मजदूरों के केंद्रीय संगठनों के 22 मई को देशव्यापी विरोध को वामदलों का समर्थन

वामपंथी दलों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण अनेकों तरह की मुश्किलें झेल रही जनता के ऊपर केंद्र की भाजपा सरकार लगातार हमले कर रही है। मजदूरों और किसानों के हितों के विरुद्ध लाक डाउन के दौरान सरकार द्वारा लगातार फैसले लिए जा रहे हैं।

Update:2020-05-20 18:35 IST

लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण देश में लम्बे समय से चल रहे लाकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के खिलाफ मजदूरों के केंद्रीय संगठनों द्वारा आगामी 22 मई को आयोजित देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन को वामपंथी दलों ने अपना समर्थन देने का फैसला लिया है।

वामपंथी दलों ने ट्रेड यूनियनों के विरोध दिवस का पूर्ण समर्थन करते हुए इसे सफल बनाने के लिए अपनी अपनी इकाइयों का आवाहन किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा माले और फॉरवर्ड ब्लॉक ने अपनी-अपनी जिला इकाइयों से अपील की है कि लाक डाउन के नियमों का ध्यान रखते हुए जहां जैसे भी संभव हो सरकार के घोर किसान मजदूर तथा आम जनता विरोधी रवैयें के विरोध में आयोजित कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए काम करें।

मजदूरों और किसानों के हितों के विरुद्ध लाक डाउन

वामपंथी दलों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण अनेकों तरह की मुश्किलें झेल रही जनता के ऊपर केंद्र की भाजपा सरकार लगातार हमले कर रही है। मजदूरों और किसानों के हितों के विरुद्ध लाक डाउन के दौरान सरकार द्वारा लगातार फैसले लिए जा रहे हैं। इसमे भी उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मजदूरों और किसानों पर हमला करने में सबसे आगे है। यूपी सरकार ने तीन साल के लिए श्रम कानूनों को निरस्त करने मजदूरों को मालिकों का गुलाम बनाने तथा मंडी कानूनों में संशोधन करके किसानों को बड़ी कंपनियों के हवाले करने का काम किया है।

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भूख से पैदल चलते हुए रास्ते में मारे जा रहे हैं मजदूर

भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि घरों से दूर प्रवासी मजदूर और अमानवीय यातनाएं झेल रहे मजदूरों की नौकरियां चली गई, वेतन नहीं मिले, उन्हें आवासों से बेदखल किया गया। भूख से पैदल चलते हुए रास्ते में मारे जा रहे हैं सरकारें उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाने में असफल रही है। सरकार की नाकामी के चलते अभूतपूर्व त्रासदी झेल रहे सैकड़ों मजदूरों की जाने जा चुकी है।

माकपा के राज्य सचिव हीरालाल यादव कहा कि आये दिन सड़कों पर अपने घरों को वापस जा रहे मजदूर दुर्घटनाओं में मारे जा रहे हैं और योगी सरकार केवल श्रमिकों की रक्षा और सम्मान की खोखली घोषणायें कर रही है।

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