AKTU: शैल उत्सव में कलाकृतियां देखने उमड़े कलाप्रेमी, महिला मूर्तिकार ने ज्ञान की संरचनाओं का इस्तेमाल कर बनाई कृतियां

AKTU: मूर्तिकार निधि सभाया विज्ञान की संरचनाओं पर आधारित कृतियां बना रही हैं। वड़ोदरा के एमएस यूनिवर्सिटी से दो वर्ष पहले कला शिक्षा प्राप्त करने वाली निधि की कृतियों में छोटे-बड़े कई तरह के आकार और छेदनुमा आकृतियां दिखाई देती हैं।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-10-15 20:00 IST

Lucknow News: एकेटीयू के वास्तुकला एवं योजना संकाय और एलडीए की ओर से आयोजित आठ दिवसीय अखिल भारतीय समकालीन मूर्तिकला शिविर शैल उत्सव के दूसरे दिन पत्थरों में आकृतियां उभरने लगी। देश के पांच राज्यों से आए 10 कलाकारों ने शिविर के दूसरे दिन पत्थर में आकृतियों को उकेरना शुरू किया। साथ ही शहर के कई कलाकार, विद्यार्थी और कला प्रेमी कलाकृतियों को देखने पहुंचे।


महिला मूर्तिकार ने बनाई कलाकृतियां

शिविर में गुजरात के अहमदाबाद से आई युवा महिला मूर्तिकार निधि सभाया विज्ञान की संरचनाओं पर आधारित कृतियां बना रही हैं। वड़ोदरा के एमएस यूनिवर्सिटी से दो वर्ष पहले कला शिक्षा प्राप्त करने वाली निधि की कृतियों में छोटे-बड़े कई तरह के आकार और छेदनुमा आकृतियां दिखाई देती हैं। अवनी का मानना है कि यह मूर्तियों में ब्रीदिंग स्पेस की तरह कार्य करती है। निधि ने बताया कि वह ज्यादातर मार्बल का इस्तेमाल करती हैं। क्योंकि मार्बल एक ऐसा माध्यम है जिसमें संभावनाएं ज्यादा होती हैं। शिविर समन्वयक भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि शिविर का विषय प्रकृति है। सभी कलाकार इसी विषय पर अपने अपने विचारों को पत्थर पर मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं। सभी कलाकारों से उनके कार्यों पर बातचीत व साक्षात्कार करने का काम शिविर के डॉक्यूमेंटेशन टीम में रत्नप्रिया और छायाकार हर्षित कर रहे हैं।


प्रकृति संग अलग रिश्ता मानती हैं अवनी

शैल उत्सव में दूसरी महिला मूर्तिकार गुजरात के सूरत से आई अवनी पटेल हैं। उन्होंने बताया कि मेरा विषय मुख्यतः स्वयं के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव व प्रकृति पर आधारित होते हैं। इनका मानना है कि हमारा प्रकृति के साथ एक अलग रिश्ता होता है। अवनी का कहना है कि वह जल, चन्द्रमा आदि प्राकृतिक चीजों से एक अलग ही लगाव महसूस करती हैं। इन्हें माध्यम में गुलाबी व काला मार्बल विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा यह अपने कृतियों में ब्रांस के विभिन्न आकारों का भी समय-समय पर प्रयोग करती हैं।

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