Lucknow University: छात्रों ने VC से की प्रोफेसर रविकांत के निष्कासन की मांग, कल छात्र ने जड़ा था तमाचा

Lucknow News: राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रविकांत का मामला तूल पकड़ते जा रहा है। गुरुवार को छात्र-छात्राओं ने प्रोफ़ेसर रविकान्त चंदन के निष्कासन की माँग को लेकर सरस्वती वाटिका पर प्रदर्शन किया

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-05-19 10:29 GMT

छात्रों ने VC से की प्रोफेसर रविकांत के निष्कासन की मांग।

Lucknow: राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) में प्रोफेसर रविकांत का मामला तूल पकड़ते जा रहा है। गुरुवार को छात्र-छात्राओं ने प्रोफ़ेसर रविकान्त चंदन के निष्कासन की माँग को लेकर सरस्वती वाटिका पर प्रदर्शन किया। साथ ही, कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय (Vice Chancellor Professor Alok Kumar Rai) को मांग पत्र भी सौंपा। विश्विद्यालय के विद्याथियों ने उस छात्र के समर्थन में नारेबाजी भी की, जिस पर बुधवार को प्रोफेसर रविकांत चंदन को तमाचा जड़ने का आरोप है। इसके अलावा, उस पर एससी-एसटी कानून सहित अन्य धाराओं में मुक़दमा भी दर्ज कराया गया है।

क्या है पूरा मामला?

बता दें काशी ज्ञानवापी मस्जिद (Kashi Gyanvapi Mosque) को लेकर इस समय विवाद छिड़ा हुआ है। मामला न्यायालय में है, इस बीच लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर रविकांत (Assistant Professor Ravikant of Hindi Department) ने एक टीवी डिबेट में मंदिर को लेकर आपत्तिजनक बातें कही थी, जिसका विरोध एबीवीपी (ABVP) के छात्रों ने किया था। साथ ही, एक छात्र द्वारा एफआईआर भी कराई गई है। एलयू के दूसरे प्रोफेसरों ने भी बयान की निंदा की है, हिंदी विभाग के ही दूसरे प्रोफेसर उनके बयान से अपने को अलग कर चुके हैं। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।


'प्रोफेसर नहीं है सुरक्षित'

गौरतलब है कि मंगलवार को यूनिवर्सिटी के गेट नंबर-2 पर एनयूएसआई और एआईएसए के छात्रों ने एबीवीपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। छात्रों ने प्रोफेसर की तहरीर पर एफआईआर न दर्ज करने के मुद्दे को उठाया। प्रदर्शन करने वाले भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के छात्र लालू कनौजिया ने बताया कि जिस प्रकार से कैंपस में एबीवीपी लगातार अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, जिसकी शुरुआत अब एक प्रोफेसर पर भी हो गई है। 100 साल विश्विविध्याल के पूरे होने के बाद भी आज एक प्रोफ़ेसर सुरक्षित नहीं है। उन पर गोली मारने जैसे नारों का प्रयोग, पुलिस के सामने विश्विद्यालय में किया जा रहा है।



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