IAS Rajneesh Chandra: कौन हैं आईएएस रजनीश चंद्र, जिन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनायी अनोखी सजा

IAS Rajneesh Chandra: जिस आईएएस अधिकारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह सजा सुनायी। उनका नाम रजनीश चंद्र है। वह उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं।

Update:2024-12-21 11:21 IST

आईएएस रजनीश चंद्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बैठे रहने की सुनायी सजा (सोशल मीडिया)

IAS Rajneesh Chandra: अवमानना के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसर को अनोखी सजा सुनायी। जैसे ही आईएएस अधिकारी कोर्ट के सामने पेष हुए। जज ने उनसे कहा कि जब तक कोर्ट उठ न जाए। तब तक आपको यहीं बैठना होगा। यहीं नहीं कोर्ट ने आईएएस अफसर पर दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। कहा कि अगर चार जनवरी 2025 तक जुर्माने की रकम का भुगतान नहीं हुआ तो अतिरिक्त सजा सुनायी जाएगी। जज का आदेश सुनते ही आईएएस अधिकारी चुपचाप कोर्ट में बैठ गये और तब तक बैठे रहे जब तक कोर्ट उठ नहीं गयी।

जिस आईएएस अधिकारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह सजा सुनायी। उनका नाम रजनीश चंद्र है। वह उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं। 13 अक्टूबर 2021 को रजनीश चंद्र आईएएस कैडर में पदोन्नत हुए थे। प्रमोशन के बाद 30 अक्टूबर 2021 तक रजनीश चंद्र अपर निदेशक समाज कल्याण और सचिव एससी-एसटी रहे। इसके बाद उनकी तैनाती समाज कल्याण विभाग में बतौर विशेष सचिव हुई। तब से वह इसी पद पर तैनात हैं।

कौन हैं आईएएस रजनीश चंद्र

आईएएस अफसर रजनीश चंद्र का जन्म लखीमपुर जनपद में साल 1966 में हुआ था। स्नातक और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद रजनीश चंद्र ने सिविल सर्विस की तैयारी की। उनका सेलेक्शन प्रांतीय सिविल सर्विस (पीसीएस) में हुआ। पीसीएस अधिकारी बनने के बाद रजनीश चंद्र कई जनपदों में एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, सीडीओ और एडीएम के पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

महिला टीचर ने दायर की थी याचिका

फतेहपुर की सहायक अध्यापिका सुमन देवी की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने विशेष सचिव रजनीश चंद्र को न्यायालय में बैठने की सजा दी थी। याचिका के अनुसार सुमन देवी फतेहपुर जनपद के डॉक्टर बीआर अंबेडकर शिक्षा सदन में सहायक अध्यापिका थीं। विद्यालय का संचालन समाज कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है।

अप्रैल 2022 को सुमन देवी ने अवकाश प्राप्त किया और बीच सत्र में रिटायर होने के चलते शिक्षिका ने नियमानुसार सत्र लाभ देने के लिए आवेदन किया। उनके आवेदन को समाज कल्याण विभाग ने अस्वीकार कर दिया। इस पर सुमन देवी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दिया। जब विभाग को इसकी जानकारी हुई तो उन्हें सत्र लाभ दे दिया। यहीं नहीं विद्यालय में शिक्षिका को जॉइन करने का भी निर्देश दिया गया।

सुमन देवी ने 21 जनवरी 2023 को विद्यालय में फिर जॉइन किया। हालांकि अप्रैल 2022 से लेकर 21 जनवरी 2023 तक शिक्षिका के वेतन का भुगतान नहीं किया। इसके पीछे विभाग ने तर्क दिया कि इस दौरान शिक्षिका ने कोई कार्य नहीं किया है। इसलिए वह वेतन की हकदार नहीं हैं। सुमन देवी ने इसके खिलाफ भी उच्च न्यायालय में गुहार लगायी। कोर्ट ने सुमन देवी की याचिका मंजूर करते हुए समाज कल्याण विभाग को वेतन भुगतान करने का आदेश दिया।

कोर्ट के आदेश के बावजूद आईएएस रजनीश चंद्र ने आदेश पारित करते हुए कहा कि शिक्षिकासुमन देवी ने जब कोई कार्य नहीं किया तो उन्हें वेतन नहीं दिया जाएगा। इस आदेश की प्रति लेकर सुमन देवी ने इसको लेकर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर दिया। कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के पुराने आदेशों को देखा। जिसके बाद कोर्ट ने आदेश की स्पष्ट अवमानना मानते हुए विशेष सचिव रजनीश चंद्र, जिला पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण अधिकारी प्रसून राय और जिला समाज कल्याण अधिकारी फतेहपुर को तलब किया।

कोर्ट के आदेश पर विशेष सचिव रजनीश चंद्र हाई कोर्ट के समक्ष पेश हुए। रजनीश चंद्र ने हलफनामा दायर कर माफी मांगी। साथ ही कहा कि याचिका कोर्ट के सभी आदेशों का पालन कर दिया गया है। सुमन देवी के बकाया भुगतान भी हो चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी हाईकोर्ट ने विशेष सचिव की माफी स्वीकार नहीं की और उन्हें कोर्ट के उठने तक बैठे रहने की सजा सुना दी।

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