Lucknow News: KGMU में 120 बेड के सुपरस्पेशलिटी सेंटर की होगी शुरुआत, खुलेगा नया बोन बैंक

KGMU: कुलपति प्रोफेसर नित्यानंद ने बताया कि नया सुपरस्पेशलिटी भवन एमआरआई और सीटी स्कैन सुविधाओं सहित उन्नत तकनीक से लैस होगा। यह हमारी नैदानिक क्षमताओं में काफी सुधार करेगा।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-08-05 10:30 IST

Lucknow News: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) एक नए बोन बैंक और 120 बेड वाले सुपरस्पेशलिटी सेंटर की शुरुआत के साथ अपनी आर्थोपेडिक देखभाल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए तैयार है। केजीएमयू कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने इसकी घोषणा की है। 

ऑर्थोपेडिक विभाग में अब होंगे 280 बेड 

प्रोफेसर नित्यानंद ने कहा नया सुपरस्पेशलिटी भवन एमआरआई और सीटी स्कैन सुविधाओं सहित उन्नत तकनीक से लैस होगा। यह हमारी नैदानिक क्षमताओं में काफी सुधार करेगा। हम अपनी सेवाओं को और बढ़ाने के लिए रोबोटिक सर्जरी को जोड़ने पर भी विचार कर रहे हैं। जल्द ही शुरू होने वाला विस्तार आर्थोपेडिक विभाग में बिस्तरों की कुल संख्या 280 तक बढ़ा देगा। जिससे यह किसी भी अस्पताल में अपनी तरह की सबसे बड़ी सुविधा बन जाएगी। इससे रोगी के प्रतीक्षा समय में कमी आएगी और देखभाल तक पहुंच में सुधार होगा।

सुचारू संचालन के लिए हुई नर्सों की भर्ती

वर्तमान में ऑर्थोपेडिक विभाग में 160 बेड हैं। जो अक्सर भरे रहते हैं। जिसके कारण प्रतीक्षा समय बढ़ जाता है। विस्तार में बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक्स के लिए 60 बिस्तर और खेल चोट आर्थोपेडिक्स के लिए 60 बिस्तर शामिल होंगे, जो क्षेत्र के भीतर विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। आर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आशीष कुमार ने बताया कि नई सुविधा को संचालित करने के लिए हम आठ और संकाय सदस्यों को जोड़ेंगे। 70 अतिरिक्त पदों के अनुरोध के साथ पहले ही 47 नई नर्सों की भर्ती कर चुके हैं। इससे सुचारू संचालन और कुशल रोगी देखभाल सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि ये अपग्रेड एक छत के नीचे उन्नत इमेजिंग सेवाओं को समेकित करेंगे, जिससे मरीजों को कई स्थानों पर जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

बोन बैंक की होगी स्थापना 

ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि एक करोड़ रुपए के निवेश से नए बोन बैंक की स्थापना होगी। उन्होंने बताया कि हड्डी बैंक प्रत्यारोपण के लिए हड्डी के ऊतकों को इकट्ठा, संसाधित, संग्रहीत और वितरित करेगा, ठीक उसी तरह जैसे ब्लड बैंक संचालित होते हैं। यह हड्डी उन अंगों से निकाली जाएगी जिन्हें संक्रमण के अलावा किसी अन्य चिकित्सीय कारण से काटा गया था।



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