भगवान भरोसे अस्पताल: कोरोना वारियर ने ही तोड़ा दम, लल्लू ने योगी सरकार को घेरा
इस वीडियो में एक महिला अस्पताल के फर्श पर गंभीर हालत में बैठी दिखाई दे रही है। उसके बगल में ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखा है और ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया गया है।
लखनऊ: सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमित आंगनबाडी कार्यकत्री प्रवेश धवन को इलाज के लिए बेड भी नसीब नहीं हुआ। मेडिकल कॉलेज में ही प्रवेश की मौत पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि जब कोरोना योद्धाओं के साथ ऐसा हो रहा है तो आम लोगों के इलाज के बारे में कल्पना ही करी जा सकती है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार अब कोरोना इलाज के झूठे आंकडे पेश करना बंद करे और पीडित परिवार के सदस्यों को बीस लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दे।
वीडियो शेयर कर अजय लल्लू ने साधा योगी सरकार पर निशाना
सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाई गई आंगनबाडी कार्यकत्री प्रवेश धवन का एक वीडियो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सोशल मीडिया पर जारी किया है। इस वीडियो में एक महिला अस्पताल के फर्श पर गंभीर हालत में बैठी दिखाई दे रही है। उसके बगल में ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखा है और ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया गया है। वीडियो में एक आदमी बता रहा है कि इस महिला को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अस्पताल लाने के बावजूद कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। मरीज को लेटने के लिए बेड भी नहीं दिया गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने वीडियो को साझा करते हुए लिखा है कि उत्तर प्रदेश में क्राइम और कोरोना दोनों बेलगाम हैं।
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आए दिन लोगों की जान जा रही है। मुरादाबाद में बैंक के मैनेजर ने अस्पताल की बिल्डिंग से कूदकर जान दे दी और मेडिकल कॉलेज सहारनपुर का हाल देखिए। आंगनबाडी कार्यकत्री प्रवेश धवन को बेड नहीं मिला और अब इनकी मौत हो गई है। पूरी व्यवस्था खोखली है। न्यूज ट्रैक से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आंगन बाडी कार्यकत्री भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। उनकी भी सरकार ने कोरोना संक्रमण बचाव अभियान में डयूटी लगा रखी है और अब संक्रमित आंगनबाडी कार्यकत्री को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल रहा है। क्या उसकी जान कीमती नहीं है।
आंगनबाडी कार्यकत्री को घर-घर जाकर करना पड़ रहा है सर्वे
प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण बचाव अभियान के तहत आंगनबाडी कार्यकत्री को हाउस सर्वे कार्य में लगा रखा है। आंगनबाडी कार्यकत्री को अपने क्षेत्र में लोगों के घर जाकर कोरोना संक्रमण की पहचान करनी होती है। उन्हें हर रोज कम से कम बीस घरों में जाकर हर सदस्य का थर्मामीटर से तापमान मापकर नोट करना होता है।
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किसी सदस्य में सर्दी-जुकाम अथवा बुखार की शिकायत होने का विवरण भी दर्ज कर अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को देनी होती है। आंगनबाडी कार्यकत्रियों का कहना है कि इतने जोखिम भरे काम के लिए उन लोगों की डयूटी नहीं लगाई जानी चाहिए। ऐसे काम में अधिक पढ़े-लिखे और स्थायी नौकरी वाले कर्मचारियों को भेजा जाना चाहिए।
रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी