Lucknow News: लखनऊ में भारतरत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमाओं के हालात बद्तर, राष्ट्रपति ने नए स्मारक का किया था शिलान्यास

Lucknow News: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने लोकभवन से भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्मारक व सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया था।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-06-30 20:39 IST

Lucknow News: मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने लोकभवन से भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्मारक व सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया था। जिस पर मायावती ने ट्वीट कर निशाना भी साधा था।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्वीट में 'सांस्कृतिक केन्द्र' के शिलान्यास को नाटकबाजी करार देते हुए कहा था कि ''बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व उनके करोड़ों शोषित-पीड़ित अनुयाइयों का सत्ता के लगभग पूरे समय उपेक्षा व उत्पीड़न करते रहने के बाद अब विधानसभा चुनाव के नजदीक यूपी भाजपा सरकार द्वारा बाबा साहेब के नाम पर 'सांस्कृतिक केन्द्र' का शिलान्यास करना यह सब नाटकबाजी नहीं तो और क्या है?''

इसी बात को केंद्र में रखकर 'न्यूज़ट्रैक' की टीम बुधवार को शहर के पारा क्षेत्र में पहुंची। जहां पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमाओं के हालात बद्तर नज़र आए। पारा क्षेत्र के सरौसा-भरौसा गांव के मध्य में स्थित फतेहपुर विद्युत उपकेंद्र के पास ये मूर्तियां स्थापित हैं। जिसके सामने कस्तूरबा विद्यालय भी है।


स्थानीय लोगों के अनुसार- इस इलाके का नाम मेहन्दियापुर है। जब 'न्यूज़ट्रैक' की टीम उस स्थान पर पहुंची, तो वहां डॉ. भीमराव आंबेडकर की एक प्रतिमा से उनका हाथ गायब था। जबकि वहाँ पर स्थापित बाक़ी महापुरुषों की प्रतिमाएं भी जर्जर मिली। जिन्हें मरम्मत की सख़्त ज़रूरत है।


10-12 साल पहले स्थापित हुई थी प्रतिमाएं

'न्यूज़ट्रैक' की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों से बातचीत की, तो यह पता चला कि ये प्रतिमाएं 10-12 साल पहले स्थापित हुई थी। उस वक़्त वहीं पर मूर्तियों को बनाने की एक फैक्ट्री थी। जो अब बंद हो गई है।


मुख्य सवाल-:

इन प्रतिमाओं की हालत देखकर सवाल यह उठता है कि जो प्रतिमाएं मायावती सरकार में बनी थी, उनकी योगी सरकार में ये हालत कैसे हो गई? सवाल यह भी है कि जिस इंसान को भारतरत्न प्राप्त है, जिसे भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है, ऐसे इंसान की नई प्रतिमाओं के शिलान्यास के पहले पुरानी प्रतिमाओं की मरम्मत करना ज़रूरी नहीं था?

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