Lucknow Nagar Nigam Ward No.30: लखनऊ नगर निगम वार्ड-30 खरिका द्वितीय के पार्षद मुन्ना पाल, विकास को सत्ता पक्ष व विपक्ष के नज़रिये से नहीं देखा जाना चाहिए
Lucknow Nagar Nigam Ward No. 30 Parshad: राजनीति में हमारे राजनीतिक गुरु छेदा लाल पाल जी हैं। उन्होंने मुझे इस के लिए प्रेरित किया
Lucknow Nagar Nigam Ward No. 30 Parshad: बड़ी से बड़ी योजनाओं को धरातल पर लागू करने के लिए नगर निकाय चुनाव में चुने गए पार्षदों का अहम रोल होता है। नगर निकाय चुनाव को लगभग 5 साल हो गए है। पार्षदों द्वारा अपने क्षेत्र में क्या विकास कार्य किया गया? स्वच्छता के लिए क्या कदम उठाए गए? उनका राजनीतिक अनुभव कैसा रहा? उनके राजनीतिक प्रेरणा कौन हैं? जैसे तमाम विषयों पर बात करने के लिए Newstrack की टीम खरीका द्वितीय वार्ड में पहुंची जहां के पार्षद मुन्ना पाल से हमारे रिपोर्टर द्वारा की गई बातचीत के कुछ अंश-
प्रश्न- आपके मन में राजनीति में आने का पहला विचार कब आया?
उत्तर- मैं राजनीति में नहीं आना चाहता था । लेकिन 1983 में आवास विकास द्वारा किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। लेकिन नियमों के तहत वो स्कीम समाप्त हो जानी चाहिए थी। आवास विकास ने कुछ लोगों को अपनी तरफ मिलाकर किसानों को लूटने का मन बना लिया था। उसी समय मैंने राजनीति में आने के लिए सोंचा। किसानों के संगठन के माध्यम से मैंने आवास विकास की इन नीतियों का विरोध किया और हमें सफलता मिली।
प्रश्न- राजनीति में आने के बाद किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर- जब मैं 2002 में राजनीति में उतरा तो हमें वह सहयोग नहीं मिला जो किसान आंदोलन के माध्यम से मिलना चाहिए था। इन कठिनाइयों के बावजूद भी मैंने 700 वोट हासिल किया।
प्रश्न- राजनीति में आपका प्रेरणास्रोत कौन है?
उत्तर-राजनीति में हमारे राजनीतिक गुरु छेदा लाल पाल जी हैं। उन्होंने मुझे इस के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हमसे कहा कि किसान राजनीति के साथ-साथ जब तक आप वार्ड की राजनीति या विधानसभा की राजनीति नहीं करेंगे तब तक आप किसानों को न्याय नहीं दिलवा सकते हैं।
प्रश्न- जिस कार्य के लिए आप राजनीति में आए थे क्या वह काम कर पा रहे हैं?
उत्तर- मैं 3 बार चुनाव हारा । चौथी बार 2017 में जनता ने हमारे ऊपर विश्वास किया और हमें पार्षद के रूप में चुना। जिन उद्देश्यों के लिए मैं आया था, उन उद्देश्यों को हम पूर्ण करते हुए दिख रहे हैं। क्योंकि जो 2017 से पहले पार्षद थे उन्होंने वार्ड में कोई विकास कार्य नहीं किया था। हमारे पार्षद बनने के बाद मैंने डूडा और आवास विकास से हैंड ओवरिंग का पैसे, कुछ जो हमारा बजट है, कुछ 15वें वित्त से और कुछ जनरल निधि से कुल लगभग 25 करोड़ रूपये का कार्य मैंने अपने खरीका का द्वितीय वार्ड में कराने का काम किया। जो शायद एक सांसद के लिए भी संभव नहीं है।
प्रश्न-अभी तक आपने अपने वार्ड में कौन-कौन से कार्य करवाए हैं?
उत्तर- मुख्य रूप से मैंने विकास की गति को प्रदान किया। सड़क नाली जो पहले कच्चा हुआ करती थी , मैंने उसे पक्का करने का काम किया। किसानों के लिए आज भी लड़ाई जारी है। 2011 में जिन किसानों की जमीन चली गई थी और जिन्होंने मुआवजा ले लिया था उनको 5 परसेंट जमीन दिलाने का भी काम मैंने किया।
प्रश्न- अपने वार्ड को स्वच्छ बनाने के लिए आप ने क्या कार्य किए?
उत्तर- जिस दिन से मैं चुनाव जीता उसी दिन से हर मोहल्ले में पांच पांच लोगों की टीम गठित कर दी। उनकी जवाबदेही सुनिश्चित कर दी जिससे क्षेत्रवासियों को परेशानी न हो। यदि उनके क्षेत्र में साफ सफाई से संबंधित शिकायतें आती हैं तो मैं उनसे पूछता हूं ऐसा क्यों हुआ और उन्हें निर्देशित करता हूं कि दोबारा ऐसा ना हो।
प्रश्न- जनप्रतिनिधि के रूप में जनता से तालमेल कितना जरूरी है और आप इसके लिए क्या करते हैं?
उत्तर- जनता सभासद का आधार है। प्रतिनिधि यदि जनता से मेल मिलाप नहीं रखेगा तो आने वाले समय में जनता उसे नकारने का काम करेगी। मैंने खरीका द्वितीय वार्ड में स्वच्छता से संबंधित समस्त समस्याएं दूर कर दिया है।
प्रश्न-क्या आप पार्षद पद पर रहते हुए अपने कार्य को उचित रूप से संपादित कर पा रहे हैं या किसी अन्य पद के लिए भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं?
उत्तर- मेरा केवल एक ही सपना था वार्ड के प्रतिनिधि के रूप में यहां के क्षेत्रवासियों की सेवा करें। और मैंने अपने कार्यकाल में इतने कार्य किए हैं कि वह पिछले पार्षदों व आने वाले चुनाव में यदि कोई अन्य पार्षद बनता है तो उनके लिए चुनौती होगी।
प्रश्न- वर्तमान राजनीति से आप कितना संतुष्ट हैं?
उत्तर- वर्तमान राजनीति से मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हूं। विपक्ष का पार्षद होने के नाते हमारे साथ भेदभाव बहुत किया जाता है। बजट आवंटन में भी भेदभाव किया जाता है।
प्रश्न- आपके हिसाब से राजनीति में कैसा बदलाव होना चाहिए?
उत्तर- शासन प्रशासन द्वारा बदले की भावना से कार्य को नहीं किया जाना चाहिए। सभी स्थानों को मुख्यमंत्री के अंडर में लेकर एक विशेष तैयारी होनी चाहिए। विधायक सांसदों द्वारा सभी क्षेत्रों का समुचित विकास कराया जाए। एक समान विकास होना चाहिए। किसी के साथ सत्तापक्ष या विपक्ष के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।