रिपोर्ट कार्ड: LU वीसी के 365 दिन, 6 प्वाइंटर स्ट्रैटजी, फिर भी छूट गए ये 10 अहम काम
लखनऊ विश्विद्यालय (एलयू) के वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह यूनिवर्सिटी के सारे डीन के साथ सोमवार (3 नवंबर) को प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने पिछले एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में बताया।
लखनऊ: विश्वविद्यालय की एक सीमा होती है एक वर्ष यानि 365 दिनों का टाइम किसी भी व्यक्ति या संस्था के एसेसमेंट के लिए कम है। 5 सालों में ही यूनिवर्सिटी का सही आंकलन हो सकता है। इन शब्दों के साथ लखनऊ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह ने खुद अपना रिपोर्ट कार्ड सोमवार (13 नवंबर) को सबके सामने रखा। इस रिपोर्ट कार्ड की खास बात ये रही कि इन 365 दिनों में वाइस चांसलर ने सिक्स प्वाइंटर स्ट्रैटजी बनाकर काम किया। लेकिन फिर भी 10 बड़े कामों को करने में वह फेल हो गए।इन कामों के बारे में पूछे जाने पर उन्होने इसका ठीकरा सरकार के सिर पर फोड़ते हुए सबके सामने बजट की कमी का रोना रोया।
सरकार से मांगा था 10 करोड़, ऑफर हुआ 1 करोड़
वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि मैंने यूनिवर्सिटी कैंपस को पूरी तरह वाई-फाई युक्त करने के लिए सरकार से 10 करोड़ की मांग की थी। लेकिन प्रदेश सरकार के पास वाई-फाई मद में मौजूद 52 करोड़ रूपये में से सिर्फ 1 करोड़ की आर्थिक सहायता का इस काम के लिए ऑफर आया। चूंकि इतनी कम धनराशि में यह प्रोजेक्ट पॉसिबल नहीं था।इसलिए इसे ड्राप करना पड़ा।
किया अपना गुणगान
उन्होंने कहा कि मैं कम समय में ज्यादा काम करना चाहता हूं। इसके लिए मैंने अपनी 60 पेड छुट्टियों में से सिर्फ 20 छुट्टियां ली, जिसमें से 4 छुटिटयां डयूटी लीव और 16 छुटिटयां आउटस्टेशन लीव फॉर यूनिवर्सिटी वेलफेयर प्रोग्राम के नाते लीं। सीमित संसाधनों में बहुत काम किया लेकिन अभी काफी कुछ छूट गया है।
रिलायंस जियो फाई पर नहीं भरोसा
रिलायंस जियोफाई ने भले ही पूरे देश में हल चल मचा रखी हो लेकिन वाइस चांसलर प्रोफेसर एसपी सिंह इसे यूनिवर्सिटी की सेहत के लिए मुफीद नहीं मानते हैं। वाइस चांसलर का तर्क है कि रिलायंस जियो पर एक्ट्रा यूजर बर्डन पड़ेगा। जिसे वह नहीं बर्दाश्त कर सकते।उन्हें सिर्फ 30 हजार स्पेशल लॉग इन आई डी के साथ वाई फाई सिस्टम चाहिए।जो 9 से 10 करोड़ के बजट में ही संभव हो पाएगा। ऐसे में कैंपस को अनिवार्य रूप से वाई फाई करने की महत्वाकांक्षी योजना एलयू में परवान नहीं चढ़ सकी।
2750 लोगों से मुलाकात, 204 मीटिंग का तैयार किया डेटाबेस
वीसी प्रोफेसर एसपी सिंह ने बताया कि उन्होंने पिछले एक साल में 2750 अलग अलग लोगों से मुलाकात करके उनकी समस्या, सुझाव और सराहना को सुना। यूनिवर्सिटी की आवश्यकता अनुसार अलग अलग विषयों पर 204 मीटिंग लीं और उसका डेटाबेस बनाया।इसके अलावा यूनिवर्सिटी के वीसी के तौर पर केवल राजधानी में ही 200 प्रोग्रामों में शिरकत की और वहां यूनिवर्सिटी की एक छाप छोड़ी।
इस सिक्स प्वाइंट स्ट्रैटजी पर हुआ काम
