगा, जहां चप्पे-चप्पे पर कड़े पहरा होगा। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के नेतृत्व में जेल सुरक्षा के लिए गठित कमेटी की सिफारिशों का भी अध्ययन किया जा रहा है।
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सूबे की जेलों में एक लाख से अधिक बंदी निरुद्ध हैं, जो क्षमता से करीब डेढ़ गुना अधिक हैं। ऐसे में सभी जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था को एक साथ पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। लिहाजा पांच जेलों को चिह्नित कर वहां फाइव-जी क्षमता वाले जैमर से लेकर अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे व अन्य सुरक्षा उपकरण लगाये जाने की तैयारी है। इनमे हाई सिक्योरिटी बैरकों का भी निर्माण होगा।
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ताकि कुख्यात अपराधियों व सिद्धदोष बंदियों को इन जेलों में रखा जा सके और उनकी मुख्यालय स्तर से इलेक्ट्रानिक मानीटरिंग भी की जा सके। जेलों में मोबाइल का प्रयोग करने से लेकर अनुशासनहीनता के अन्य मामलों में पकड़े जा चुके बंदियों को भी सूचीबद्ध कर इन अभेद सुरक्षा वाली जेलों में ही रखे जाने की भी तैयारी है।
बीते दिनों सूबे की 17 जेलों में चेकिंग के लिए पीएसी तैनात किये जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। समझा जाता है कि चिह्नित जेलों के बाहरी हिस्से में चेकिंग की पूरी व्यवस्था पीएसी के हवाले होगी।
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डीजी जेल आनन्द कुमार का कहना है कि जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर होमवर्क किया जा रहा है। दुर्दांत अपराधियों को हाई सिक्योरिटी जेलों में बंद करने पर भी विचार चल रहा है। सामान्य बंदियों की दिक्कतों का भी अध्ययन कराया जा रहा है।