Lucknow Nagar Nigam Ward No.04: सरोजिनी नगर वार्ड प्रथम के पार्षद राम नरेश यादव, विद्वेष की राजनीति बंद हो, लोग भाई चारा से रहें

Lucknow Nagar Nigam Ward No.04 Sarojini Nagar 1st Parshad: राजनीति में कोई कठिनाई नहीं होती है ।संघर्ष करना होता है ।धीरे-धीरे मुकाम हासिल होता है

Written By :  Anant kumar shukla
Update:2022-10-12 18:59 IST

Lucknow Nagar Nigam Ward No.04 Sarojini Nagar 1st Parshad 

Lucknow Nagar Nigam Ward No.04 Sarojini Nagar 1st Parshad: नगर निकाय चुनाव के लगभग 5 साल पूरे हो चुके हैं। इन 5 सालों में जनता द्वारा चुने गए पार्षदों / सभासदों द्वारा अपने क्षेत्र में क्या कार्य किए गए। स्वच्छता के लिए कौन से कदम उठाए गए। उनका राजनीतिक अनुभव क्या रहा। जैसे तमाम विषयों पर बात करने के लिए हमारी न्यूज़ट्रैक टीम सरोजिनी नगर प्रथम वार्ड में गई यहां के पार्षद से हमारे रिपोर्टर की गई प्रमुख बातों के कुछ अंश-

प्रश्न- आपके मन में राजनीति में आने का पहला विचार कब आया?

उत्तर- मैं जिस गांव में रहता हूं । इस गांव की हालत बिल्कुल जर्जर हालत में थी। न पेयजल की व्यवस्था थी, न रोड थी, ना लाइट। पार्षद चुन के आते थे, सभाएं करते थे। लेकिन कोई काम नहीं करते थे। इन्हीं सब को देखते हुए 2008 से मैं अपने वार्ड में सक्रिय हो गया । लोगों की मदद करना शुरू किया। 2012 में पहली बार बसपा से पार्षद का चुनाव लड़ा । लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली। कुछ वोटों से हार गया । इसके पश्चात 2017 में भाजपा से पार्षद पद का चुनाव लड़ा । जीत हासिल हुई । यही मेरी पूरी पॉलीटिकल जर्नी रही अभी तक की ।


प्रश्न- राजनीति में आने के बाद आप की प्रारंभिक कठिनाइयाँ कौन-कौन सी रहीं?

उत्तर- कठिनाई यही थी कि लोकल होने के नाते जनता की आकांक्षाएं हमसे बहुत ज्यादा थी। राजनीति में कोई कठिनाई नहीं होती है ।संघर्ष करना होता है ।धीरे-धीरे मुकाम हासिल होता है।

प्रश्न- राजनीति में आने के लिए आपका प्रेरणा स्रोत कौन रहा है?

उत्तर- हमारे प्रेरणा स्रोत बाबा साहब भीमराव अंबेडकर हैं। उन्हीं से पिछड़े वर्ग, दबे कुचले वर्गों की सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। जो जरूरतमंद हैं, उनके लिए कार्य करते रहो।

प्रश्न- जिस कार्य के लिए आप राजनीति में आए थे क्या वह कार्य कर पा रहे हैं आप?

उत्तर- बिल्कुल कर पा रहे हैं।

प्रश्न- अभी तक आपने अपने वार्ड में कौन-कौन से कार्य किए हैं?

उत्तर- हमारे यहां एक गौरी गांव है जहां पर लगभग 25 साल से कोई सड़क नहीं थी। मैंने पार्षद निधि से 90 लाख रुपए की लागत से सड़क का निर्माण करवाया। हिंदू खेड़ा गांव में 92 लाख की पार्षद निधि से सड़क का निर्माण कराया। अमौसी गांव की रोड को पौने दो करोड़ रुपए की लागत से पीडब्ल्यूडी के माध्यम से बनवाया। यह तीन प्रमुख कार्य हैं मेरे।

प्रश्न- आप ने अपने वार्ड को स्वच्छ रखने के लिए क्या कार्य किए हैं?

उत्तर- स्वच्छता के लिए जागरूकता अभियान हमारा 24 घंटे चलता है। इसके अलावा नगर निगम द्वारा प्रदत गाड़ियां डंपर आदि सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। पहले लोग कूड़ा खुले में फेंक देते थे , नालियों में डाल देते थे , अब इकोग्रीन को देते हैं । यही स्वच्छता जागरूकता अभियान का मुख्य प्रभाव है।

प्रश्न- एक जनप्रतिनिधि के रूप में जनता के साथ तालमेल कितना जरूरी है और आप इसके लिए क्या करते हैं?

उत्तर- हमारा जनता के साथ तालमेल इतना बेहतर है कि कोई फंक्शन हुआ प्रोग्राम हुआ तो कुछ ही समय में 500- 600 लोग इकट्ठा हो जाते हैं ।अगर तालमेल ना होता तो इतना इकट्ठा कर पाना मुश्किल था।

प्रश्न- आप पार्षद पद पर रहते हुए अपने कार्य को उचित रूप से संपादित कर पा रहे हैं या किसी अन्य पद के लिए भी प्रयासरत हैं?

उत्तर- नहीं किसी अन्य चुनाव के लिए नहीं सोच रहा हूं । पार्टी ने समाज सेवा का मौका दिया यही हमारे लिए काफी है। पार्टी के निर्देशों का पालन किया जाएगा।

प्रश्न- वर्तमान राजनीति से आप कितना संतुष्ट हैं?

उत्तर- अब आप लोग 100 फ़ीसदी लिखते हैं । लेकिन मैं वर्तमान राजनीति से 1000 फ़ीसदी संतुष्ट हूं।

प्रश्न- कुछ पार्षदों का कहना है कि विपक्ष के पार्षदों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है और उनकी फंडिंग में भी कटौती की जा रही । जबकि शासन पक्ष के पार्षदों को अच्छी फंडिंग की जाती है, इस पर आपका क्या कहना है?

उत्तर- ऐसा कुछ नहीं है । पार्षद निधि का पैसा सबको बराबर आता है। महापौर किसी के साथ भेदभाव नहीं करती हैं। जैसे पार्षद को यह मालूम है कि 12500000 रुपए कहां पर और किन परिस्थितियों में वार्ड में कहां-कहां खर्च करना है उसी तरह महापौर जी को भी अपना उत्तरदायित्व अच्छे से मालूम है और वह उसका निर्वहन अच्छे से कर रही हैं।

प्रश्न- यदि वर्तमान राजनीति में आपको एक सुधार का मौका मिले तो आप क्या करना चाहेंगे?

उत्तर- बदलाव यही है कि अच्छे से विकास हो ।देश के लोग खुशी से रहें ।लड़ाई दंगे ना हो। एक दूसरे पर द्वेष के नाते इतने f.i.r. होते हैं थानों में यह कम हो जाए । लोग खुशी से मिलजुल कर एक साथ रहें बस यही बदलाव होने चाहिए।

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