वाइस चांसलर ने बताया कि उन्होंने 12 नवंबर 2016 को लखनऊ यूनिवर्सिटी ज्वाइन की थी।उसी दिन से यूनिवर्सिटी के कामों को कंपीटेंट तरीके से करने के लिए सिक्स प्वाइंट स्ट्रैटजी बनाई।इसमें क्वालिटी एजूकेशन, रिसर्च एंड एक्सटेंशन एक्टिविटी, कसंलटेंसी, एग्जामिनेशन इंप्रूवमेंट, डेस्क प्रैक्टिस और इंफ्रास्ट्रक्चर की अलग अलग कैटेगरी बनाकर उसके अंदर कई कामों को किया।इसके पाजिटिव परिणाम मिले और कई कामों को यूनिवर्सिटी की बड़ी टीम के साथ मिलकर सफलता के साथ अंजाम दे पाया।
11 नए कोर्स शुरू करना और सिलेबस अपडेशन रहा सफल
वीसी ने उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि क्वालिटी एजूकेशन के लिए क्वालिटी बच्चों को सेलेक्ट करना एक चुनौती होती है। इसके लिए यूजी के साथ साथ पीजी कोर्सेज में भी इंट्रेस के माध्यम से प्रवेश लेकर एडमिशन देने से यूनिवर्सिटी को इंटलैक्चुअल बच्चों की एक अच्छी नर्सरी मिली।इसके बाद हमने कई विभागों का सिलेबस अपडेट करवाया। इसमें सबसे ज्यादा फाइन आर्ट्स डिपार्टमेंट का सिलेबस अपडेट हुआ। इसके साथ ही साथ इंजीनियरिंग के 5 नए कोर्स, ओएनजीसी बिल्डिंग के 5 नए कोर्स और जीएसटी का नया कोर्स चलाने से लखनऊ यूनिवर्सिटी को काफी सराहना मिली।
नैक के लिए शुरू किया इंटर डिपार्टमेंट इवैल्यूएशन
वीसी प्रोफेसर सिंह ने बताया कि नैक में यूनिवर्सिटी को अव्वल लाने के लिए रिसर्च स्ट्रैटजी के तहत इंटर डिपार्टमेंट इवैल्यूएशन का काम शुरू किया। रिसर्च के लिए हर फैकल्टी को 10 से 11 हजार की छोटी ग्रांट देने की शुरूआत की गई। बुक पब्लिकेशन पर फोकस किया गया। इसके साथ ही जर्नल पब्लिकेशन पर फोकस किया गया।हर हाल में इस बार नैक मूल्यांकन में यूनिवर्सिटी को ए ग्रेड दिलाना ही प्राथमिकता है।
दो बड़े पेपर कराकर एलयू ने की कमाई
वीसी प्रोफेसर एसपी सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने अपने स्तर से बीएड और सीपैट 2017 की परीक्षा करवाकर अपनी इकोनॉमिक कंडीशन को मजबूती दी। इसमें 60 परसेंट रेवेन्यू को सरकार और 40 परसेंट रेवेन्यू को यूनिवर्सिटी ने आपस में शेयर किया। इसके अलावा गुजरात और यूपी सरकार से दो गवर्मेंट प्रोजेक्ट्स पर बात फाइनल हो रही है। स्किल डेवलपमेंट का काम भी यूनिवर्सिटी करवाने जा रही है। इन सबके जरिए यूनिवर्सिटी की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जाएगा।
अब पोर्टल पर परीक्षा के तुरंत बाद चढ़ेगे इंटरनल मार्क्स
वीसी प्रोफेसर सिंह ने बताया कि कालेजों में होने वाले इंटरनल एग्जाम में 30 में 30 नंबर देने की प्रथा आम हो गई थी।इसके लिए अब पोर्टल प्लेटफार्म के जरिए इंटरनल नंबर देने की प्रणाली विकसित की गई। अब इसी पर इंटरनल के नंबर परीक्षा वाले दिन परीक्षक को चढ़ाने होंगे। बाद में हम इंटरनल एगजाम को पूरी तरह ऑनलाइन करने पर भी विचार कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ परीक्षा नियंत्रक ने कई सुधार किए। हमने परीक्षा की कॉपी के पहले पेज को बदलकर उसकी कोडिंग की।इसके अलावा वॉल राइटिंग, वीडियोग्राफी के जरिए काफी हद तक नकल रोकने में सफलता हासिल की।इस बार टॉपर्स की कॉपी ऑनलाइन नहीं कर पाए लेकिन टैगोर लाइब्ररी में उसे अपडेट करवा दिया गया था।
अब पीजी का सेंटर बनेंगे कॉलेज
वाइस चांसलर ने बताया कि इस साल पहली बार हम लोग पोस्ट ग्रेजुएट परीक्षाओं के सेंटर को कालेजों को एलाट करने जा रहे हैं। एक या दो कालेजों को छोड़कर ज्यादातर में सेल्फ सेंटर प्रणाली को खत्म किया जाएगा।
ज्यूरिस हॉल से लेकर वाशरूम तक होंगे दुरूस्त
