लखनऊ खंडपीठ ने मोटर व्हीकल नियमावली में संशोधन पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने  उत्तर प्रदेश मोटर व्हीकल (26वां संशोधन) नियमावली, 2019 के नियम 222 डी को चुनौती देने वाली एक याचिका पर राज्य सरकार को चार सप्ताह में अपना प्रतिशपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने लखनऊ स्कूल व्हीकल ऑनर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। 

Update:2023-03-19 21:22 IST

विधि संवाददाता लखनऊ

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश मोटर व्हीकल (26वां संशोधन) नियमावली, 2019 के नियम 222 डी को चुनौती देने वाली एक याचिका पर राज्य सरकार को चार सप्ताह में अपना प्रतिशपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने लखनऊ स्कूल व्हीकल ऑनर्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।

वाहनों की उम्र सीमा में अंतर पर फंसा पेंच

याचिका में दलील दी गयी कि नियम 222 के तहत निजी मालिकों के स्कूल वाहनों की उम्र सीमा 10 वर्ष कर दी गई है जबकि स्कूलों के नाम पर पंजीकृत वाहनों की उम्र सीमा को 15 वर्ष रखा गया है। जो कि स्पष्ट भेदभाव है। कहा गया कि निजी मालिकों के भी स्कूल वाहनों का इस्तेमाल बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के सिवा किसी अन्य व्यवसायिक उद्देश्य से नहीं किया जाता है। याचिका पर जवाब देने के लिए सरकार वकील ने समय दिये जाने की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही केार्ट ने याचिका की प्रति महाधिवक्ता को भी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

अपात्रों को विधवा पेंशन दिये जाने के मामले में निदेशक महिला कल्याण तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपात्रों को विधवा पेंशन दिये जाने के मामले में निदेशक महिला कल्याण विभाग को 11 सितम्बर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।

यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने संदीप कुमार की याचिका पर दिया ।

दरअसल सत्यापन के लिए जनपदों में भेजे गए प्रोफार्मा से असंतुष्ट होते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने पाया कि जांच व सत्यापन के लिए जो प्रोफार्मा जनपदों में भेजा है, उनमें गड़बड़ियों के पाए जाने पर, उनका उल्लेख करने की गुंजाइश नहीं है। इस पर कोर्ट ने निदेशक को 11 सितम्बर को कोर्ट के समक्ष हाजिर होकर, प्रोफार्मा पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।

निदेशक मनोज राय कोर्ट में हाजिर हुए

इसके पूर्व कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उपस्थित हुए, निदेशक मनोज राय ने स्वयं कोर्ट को बताया था कि प्रदेश भर के सभी जिला प्रोबेशन अधिकारियों को विधवा पेंशन के लाभार्थियों का सत्यापन किये जाने के निर्देश दे दिये गए हैं। इस पर कोर्ट ने उक्त कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट तलब की थी। इस मामले में याची का कहना है कि उसके जीते जी उसकी पत्नी को विधवा पेंशन मिल रहा है। यही नहीं उसके गांव की तमाम ऐसी औरतों को विधवा पेंशन दिया जा रहा है जिनके पति जीवित हैं। याचिका में मामले की सघनता से जांच की मांग की गई है।

राजूपाल हत्याकांड में अतीक व अन्य 21 को सीबीआई कोर्ट में तलब

सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुराधा शुक्ला ने इलाहाबाद के बहुचर्चित बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड मामले में पूर्व सपा सांसद अतीक अहमद व उसके पूर्व विधायक भाई अशरफ समेत 10 अभियुक्तों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेते सभी को विचारण के लिए 21 सितम्बर को तलब किया है।

सीबीआई ने आरोप पत्र में अतीक व उसके भाई अशरफ उर्फ खालिद अजीम के अलावा रंजीत पाल, आबिद, फरहान अहमद, इसरार अहमद, जावेद, गुलफुल उर्फ रफीक अहमद, गुलहसन व अब्दुल कवि को आरोपी बनाया हैं।

राजूपाल की दिनदहाड़े हुई थी हत्या

उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी से बसपा विधायक राजू पाल की दिन-दहाड़े गोलीबारी में हत्या कर दी गई थी। इस गोलीबारी में देवी पाल व संदीप यादव की भी मौत हुई थी। जबकि दो लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। इस हत्याकांड से ठीक 16 दिन पहले विधायक राजू पाल की पूजा पाल से शादी हुई थी। पूजा पाल ने थाना धुमनगंज में इस हत्या की एफआईआर दर्ज कराते हुए अतीक व उसके भाई अशरफ उर्फ खालिद आदिम को नामजद किया था।

22 जनवरी, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। इससे पहले इस हत्याकांड मामले में सीबीसीआईडी व उससे पहले पुलिस ने जांच कर आरोप पत्र दाखिल किया था।

सीबीआई ने अपनी जांच में पाया है कि इस हत्याकांड को चुनावी रंजिश में अंजाम दिया गया था।

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