लखनऊ मेट्रो: बस! दौड़ने वाली है टेस्टिंग ट्रैक पर ट्रेन, जल्द शुरू होगा सपनों का सफर
हर दिन नॉर्मल फिटनेस टेस्ट और चेकअप होंगे। 15 दिन बाद जब मेट्रो लगभग 5000 किलोमीटर चल जाएगी तो सर्विस चेकअप किया जाएगा। इसके बाद 45 दिन पर एक मेजर चेकअप होगा, इसमें असेंबल्ड पार्ट्स को चेक किया जाएगा। 4 लाख किलोमीटर चलने के बाद एक ओवरहॉलिंग सेशन होगा।
लखनऊ: यूपी के सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ मेट्रो आकार लेने लगा है। चेन्नई स्थित अल्स्टॉम फैक्ट्री से चले मेट्रो के पहले चार कोच शनिवार को कानपुर तक का सफर तय कर चुके हैं। ये कोच जल्द ही लखनऊ मेट्रो के ट्रांसपोर्ट नगर डिपो में पहुंच जाएंगे।
मेट्रो एमडी कुमार केशव के मुताबिक 64 हफ्तो में बनकर तैयार हुए ये कोच रिकार्ड टाइम में बनकर तैयार हुए हैं। कोच 64 हफ्तो में बनकर तैयार हुए हैं जो अब तक किसी भी मेट्रो में सबसे तेजी से मैन्युफैक्चर होने वाले कोच हैं।
डिपो में इसकी असेम्बलिंग और टेस्टिंग की तैयारियां की जा रही हैं, तो डिपो के सारे कम्पोनेंट्स को एक्टिव कर दिया गया है। इस डिपो में इंस्पेक्शन, असेंबलिंग और टेस्टिंग के बाद इसे डिपो के ही 630 मीटर लंबे टेस्टिंग ट्रैक पर दौड़ाकर फिटनेस टेस्ट किए जाएंगे।
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हर दिन फिटनेस चेकअप, 35 साल लाइफ
-लखनऊ मेट्रो के जीएम ऑपरेशंस और चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सुशील कुमार ने बताया कि डिपो को 46 एकड़ में बनाया गया है।
-यहां मेट्रो कोच का इंस्पेक्शन, असेंबलिंग, ट्रेन की शंटिंग, फिटनेस चेकअप और टेस्ट ट्रायल का काम किया जाएगा।
-यहां 70 से 100 वर्कर्स अलग अलग कामों में लगाए गए हैं।
-हर दिन ट्रेन को ऑटोमेटिक बाथ देकर धोया जाएगा और अन्य सफाई के काम किए जाएंगे।
-इसके बाद रोज एक फिटनेस चेक किया जाएगा जिसमें छोटे-छोटे चेकअप शामिल रहेंगे।
-इंजीनियर से फिटनेस क्लीयरेंस मिलने के बाद ही रोज मेट्रो पटरियों पर दौड़ सकेगी।
-एक मेट्रो ट्रेन की लाइफ 35 साल मानी जा रही है।
-इसके अलावा जिस ट्रैक पर मेट्रो दौड़ेगी, उस ट्रैक की लाइप भी 35 साल मानी जा रही है।
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हाई फिटनेस टेस्ट, 7 साल में चलेगी 8 लाख किलोमीटर
-एलएमआरसी के डिप्टी चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर निर्दोष कुमार गुप्ता ने बताया कि डिपो में हर दिन नॉर्मल फिटनेस टेस्ट के अलावा कई फिटनेस चेकअप होंगे।
-पब्लिक सेफ्टी के लिए हमने पीरियॉडिकल चेकअप शेडयूल बनाया है।
-इसमें लगभग 15 दिन बाद जब मेट्रो लगभग 5000 किलोमीटर चल जाएगी तो सर्विस चेकअप किया जाएगा।
-इसमें ऑयल बदलना, सिस्टम चेकअप, डिटेल इंस्पेक्शन और कुछ रिप्लेसमेंट शामिल होंगे।
-इसके बाद 45 दिन पर एक मेजर चेकअप होगा, इसमें असेंबल्ड पार्ट्स को चेक किया जाएगा।
-इसके बाद ये सारे चेक पीरियॉडिकली चलते रहेंगे।
-ऐसा माना जा रहा है कि साढ़े तीन साल में मेट्रो करीब 4 लाख किलोमीटर चल जाएगी, तब एक ओवरहॉलिंग सेशन होगा।
-इसमें इलेक्ट्रिकल और मेकैनिकल चेकअप शामिल हैं।
-ऐसा ही एक चेकअप सात साल बाद मेट्रो के लगभग 8 लाख किलोमीटर चल जाने पर होगा।
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खास है वर्क फ्लोर, छत पर लगे सोलर पैनल से होंगे ऑपरेशंस
-एलएमआरसी के जीएम ऑपरेशंस और चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सुशील कुमार ने बताया कि हमने इस डिपो को ग्रीन डिपो में कनवर्ट कर दिया है।
-हम यहां अंदर साइकिल और पैदल ही ट्रैवेल करेंगे।
-इस डिपो में एक वर्कशाप और इंस्पेक्शन बे लाइन है, जिसमें माइनर मेन्टेनेंस सेक्शन और मेजर मेन्टेनेंस सेक्शन रहेंगे।
-ये एक हजार्ड बेस्ड सिस्टम है, जिसे एक्सीडेंट प्रूफ बनाया गया है।
-यहां ट्रेन से पार्ट्स को निकालने और वापस फिट करने का काम भी होगा।
