लखनऊ: राजधानी की पुलिस को स्मार्ट बनाने के लिए यूपी सरकार ने करोड़ों खर्च किए लेकिन हर चैलेंजिंग मामले में पुलिस का वर्कआउट जनता के गले नहीं उतरता। पिछले दो सालों में मोहनलालगंज गैंगरेप मर्डर और गौरी हत्याकांड जैसे दो बड़े मामले सामने आए। इन मामलों में पुलिस और जांच से जुड़ी हर एजेंसी की जमकर किरकिरी हुई। वहीं हसनगंज एटीएम लूट-मर्डर मामले में पुलिस के हाथ एकदम खाली हैं। कमोबेश ऐसी ही स्थिति सीएम आवास के पास मृत पाई गई RLB स्टूडेंट मामले में भी बनती दिख रही है।
RLB स्टूडेंट मर्डर केस में अब तक क्या?
-स्टूडेंट मर्डर मामले में पुलिस की पहली किरकिरी तब हुई जब सीएम आवास के पास लाश पांच दिन पड़ी रही और पुलिस को कानों-कान खबर भी नहीं हुई।
-पुलिस के हाथ दो रिक्शा चालक लगे तो पुलिस की जांच उनके इर्द-गिर्द ही घूमने लगी।
-उन्हीं से पूछताछ के आधार पर गोल्फ क्लब के दो कैडी को गिरफ्तार किया गया।
-पीएम रिपोर्ट ने मामले को और उलझा दिया।
-रिपोर्ट्स के मुताबिक़ गैंग रेप के बाद स्टूडेंट की हत्या कर लाश को फांसी पर लटकाया गया था।
-गहन छानबीन और पूछताछ के बाद पुलिस ने रिक्शा चालकों पर डेड बॉडी के साथ दरिंदगी की बात कही।
-लेकिन हत्या किसने की इस बात की पुष्टि नही हो सकी।
-थक-हार कर पुलिस ने मेडिको लीगल और लाइ डिटेक्टर के साथ नारको टेस्ट का सहारा लेने की बात कही।
-पुलिस अब डीएनए रिपोर्ट के आधार पर दावा कर रही है की स्टूडेंट के डीएनए से रिक्शा चालक और कैडी का डीएनए मैच कर रहा है।
-विशेषज्ञों की मानें तो जब भी डीएनए रिपोर्ट्स के आधार पर रिक्शा चालकों को हत्यारोपी बनाया जाएगा तो यह सवाल जरूर उठेगा कि क्या सच में पुलिस की यह थ्योरी सही है?
मोहनलालगंज गैंगरेप मर्डर केस में हो चुकी है किरिकिरी
-राजधानी के बहुचर्चित मोहनलालगंज गैंगरेप मर्डर मामले में सबसे पहली भद्द तब पिट गई, जब पीएम रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि मृतका की दोनों किडनी सही सलामत है।
-जबकि मृतका ने अपनी एक किडनी अपने पति को डोनेट कर दी थी।
-इसके बाद जब पुलिस ने मामले का खुलासा किया तो सिर्फ एक सिक्यूरिटी गार्ड पर ही सारे आरोप मढ़ दिए गए।
-इस मामले में राजधानी के एक बड़े बिल्डर का नाम आ रहा था। पुलिस पर बिल्डर को बचाने का आरोप लगा।
-बाद में मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए सीएम ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
-इस मामले के खुलासे में आज भी राजधानी की जनता को पुलिस की थ्योरी पर यकीन नही है।
गौरी हत्याकांड मामले में भी वही हाल
-गौरी हत्याकांड मामले में पीएम रिपोर्ट के आधार पर दावों और जो चीजें सामने आईं उसमें विरोधाभास था।
-तत्कालीन एसएसपी यशस्वी यादव ने इस मामले में कोई सवाल न उठे इसलिए एक निर्दोष को जेल में डाल दिया। हालांकि बाद में जांच के आधार पर उसे बरी कर दिया गया।