Relief To Consumers: खाद्य तेलों की मिलावट से उपभोक्ताओं को मिलेगी निजात

अब तेल कंपनियों को पाउच व डिब्बों पर लिखना होगा सौ प्रतिशत शुद्ध तेल, दामों में आएगी गिरावट

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-06-08 07:51 GMT

लखनऊ। पिछले कुछ महीनों से जहां सरसों के तेल में मिलावट की मात्रा में बढोत्तरी हो रही है वहीं दूसरी तरफ इसके दामों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। जिसके कारण उपभोक्ता को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। हाल यह है कि सरसों से लेकर सूरजमुखी तक तेल के दामों में एक साल में डेढ़ गुना तक वृद्धि हुई है। लेकिन अब सरकार ने इसके लिए उपाय खोज लिए हैं। ऐसी व्यवस्था की गयी है कि उत्पादक इसमें मिलावट नहीं कर सकेंगे। उन्हे हर पाउच-डिब्बे कनस्तर में सौ प्रतिशत शुद्ध तेल लिखना होगा। अब तक देश में सरसो के तेल में ब्लेडिंग के नाम अन्य खाद्य तेल कुछ प्रतिशत तक मिलाने की अनुमति थी। पर उत्पादक इसकी आड़ में लगातार इसकी मात्रा बढ़ाकर उपभोक्ताओं की आंख में धूल झोंकने का काम कर रहे थें। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने एक अधिसूचना के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और मानक (विक्रय प्रतिषेध और निर्बंधन) विनिमय 2011 में संशोधन किया है। आठ मार्च को जारी खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री निषेध और प्रतिबंध) तीसरा संशोधन नियमन 2021के अनुसार आठ जून 2021 को और उसके बाद किसी भी बहु स्रोतीय खाद्य वनस्पति तेल में सरसों तेल का सम्मिश्रण नहीं की जा सकेगा।


अब इसे आठ जून से पूरे देश में लागू किया जा रहा है। इससे उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। एफएसएसआई ने इसके साथ ही विभिन्न मिश्रण वाले खाद्य वनस्पति तेलों (सरसों तेल शामिल नहीं) की खुली बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस प्रकार के बहुस्रोत वाले खाद्य तेलों की बिक्री 15 किलो तक के सील बंद पैक में ही की जा सकेगी। इस व्यवसाय से जुडे़ जानकारों का कहना है कि इससे शुद्ध सरसों तेल की मांग बढ़ेगी और देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। अब उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगी तथा इससे घरेलू उद्योग, रोजगार और राजस्व भी बढ़ेगा। अब तक हाल यह था कि कई खाद्य तेलों में तो केवल 20 प्रतिशत ही सरसों तेल होता था, जबकि 80 प्रतिशत दूसरे तेलों का मिश्रण होता था। चावल की भूसी के तेल का इसमें सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाता रहा है।

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