Loksabha Election 2024: वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस और बसपा में कौन मजूबत? जानें यहां

Varanasi Me Kaun Jeet Raha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिखी चिट्‌ठी काशी के लोगों के घर तक पहुंच रही है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update: 2024-05-28 13:59 GMT

Varanasi Loksabha Election 2024 Analysis

Varanasi Loksabha Election 2024यूपी के काशी में मौसम की तल्खीी के बीच चुनावी पारा चढ़ने लगा है। इसी के साथ दुनिया के सभी छोटे-बड़े देशों की निगाहें एक बार फिर भारत की सांस्कृलतिक राजधानी वाराणसी पर टिकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास दोहराने के लिए वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में दावेदार हैं तो सियासी कुरुक्षेत्र के सातवें फाटक (सातवें चरण) से उन्हें पार लगाने का जिम्मे दारी बनारसियों को मिली है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सपा-कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में एक बार फिर चुनावी रण में हैं। वहीं बसपा ने कोर मतदाताओं के साथ अल्पसंख्यकों को साधने के लिए अतहर जमाल लारी को उम्मीदवार बनाया है। पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतरे दोनों उम्मीदवारों का दावा है कि यहां सीधी लड़ाई उनसे ही है। लेकिन किसका पलड़ा भारी है यह तो 4 जून को पता चला चलेगा। फिलहाल सभी उम्मीदवार अपने अपने तरीकों से यहां के मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं।

पीएम मोदी अपनी जीत के लिए अब तक 4 बार काशी का दौरा कर चुके हैं। लेकिन उनका दौरा भले ही काशी में होता है, मगर पूरे पूर्वांचल का सियासी माहौल सेट होता है। पीएम मोदी यहां विभिन्न तरीके से मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। 

पीएम मोदी ऐसे रिझा रहे काशी को


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिखी चिट्‌ठी काशी के लोगों के घर तक पहुंच रही है। जिसमें लिखा है कि काशी में आपके प्यार ने मुझे बनारसी बना दिया। केवल सांसद नहीं, खुद को काशी के बेटे के रूप में पाता हूं। बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से जो कुछ कर पाया हूं, अभी बहुत कुछ करना बाकी है। पीएम मोदी ने आधी आबादी को अपने पाले में लाने के लिए उनके साथ संवाद किया। इस दौरान पीएम मोदी ने 25 हजार से अधिक महिलाओं से लखपति दीदी, ड्रोन दीदी के साथ ही केंद्र सरकार से संबंधित अन्य योजनाओं को लेकर संवाद किया। इसके अलावा पीएम मोदी ने लंका चौराहे से 5 किमी लंबा रोड शो काशी विश्वनाथ मंदिर तक किया, जिसमें करीब 7 लाख लोग शामिल हुए थे। पीएम मोदी की यह रणनीति पूरब की सियासत का मुख्य केंद्र मानी जाने वाली काशी के चुनाव को एकतरफा बना रही है। देश के अन्य सीटों पर विभिन्न मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा है। लेकिन वाराणसी के चुनाव में शहर और धार्मिक स्थलों के विकास के मुद्दे अहम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल राजनेता नहीं, वो धार्मिक राजनेता हैं। उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। यही कारण है कि काशी में उनका पलड़ा भारी है। पीएम मोदी के जीत के लिए पूरी भाजपा काशी में उतरी है।

कांग्रेस उम्मीदवार की यह है रणनीति


कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय पिछले 3 बार से काशी से चुनाव लड़ रहे हैं, वो हर बार तीसरे पायदान पर रहते हैं। इस बार वे अपना नामांकन करने साइकिल से गए थे। क्योंकि इस बार इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और सपा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। अजय राय के लिए पहली बार कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी और मैनपुरी सांसद डिंपल यादव ने एक साथ रोड शो किया। इससे पहले प्रियंका और डिंपल ने काल भैरव के दर्शन भी किए। करीब 4 किमी लंबे रोड शो में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी। जल्द ही अखिलेश यादव और राहुल गांधी भी यहां जनसभा करेंगे। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय का दावा है कि राहुल-प्रियंका के आने के बाद यूपी में चुनावी समीकरण बदल गए हैं। मोदी और उनके भक्त मैदान छोड़ने वाले हैं। उनका कहना है कि काशी को सत्ताधीशों ने राजनीति का अखाड़ा बना दिया है। काशी अध्यात्म, धर्म और मोक्ष की नगरी है, यह बाबा विश्वनाथ और मां गंगा की नगरी है। काशी पर्यटन स्थल नहीं, जिसका व्यवसायीकरण कर दिया जाए। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने में बाबा के दरबार में जमकर तोड़-फोड़ की गई। काशी में वटवृक्ष को आरी से काटा गया, यह महापाप जैसा है। कितने विनायक मंदिर और सैकड़ों शिवलिंग तोड़े गए, बाबा विश्वनाथ की कचहरी हटाई गई। काशी की जनता और हमारे भाई ही उन्हें हराएंगे।

अतहर जमाल लारी की मुस्लिम मतदाताओं में मजबूत पकड़


बसपा ने वाराणसी से पूर्वांचल की राजनीति के बड़े चेहरे माने जाने वाले अतहर जमाल लारी को उम्मीदवार बनाकर मुस्लिम कार्ड खेला है। काशी के 13 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं को साधते हुए बसपा ने इंडिया गठबंधन को झटका दिया है। अतहर जमाल लारी ने अपने राजनीति जीवन की शुरूआत जनता पार्टी के साथ 80 के दशक में की थी। 1984 में जनता पार्टी के ही टिकट पर वह अपना पहला लोकसभा चुनाव भी लड़े। लेकिन कांग्रेस के श्यामलाल यादव से हार गए थे। फिर वह 1991 और 1993 में हुए विधानसभा चुनावों में जनता दल के टिकट पर वाराणसी कैंट विधानसभा सीट से उतरे। लेकिन इस चुनाव में भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी। इसके बाद अतहर जमाल लारी ने पार्टी बदल ली और अपना दल सोनेलाल की पार्टी से एक बार फिर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे। इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद अतहर जमाल ने एक बार फिर पार्टी बदली और मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल में शामिल हो गए। इस पार्टी के टिकट पर वह साल 2012 में वाराणसी दक्षिण विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और इसमें भी हारे। 

सपा में गए लेकिन टिकट नहीं मिला तो छोड़ी पार्टी

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले वह सपा में शामिल हो गए थे और वाराणसी सीट से टिकट की मांग कर रहे थे। जब यहां टिकट नहीं मिला तो उन्होंने सपा से बगावत कर दी और बसपा में शामिल हो गए। इसके बाद वह बसपा के टिकट पर वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार मैदान में उतरे हैं। वाराणसी के ही रहने वाले अतहर जमाल लारी की मुस्लिम वोट बैंक में अच्छी पकड़ है। चूंकि कांग्रेस को भी इसी वोट बैंक से बड़ी उम्मीदें हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अतहर जमाल लारी इस चुनाव में खासतौर पर कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। पोलराइजेशन रोकने के लिए अजय राय ने कांग्रेस के पुराने मुस्लिम नेताओं को एक्टिव किया है। एक फैक्ट यह भी है कि वाराणसी में कांग्रेस और भाजपा को 7-7 बार सांसद बनाने का मौका मिला है। ये अकेली सीट ऐसी है, जहां सपा या बसपा का कभी कोई उम्मीदवार नहीं जीता है।

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