Lucknow News: RSS के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, "मेज-कुर्सी के लिए लड़ने वाले प्रोफेसरों का रिसर्च से कोई लेना-देना नहीं''
लखनऊ में बोले RSS के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, 'मनुष्य की शाश्वत चेतना भौतिक नहीं हो सकती, NEP में रखा गया शिक्षा का दर्शन।
Lucknow News: "जिसने अपने अंदर के नेत्रों को आवृत्त कर लिया, उसको अमृत मिलता है। शिक्षक, बालक को अंदर देखने के लिए आवृत्त करता है। समाज में अगर लालच बढ़ता चला जाए, तो यह सरस्वती की वंदना करने वाले व्यक्तियों के लिए अपमानित करने जैसा होगा। जब मंच पर ऐसे लोग विराजमान हों, जिन्होंने नीति-अनीति से धन कमाया हुआ हो, तब वे हित नहीं कर सकते है। हमें भाव को जागृति करने की आवश्यकता है।" ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कही। राजधानी के शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्विद्यालय के कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केंद्र स्थित सभागार में आयोजित किये गए कार्यक्रम में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने यम-नचिकेता की 5 इंद्रियों वाली कहानी सुनाकर, वहां उपस्थित कई विश्विद्यालयों व महाविद्यालयों के प्रोफेसरों को नयी शिक्षा नीति के महत्व के बारे में बताया।
'अलमारियों के बीच बैठते थे बीरबल साहनी'
विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा रखी गई 'संलग्न संस्थाओं की अखिल भारतीय कार्यशाला' के विषय पर बोलते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल ने रिसर्च प्रोफेसरों पर बात रखते हुए कुछ वैज्ञानिकों के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि बीरबल साहनी के पास बड़े-बड़े साइंटिस्ट आते थे। वे भारत के बड़े वैज्ञानिक थे। उन्होंने सिर्फ रिसर्च करने के लिए प्रधानमंत्री नेहरू के साथ काम करने को मना कर दिया। जब विदेशी वैज्ञानिक उनके पास भारत आए, तब वे हतप्रभ रह गए। क्योंकि, उन्होंने देखा कि भारत का बड़ा साइंटिस्ट अपने लिए कमरा नहीं रखता है। जिस पर उन विदेशी वैज्ञानिकों ने आर्टिकल भी लिखा। जिसमें यह लिखा गया था कि भारत के बड़े वैज्ञानिक किताबों की अलमारियों के बीचों बीच बैठते हैं। उन्होंने बताया कि विक्रम साराभाई, पी.सी. रे और जेसी बोस भी अपने उदाहरण से यही सिखाते हैं।
'मनुष्य की शाश्वत चेतना भौतिक नहीं हो सकती'
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि कुर्सी, मेज, अलमारी के लिए झगडा करने वाले अध्यापकों का रिसर्च से कोई लेना-देना नहीं है। उपदेश देने से आध्यातम नहीं आता। बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट्स में भारतीयत्व कैसे आएगा। आध्यातम कैसे आएगा? इस पर बात होनी चाहिए। उन्होंने श्री कृष्ण की बातों का दोहराते हुए कहा कि 'श्री कृष्ण कहते हैं- तू व्यापार कर, चाहे कृषि कर, चाहे अध्यापक बन, उसमें मैं हूँ। मनुष्य की शाश्वत चेतना भौतिक नहीं हो सकती।
'नयी शिक्षा नीति में रखा गया शिक्षा का दर्शन'
अपने भाषण के अंत में डॉ. कृष्ण गोपाल ने साल 1961 में बनी इमोशनल इंटीग्रेशन कमेटी के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इसके चेयरमैन संपूर्णानंद थे। और, उन्होंने तब कमेटी की रिपोर्ट में लिखा था कि "भारत में शिक्षा का कोई दर्शन नहीं है। शिक्षा का कोई उद्देश्य नहीं है। शिक्षा अनभिज्ञ है। शिक्षा-संस्थानों का हाल ऐसा हो गया है, बड़ा सुंदर पिंजरा है, पक्षी उड़ गया है। गंगा, गंगोत्री में ही सूख चुकी है। दुर्भाग्य की बात यह रही है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में राष्ट्र के दर्शन की बात ही नहीं लिखी है। उसमें देश का भूत भी नहीं है। उन्होंने बताया कि नयी शिक्षा नीति में शिक्षा का दर्शन रखा गया है।
प्रो कैलाश चंद्र शर्मा ने कार्यशाला परिचय देते हुए बताया कि शिक्षा के माध्यम से ही मानव निर्माण के उद्देश्य की पूर्ति होनी चाहिए और कार्यशाला का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थाओं में "बेस्ट प्रैक्टिसेज़" पर चर्चा करना और गुणवत्ता परक शिक्षा की तरफ़ प्रयासरत होना है। उन्होंने कहा विद्या भारती का उद्देश्य पंच पदीय शिक्षा पद्धति से विद्यार्थीयों का सर्वांगीण विकास करना और शिक्षकों की प्रतिबद्धता सुनिश्चत करना है।
प्रो डी पी सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का संदर्भ देते हुए वैश्विक नागरिकों के निर्माण एवं आत्म ज्ञान पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में योगदान देना है और शिक्षक की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। गुरु केवल वह ही नहीं है जो कक्षा में पढ़ाता है बल्कि उनको जीवन के लिए तैयार करता है।
प्रो आलोक राय, कुलपति, लखनऊ विश्व विद्यालय, प्रो इंदू यादव, झारखंड विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति एवं प्रो अनिल सहस्त्र बुद्धे, पूर्व चेयरमैन, ऐ आइ सी टी ई एवं के ऐन रघुनन्दन, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान की गरिमामयी उपस्थित रही। कार्यक्रम में देश भर से उच्च शिक्षा स्तर पर विद्या भारती द्वारा संचालित महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राचार्य, अध्यापक एवं प्रबंधकों ने शिरकत की।
कार्यक्रम में विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. कैलाश चंद्र शर्मा, क्षेत्र संयोजक पूर्वी प्रो जय शंकर पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रजनी रंजन सिंह, प्रदेश सचिव डॉ. मंजुल त्रिवेदी, पुनर्वास विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. राणा कृष्णपाल सिंह और लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय मौजूद रहे।