योगी सरकार देगी महिलाओं को रोजगार, ग्राम पंचायतों में होगी बीसी-सखी की तैनाती
बीसी सखी को शुरू के 06 माह तक 4000 रुपये प्रतिमाह का मानदेय दिया जायेगा और इसके बाद इनके द्वारा किए गए कार्यों पर इन्हे इंसेटिव दिया जायेगा।
लखनऊ: यूपी सरकार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार देने के लिए 59 हजार ग्राम पंचायतों में जल्द ही बीसी सखी ( बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी ) की तैनाती करने जा रही है। इसके लिए गांव की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिला या गांव के सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाली महिलाओं को वरीयता दी जायेगी। बीसी सखी को शुरू के 06 माह तक 4000 रुपये प्रतिमाह का मानदेय दिया जायेगा और इसके बाद इनके द्वारा किए गए कार्यों पर इन्हे इंसेटिव दिया जायेगा।
सरकार करेगी ग्रामीण क्षेत्रों में बीसी सखी की तैनाती
ग्रामीणों और स्वयं सहायता समूहों के बैंकिग कार्यों में बीसी सखी स्वयं सहायता समूह और बैंको के बीच समन्वय का काम करने के साथ ही सरकार द्वारा जन कल्याण की योजनाओं का लाभ लेने में भी ग्रामीणों की मदद करेंगी। बीसी सखी ग्रामीण परिवारों व स्वयं सहायता समूहों में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेंगे और वंचित परिवारों को वित्तीय सहायता दिलाने में भी सहायता करेंगी।
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बीसी सखी के चयन के बाद उनका पुलिस वैरीफिकेशन करवाने के बाद उनको राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा। बीसी सखी का एक ड्रेस कोड भी तय किया जायेगा। प्रशिक्षण के बाद बीसी सखी को काम करने के लिए राज्य आजीविका मिशन जरूरी उपकरण उपलब्ध करायेगा और 06 माह तक 4000 रुपये प्रति माह का मानदेय भी दिया जायेगा। 06 माह के बाद इन्हे इनके कार्यों से मिलने वाले इंसेटिव से इनकी आय होगी।
इसी माह पूरी हो जाएगी चयन प्रक्रिया
अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास मनोज कुमार सिंह के मुताबिक बीसी सखी के लिए मांगे गए ऑनलाइन आवेदन के तहत करीब 3.59 लाख पंजीकरण हुए थे। जिनमें से 2.51 लाख आवेदन सही पाए गए हैं। मौजूदा समय में इनकी चयन प्रक्रिया चल रही है, जिसके इसी माह पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इसमे स्वयं सहायता समूह की सबसे सीनियर सदस्य को वरीयता दी जा रही है। इसके अलावा ऐसे स्वयं सहायता समूह जो मौजूदा समय में निष्क्रीय हो।
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लेकिन इसकी सदस्य सक्रिय हो, उसे भी बीसी सखी में चयनित किया जा सकता है। इसके साथ ही ग्राम पंचायत के गरीबों और कमजोर वर्ग के हित में संघर्ष करने वाली महिला को भी बीसी-सखी के रूप में मौका दिया जा सकता है। लेकिन बीसी सखी बनने के लिए उनको किसी न किसी स्वयं सहायता समूह से सदस्य के रूप में जोड़ना होगा या एक अलग समूह बनाना होगा। बीसी-सखी के चयन में निर्धारित आरक्षण व्यवस्था भी लागू की जायेगी।