Lucknow News: केजीएमयू के डाक्टरों ने रचा इतिहास, मरीज के पेट में नली डाल बचाई जान
Lucknow News: इस रोग में शरीर के सभी अंग धीरे-धीरे लकवाग्रस्त हो जाते हैं। धीरे-धीरे खाना-पीना निगलना मुश्किल हो जाता है। रोगी कुपोषण का शिकार हो जाता है, और कुछ ही समय में कुपोषण के कारण रोगी की मृत्यु हो जाती है।
Lucknow News: केजीएमयू के डाक्टरों ने एक बार फिर कमाल किया है। डाक्टरों ने न्यूरॉन डिजीज से ग्रसित मरीज के पेट में नली डाल के बचाई जान। इसी लिए डाक्टरों को धरती पर भगवान कहा चाता है। प्रतापगढ़ निवासी रानी देवी 4 दिन पहले गांधी वार्ड में भर्ती हुई थीं। उन्हें मोटर न्यूरॉन डिजीज (एमएनडी) है। इस रोग में शरीर के सभी अंग धीरे-धीरे लकवाग्रस्त हो जाते हैं। धीरे-धीरे खाना-पीना निगलना मुश्किल हो जाता है। रोगी कुपोषण का शिकार हो जाता है, और कुछ ही समय में कुपोषण के कारण रोगी की मृत्यु हो जाती है।
इस स्थिति में फीडिंग के लिए नाक के माध्यम से पेट में ट्यूब डाली जा सकती है या फीडिंग जेजुनोस्टॉमी बनाने के लिए पेट पर चीरा लगाया जा सकता है। इन 2 विधियों से शरीर में भोजन पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सकता है। लेकिन ये दोनों प्रक्रियाएँ रोगी के लिए कष्टदायक होती हैं। मेडिसिन विभाग के लिवर और एंडोस्कोपी विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार पटवा ने पहली बार दूरबीन विधि के माध्यम से बिना चीरा और बिना टांका लगाये पेट में नली डालकर खाने का इंतजाम कर दिया है।
इससे मरीज़ को खाने पीने में बहुत आसानी हो रही है। निकट भविष्य में रोगी को संतुलित आहार प्रदान कर कुपोषण की स्थिति से बाहर निकाल लिया जाएगा। इस नली के के माध्यम से दवा समय से पहुंचाई जा सकेगी। जिससे मरीज़ के ठीक होने की संभावना बढ़ेगी।
इस विधि को केजीएमयू में पहली बार प्रयोग में लाने के लिए कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने डॉ अजय कुमार एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र आतम की प्रशंसा करते हुए पूरे मेडिसिन विभाग को बधाई दी।