वाइस चांसलर ने बताया कि हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत काम किया है। 4 करोड़ की लागत से सेंटर मेस शुरू की। कामर्स डिपार्टमेंट, उर्दू डिपार्टमेंट, न्यू लॉ बिल्डिंग, टैगोर लाइब्ररी में साइबर लाइब्ररी न्यू लॉ ज्यूरिस हॉल, 4 नए गर्ल्स और ब्वायज हॉस्टल, स्टूडेंट कल्चरल फैसिलिटी सेंटर, कैंटीन, 30 वाशरूम, 40 मार्डन क्लास रूम को दुरूस्त किया जा रहा है। कई कामों का टेंडर फाइनल स्टेज पर है तो कई कामों का शुभारंभ होने जा रहा है।इसके अलावा 40 वाटर कूलर भी छात्र सुविधाओं को ध्यान में रखकर आर्डर किए गए हैं।
डाटा रिसोर्स सेंटर से लेकर इन अहम कामों पर भी बोले वीसी
वाइस चांसलर ने अपने 1 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों का गुणगान करते हुए कहा कि 15 लाख के बजट से डाटा रिसोर्स सेंटर की स्थापना की जा रही है।यूनवर्सिटी की लेक्चर सीरीज को आगे बढ़ाया जा रहा है।कैशलेस फीस सब्मिशन करवाया जा रहा है।स्टूडेंट फीडबैक सिस्टम को ऑनलाइन करने के साथ साथ अब स्टूडेंट से दो अलग अलग फार्मेट में फीडबैक लिया जा रहा है। इसमें एडमिशनिस्ट्रेशन और फैकल्टी के बारे में अलग अलग फीडबैक लिया जा रहा है।मेधावी बच्चों की स्टूडेंट काउंसिल बनाई गई है।इनको सारे सामितियों का मेंबर बनाया गया है। इस साल प्री एडमिशन काउंसिलिंग सेशन किए गए हैं।स्टूडेंट ग्रीवयांस पोर्टल तैयार करवाया जा रहा है।कैंपस प्लेसमेंट में 85 कंपनियों ने विजिट करके 800 स्टूडेंट को इंटर्नशिप और रोजगार मुहैया करवाया है।3 जॉब फेयरों का सफल आयोजन हुआ है।127 नॉन टीचिंग स्टाफ को स्थाई किया गया है। तीन कंपनियों से एजूकेशन प्रोग्राम के लिए एमओयू साइन किया गया है।दो टीचरों ने प्रधानमंत्री स्किल डेवलपमेंट में ट्रेनिंग ली है।यूनिवर्सिटी के सारे पेमेंट आरटीजीएस में करना शुरू किया है।बीएलएड कोर्स को इनिशिएटिव लेकर शुरू किया।यूनिवर्सिटी के कामों में ट्रांसपेरेंसी के लिए सारी परचेस कमिटी ड्राप कर दी गई है।
इन कामों को न कर पाने का रहा मलाल
वीसी प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि जो काम हम नहीं कर पाए उसे भी हम करना चाहते हैं और समाधान तलाश रहे।इसमें सबसे बड़ी बात यूनिवर्सिटी को वाई फाई करना था।हमारे पास 1 करोड़ है और इसको लगाने में 9 से 10 करोड़ का बजट है। दीन दयाल उपाध्याय और भाऊराव देवरस शोधपीठ की स्थापना का अभिनव प्रयोग नहीं कर पाए।हमारे पास एक बड़े ऑडिटोरियम की दिक्कत है।नक्शा बना लिया लेकिन 30 करोड़ का बजट नही है।स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर नहीं है।एक छोटा एक्टिविटी सेंटर हमने मेट्रो के जिम्मे कर दिया है। पार्किंग की जिम्मेदारी भी मेट्रो को दी है।करीब 4.5 करोड़ का काम वो यूनिवर्सिटी में करवा रहे हैं।ये हमारा मेट्रो से टाई अप है।लेकिन एक बड़े स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर को भी बनाना होगा।न्यू कैंपस में दीनदयाल उपाध्याय गेट और सिंथेटिक जॉगिंग ट्रेक बनना है।हमारे सामने एक बड़ी प्रॉब्लम है कि हमें तीन बार इम्तेहान कराने पड़ते हैं। इनमें बीए, बीएससी और बीकॉम एनुअल मोड पर और बाकी सेमेस्टर मोड पर चल रहे।इसे सेमेस्टर मोड पर करना है।यह तब संभव होगा जब हम ऑनलाइन टेस्ट लेने की दशा में होंगे।