Varanasi News: यू.जी.सी. द्वारा श्री अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज वाराणसी की स्वायत्तता बरकरार

Varanasi News: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दिनांक 14 फरवरी 2025 को प्राप्त पत्र में महाविद्यालय की स्वायत्तता बरकरार रखी गई है।;

Update:2025-03-20 21:45 IST

यू.जी.सी. द्वारा श्री अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज वाराणसी की स्वायत्तता बरकरार (Photo- Social Media)

Varanasi News: मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी में श्री अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज की प्राचार्य एवं प्रबंधक द्वारा प्रेस वार्ता आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दिनांक 14 फरवरी 2025 को प्राप्त पत्र में महाविद्यालय की स्वायत्तता बरकरार रखी गई है। आपको बता दे कि कि दिनांक 14 नवम्बर 2024 को कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा महाविद्यालय को स्वायत्तता की स्थिति स्पष्ट करने के सम्बन्ध में पत्र प्रेषित किया गया जिसके प्रतिउतर में महाविद्यालय द्वारा दिनांक 18 नवम्बर 2024 को कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी को एक पत्र भेजा गया

स्वायत्तता की स्थिति स्पष्ट करते हुए अग्रिम दिशा निर्देश की मांग

जिसमें स्वायत्तता की स्थिति स्पष्ट करते हुए अग्रिम दिशा निर्देश की मांग की गई थी जिसका कोई भी उत्तर महाविद्यालय को दिसम्बर 2024 तक प्राप्त नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में पूर्व निर्धारित तिथि के अनुसार महाविद्यालय की परीक्षा दिनांक 16 दिसम्बर 2024 को प्रारंभ हो गई किंतु परीक्षा के दौरान ही अनेक समाचार पत्रों में महाविद्यालय की स्वायत्तता तथा परीक्षा कराने का अधिकार खो देने जैसी सूचनाएं प्रकाशित कराई गई। जिससे शिक्षकों छात्राओं तथा कर्मचारियों में अशांति का माहौल कायम हुआ। इस दौरान महाविद्यालय द्वारा दूरभाष से विश्वविद्यालय से सम्पर्क करने की कोशिश की गई। किन्तु कोई संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ।

ऐसी स्थिति में पुनः विवश होकर महाविद्यालय द्वारा दिनांक 23 दिसम्बर 2024 को कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी को एक पत्र प्रेषित किया गया जिसमें विनम्रतापूर्वक यथोचित दिशा निर्देश देने का आग्रह किया गया था किन्तु उसी दौरान 21 दिसम्बर 2024 दिनांकित पत्र जो कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी द्वारा भेजा गया था 24 दिसम्बर 2024 के अपराह‌न में महाविद्यालय को प्राप्त हुआ। जिसमें महाविद्यालय की समस्त परीक्षाए विश्वविद्यालय द्वारा कराये जाने का तुगलकी फरमान जारी किया गया था।

उस दौरान महाविद्यालय में परीक्षाएं संचालित हो रही थी। ऐसे में छात्र हित में कोई भी रास्ता दिखाई न देने के कारण विवश होकर महाविद्यालय को माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज उत्तर प्रदेश की शरण में जाना पड़ा। इसी के साथ छात्र हित में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली तथा विश्वविद्यालय से भी लगातार दिशा निर्देश मांगा जाता रहा किन्तु विश्वविद्यालय द्वारा कभी कोई संतोषजनक उत्तर अथवा मार्गदर्शन महाविद्यालय को प्रदान नहीं किया गया बल्कि इसके विपरीत दूरभाष समाचार पत्रों तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव के पत्रों द्वारा महाविद्यालय का भयादोहन किया जाता रहा। जिससे पूरा महाविद्यालय प्रशासन छात्राएं शिक्षक तथा अभिभावक मानसिक प्रताड़ना के शिकार हुए।

इस दौरान दिनांक 14 फरवरी 2025 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के स्वायत्त प्रभाग के संयुका सचिव द्वारा इस गम्भीर समस्या का संज्ञान लेते हुए सीधे कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी को एक पत्र प्रेषित किया गया जिसमें न केवल महाविद्यालय को अपनी परीक्षाओं को कराने का अधिकारी घोषित किया गया।

बल्कि महाविद्यालय की स्वायत्तता को भी सम्मानपूर्वक बरकरार रखा गया। साथ ही स्वायत्तता में आने वाले अन्तराल को सकारात्मक रूप से संज्ञान में लेने की बात कही गई। यहां पर विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि किसी भी महाविद्यालय को स्वायत्तता देना उसकी अवधि बढाना उसे जारी रखना या उसे निरस्त कर देना यह सभी केवल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय की छवि किस आधार पर धूमिल की गई, यह अभी तक विश्वविद्यालय द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया और न ही एक माह बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पत्र का विश्वविद्यालय द्वारा कोई संज्ञान भी लिया गया है जो दिनांक 14 फरवरी 2025 को यू०जी०सी० द्वारा कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी को प्रेषित किया गया।

ध्यातव्य है कि माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज में तीन दिन पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अपना काउण्टर भी लगाया है। जिसमें महाविद्यालय की स्वायत्तता तथा परीक्षा संचालन को वैध माना गया। किन्तु अत्यन्त शोचनीय विषय है कि विश्वविद्यालय द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, प्रयागराज में भी काउण्टर फाईल नहीं किया गया है। जबकि महाविद्यालय प्राचार्य के नाम लगातार परीक्षा कराने की वैधता संबंधी पत्र जारी होते रहे। यह विशेष रूप से ध्यान देने की बात है कि किसी भी सम्मानित स्वायत्त महाविद्यालय की परीक्षा यदि विश्वविद्यालय अधिग्रहीत करता है तो वह सिर्फ स्नातक तथा स्नातकोत्तर के प्रथम वर्ष की परीक्षा नियमानुसार चरणबद्ध रूप से करा सकता है।

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