-ग्राउंड फ्लोर पर कामों के विभाजन के लिए ग्रे फ्लोर और ग्रीन फलोर बनाया गया है।
-ग्रे फ्लोर पर पार्ट्स का काम होगा और ग्रीन फ्लोर कोच सहित अन्य पार्ट्स को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए क्रेन के लिए खाली रहेगा।
-एक जेब्रा क्रॉसिंग भी बनाई गई है, जहां से व्यक्ति आसानी से बे लाइन के अंदर मूवमेंट कर सकेगा।
-इसकी छत को कर्व्ड शेप में बनाया गया है, जो अब तक किसी भी मेट्रो या रेल डिपो में सबसे पहला प्रयोग है।
-इसके अलावा इस छत पर सूरज की रोशनी के लिए पफ्ड सरफेस बनाई गई है, इसके ऊपर एक मेगा वॉट के सोलर पैनल लगाए जाएंगे।
-यहां से जनरेटेड बिजली को ही इस लाइन में इलेक्ट्रिक सप्लाई के लिए यूज किया जाएगा।
-इसके अलावा यहां इंस्पेक्शन यार्ड में लगे ओवरहेड इलेक्ट्रिकल्स भी दिल्ली मेट्रो से पहले यहां लग चुके हैं।
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जर्मनी से आए हैं खास इक्विपमेंट्स, रोड और ट्रैक पर दौडने वाले वाहन
-जीएम ऑपरेशंस सुशील कुमार ने बताया कि उनके पास मेट्रो ट्रेन हैंडल करने के लिए खास इक्विपमेंट्स हैं।
-उनके पास एक खास क्रेन है, जो कोच को स्मूथली लिफ्ट करके शिफ्टिंग कर सकती है।
-जर्मनी से आया एक खास ट्रक इमरजेंसी में रोड और ट्रैक दोनों पर चल सकेगा और मरम्मत या आपातकाल में मददगार साबित होगा।
-एक बैट्री ऑपरेटेड क्रैब शंटर है जिसकी मदद से कोच और भारी पार्ट्स को मूव किया जा सकेगा।
-एक सिजर लैडर है जो इंजीनियर को हाइट पर ले जाकर मरम्मत कार्य करने में हेल्प करेगी।
-बाकी बैट्री ऑपरेटेड ट्रालियां हैं जिन्हें आदमी खुद ड्राइव करके पार्ट्स को मूव करवा सकता है।
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वाशिंग लाइन में ऑटोमेटिकली धुल जाएगी मेट्रो, एक बार में 7 ट्रेनों पर हो सकेगा काम
-जीएम आपरेशंस ने बताया कि मेट्रो जैसे ही डिपो में मेन लाइन से डाउन होगी, सीधे हमारे वाशिंग यार्ड की वाशिंग लाइन के सामने से गुजरेगी।
-यहीं पर यह ऑटोमेटिकली क्लीन हो जाएगी।
-इसके बाद यह कवर्ड शेड में जाकर खड़ी हो जाएगी, यहां एक साथ 7 मेट्रो ट्रेनों को रोका जा सकता है।
-इस डिपो में एक पॉवर स्टेशन, डिपो कंट्रोल सेंटर, एक ट्रेनिंग स्कूल, टेस्टिंग लाइन भी मौजूद है।
-यहां से हम मेट्रो को हर तरीके से कंट्रोल कर सकते हैं।
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मेट्रो एमडी ने कहा- हमारी कोशिश होली बाद लोग करें मेट्रो का सफर
-एमडी लखनऊ ने शनिवार को बताया कि मेट्रो कोच किसी भी समय यहां पहुंच सकते हैं।
-हम इसे लेकर एक्साइटेड हैं और हमने अपनी पूरी तैयारी कर रखी है।
-हमारा ट्रांसपोर्ट नगर स्थित डिपो इसकी टेस्टिंग के लिए पूरी तरह तैयार है।
-इसके अलावा हमारी ओर से भी नॉर्थ साउथ कॉरिडोर का काम लगभग पूरा हो चुका है।
-हमारी कोशिश होगी कि हम 1 दिसंबर से ट्रायल शुरू कर लें।
-इसके अलावा आम लोगों के लिए होली के आसपास मेट्रो के दरवाजे खोल दिए जाएंगे।
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अब तक मेट्रो में हो चुके हैं ये महत्वपूर्ण कार्य
-एमडी कुमार केशव ने बताया कि लखनऊ मेट्रो से जुड़े कई अहम कार्यो को निपटा लिया गया है।
-हाल ही में इंद्रा नगर के मेट्रो स्टेशन का भूमि पूजन हुआ है और काम शुरू हो गया है। इसे जल्द कम्पलीट कर लिया जाएगा।
-इसके अलावा ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो स्टेशन पर पहला एस्केलेटर इंस्टाल कर दिया गया है।
-सचिवालय के सामने गाइड वॉल का स्ट्रक्चर बना लिया गया है।
-यहीं पर डायफ्राम वॉल का स्ट्रक्चर बनाया जा रहा है।
-सिटी के केडी सिंह स्टेडियम से लेकर मुंशी पुलिया तक के एलिवेटेड मेट्रो रूट का काम शुरू करवा दिया गया है।
-अंडरग्राउंड टनल का काम शुरू होने से रिकॉर्ड समय में हम अपना काम करने में सफल होंगे।
-ट्रांसपोर्ट नगर का डिपो भी एकदम तैयार है।