Lucknow News: मेरी अंतरात्मा कहती है कि उसे जेल से बाहर होना चाहिए, LU पूर्व वीसी रूपरेखा वर्मा

Lucknow News Today: रूपरेखा वर्मा का कहना है कि "मेरी अंतरात्मा ने कहा कि कप्पन को जेल से बाहर होना चाहिए (Kappan should be out of jail) और खुद को निर्दोष साबित करना चाहिए।"

Report :  Jyotsna Singh
Update: 2022-09-22 11:42 GMT

 पूर्व वीसी लखनऊ विश्वविद्यालय रूपरेखा वर्मा: Photo- Social Media

Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के पूर्व वीसी रूपरेखा वर्मा (Former VC Rooprekha Verma) ने पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (Journalist Siddiqui Kappan) के लिए एक बेहद साहसिक कदम बढ़ाया। रूप रेखा वर्मा ने पत्रकार कप्पन की रिहाई के लिए जमानत बांड के रूप में स्थानीय अदालत में कार के कागजात जमा किए। लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति, 79 वर्षीय रूप रेखा वर्मा, सिद्दीकी कप्पन को नहीं जानती हैं। लेकिन बीते मंगलवार शाम को पत्रकार की रिहाई को सुरक्षित करने के लिए जमानत के रूप में अपनी कार के कागजात स्थानीय अदालत में जमा कर दिए। वर्मा का कहना है कि "मेरी अंतरात्मा ने कहा कि कप्पन को जेल से बाहर होना चाहिए और खुद को निर्दोष साबित करना चाहिए।"

दिल्ली में काम करने वाले केरल के एक पत्रकार कप्पन को अक्टूबर, 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वह एक दलित किशोरी के सामूहिक बलात्कार और हत्या पर रिपोर्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहा था। इस साल 10 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के "स्वतंत्र अभिव्यक्ति" के अधिकार पर जोर देते हुए उन्हें जमानत दे दी है।

शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि कप्पन को उसकी रिहाई के लिए तीन दिनों के भीतर निचली अदालत में पेश किया जाए, बशर्ते कि निचली अदालत उचित समझे। लखनऊ की ट्रायल कोर्ट ने 12 सितंबर को कहा कि उत्तर प्रदेश के दो निवासियों को एक-एक लाख रुपये की व्यक्तिगत जमानत के अलावा समान राशि के निजी मुचलके भी देने होंगे।

केरल के उनके एक दोस्त ने उन्हें फोन किया- समाजसेवी रूप रेखा वर्मा

समाजसेवी रूप रेखा वर्मा ने कहा कि केरल के उनके एक दोस्त ने उन्हें फोन किया और उनसे दो लोगों को जमानत के लिए मनाने का अनुरोध किया। "लेकिन मेरे पास कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। मैं केवल खुद को जानती थी और इसलिए मैंने अपनी कार के कागजात बतौर जमानत जमा कर दिए, जिसकी कीमत 4 लाख रुपये से अधिक है। बाद में, मैंने सुना कि लखनऊ का एक अन्य व्यक्ति अन्य सुरक्षा बांड का भुगतान करने के लिए सहमत हो गया था, लेकिन मुझे नहीं पता कि वह व्यक्ति कौन है, "।

लखनऊ विश्वविद्यालय में तीन दशकों से अधिक समय तक दर्शनशास्त्र पढ़ाने वाली और 1998 और 1999 के बीच कुलपति रहीं । समाज सेविका का कहना है पत्रकार कप्पन की जमानत देकर उन्होंने केवल एक नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाया पर जिसे पूरी तरह निभा नहीं पाई।

भारत अब एक सभ्य और समृद्ध देश नहीं है

उनका कहना हैं कि "पिछले आठ वर्षों में हमने देश में विभाजनकारी प्रवृत्तियों को देखा है जबकि वास्तविक समस्याओं की उपेक्षा की गई है। भारत अब एक सभ्य और समृद्ध देश नहीं है। मानवाधिकार, रोजगार और आर्थिक कल्याण के क्षेत्रों में यह तेजी से नीचे जा रहा है। महिलाओं के खिलाफ धार्मिक भेदभाव और क्रूर अपराध बढ़ रहे हैं और गरीबी का ग्राफ ऊपर जा रहा है। इस माहौल में चुप बैठना अपराध होगा, "।

अकेले रहने वाली बुजुर्ग कर्मठ समाजसेविका को सामाजिक कुरीतियां और सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए समाज सेवी संगठनों के मुखिया के रूप में आसानी से देखा जा सकता है।

रूपरेखा वर्मा कहती हैं कि, 'मैं कभी भी कप्पन से नहीं मिली और मुझे नहीं पता कि वह किस तरह का व्यक्ति है। मेरी समझ के अनुसार उन्हें देश में घटित हो रहे क्रूर दमन की कवरेज बनाते समय गिरफ्तार किया गया था जब एक लड़की की बेरहमी से हत्या कर दी गई और पुलिस ने उसका जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। उनका कहना है कि मैंने कप्पन की जमानत देकर जो कुछ भी किया, वह उसके लिए बहुत मददगार lसाबित नहीं होगा क्योंकि उसे अभी भी एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी है, "।

पत्रकार कप्पन, लगभग 750 दिन जेल में बिता चुका है

अपनी रिहाई के लिए शर्तों को पूरा करने के बाद भी, कप्पन तब तक सलाखों के पीछे रहेगा जब तक कि उसे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत नहीं मिल जाती। पत्रकार कप्पन , जो अब लगभग 750 दिन जेल में बिता चुका है, उसको 5 अक्टूबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था, वह कथित तौर पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दो नेताओं के साथ एक कैब में यात्रा कर रहा था, जिसे कुछ लोग एक चरमपंथी संगठन मानते हैं।

आदित्यनाथ सरकार ने कप्पन और अन्य पर राजद्रोह (आईपीसी धारा 124 ए), समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने (153 ए) और धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने (295 ए), और आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार हर व्यक्ति को

सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को जमानत देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि, 'हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। वह यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पीड़ित को न्याय की जरूरत है और जिसके लिए अवाम आवाज उठाएं। क्या यह कानून की नजर में अपराध है?"

प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा को जमानत के लिए स्वेच्छा से खड़े होने के लिए सोशल मीडिया पर वाहवाही मिल रही है। ट्विटर यूजर नताशा रामारत्नम ने लिखा: "वह एक हीरो हैं।" सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने ट्वीट किया: "देश रूप रेखा वर्मा जी का आभार का ऋणी है। उनके साहसिक कदम ने उनके साहस और न्याय और सच्चाई के लिए खड़े होने के संकल्प को और मजबूत किया है।" ट्विटर उपयोगकर्ता @kuccotwites ने वर्मा को "लौह महिला" के रूप में सम्मानित किया।

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