UP News: पांच साल से डर के साए में यूपी की कानून व्यवस्था, लॉकडाउन के साथ एक भी दिन के लिए नही हटी धारा -144
UP News: पांच साल में कोई भी महीना ऐसा नहीं गया है, जब यूपी की 60 फीसदी आबादी डर के साए में न रही हो।
UP News: यूपी की कानून व्यवस्था पिछले पांच साल से डर के साए से गुजर रही है। पांच साल में कोई भी महीना ऐसा नहीं गया है, जब यूपी की 60 फीसदी आबादी डर के साए में न रही हो। या यूं कहे कि वहां कानून व्यवस्था खराब होने का डर न रहा हो। खासकर राजधानी लखनऊ में तो लॉकडाउन लगने साथ शुरू हुआ पाबंदियों का सिलसिला एक दिन के लिए भी नही रुका। लखनऊ में एक बार फिर से 10 फरवरी तक धारा 144 को लागू कर दिया गया।
कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने 2021 में विधान परिषद में सवाल किया था। उन्होंने सरकार से पूछा था कि यूपी में कब-कब कितने जिलों में धारा-144 लागू की गई है। इसके जवाब में विधान परिषद में एक डेटा पेश किया गया। जिसमे बताया गया कि अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2021 के बीच कोई भी ऐसा महीना नहीं रहा, जब यूपी में 50 से कम जिलों में धारा 144 लागू न रही हो। लॉकडाउन के दौरान से नियमित तौर पर लागू किया जाता रहा। लेकिन स्थित सामान्य होने के बाद सारी पाबंदियां तो हटी लेकिन धारा 144 लगने का सिलसिला अभी तक जारी है। विपक्षी दल इसे सरकार की तानाशाही कह रहे हैं। वही पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। उनका कहना है की इस कानून को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि सरकार की नीतियों की खिलाफ एकजुट होकर आवाज न उठाया जा सके।
धारा 144 इन परिस्थितियों में लागू होती है
-विभिन्न राष्ट्रीय पर्व, त्योहारों, परीक्षाओं, मेले और अन्य परिस्थितियों में शांति भंग होने की आशंका होने पर।
-असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने और शांति व्यवस्था को स्थापित करने के लिए।
-कोविड-19 के प्रसार के गंभीर खतरे से बचाव के लिए और भीड़-भाड़ होने से रोकने के लिए।
-चुनाव, निर्वाचनों के दौरान विभिन्न समाज विरोधी तत्वों की ओर से कानून व्यवस्था खराब करने की आशंका होने पर।
हालात की नियंत्रित रखने के लिए लगाई गई पाबंदी
ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था पीयूष मोर्दिया का कहना है की धरना प्रदर्शन और त्योहारों को देखते हुए धारा 144 लगाई जा रही है। लखनऊ में धरना प्रदर्शन के लिए जगह निर्धारित है। बावजूद इसके कोई न कोई गुट आए दिन विधान सभा की तरफ पहुंचने का प्रयास करता है। रोड जाम या सड़क पर प्रदर्शन से आम जनमानस के सामने परेशानी खड़ी होती है। ऐसे हालात की नियंत्रण में रखने के लिए कानूनी पाबंदियां लगाई जा रही है।