Lucknow University: जेआरएफ शोधार्थियों की मांगों पर विचार के लिए समिति का हुआ गठन

Lucknow University: प्रवक्ता प्रो. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि जेआरएफ की बायोमीट्रिक आदेश वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रति कुलपति की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-09-03 14:30 GMT

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में बायोमीट्रिक अटेंडेंस की अनिवार्यता करने के आदेश का विरोध कर रहे जेआरएफ शोधार्थियों की मांगो के लिए समिति का गठन किया गया है। प्रति कुलपति की अध्यक्षता में इस समिति को बनाया गया है। प्रदर्शनकारियों की मांगों पर विचार कर समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। बता दें कि बीते दिन यानी सोमवार को जेआरएफ शोधार्थियों ने एलयू में जमकर प्रदर्शन किया था।

बायोमेट्रिक आदेश पर विचार के लिए समिति गठित

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि जेआरएफ की बायोमीट्रिक आदेश वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रति कुलपति की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। यह समिति जेआरएफ की मांगों पर विचार करेगी। साथ ही जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट भी पेश करेगी।

शोधार्थियों ने सोमवार को किया था प्रदर्शन

बायोमीट्रिक अटेंडेंस से शोधकार्य और उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। शोधार्थी केवल अटेंडेंस तक ही सीमित होकर रह जाएगा। एलयू से सम्बद्ध रायबरेली, हरदोई, लखीमपुर, सीतापुर के कॉलेजों में शोध कर रहे शोधार्थियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ेगी। जब राज्य के किसी भी केंद्रीय या राज्य विश्वविद्यालय में यह व्यवस्था नहीं लागू हैं तो लखनऊ विश्वविद्यालय में ही क्यों। यह सवाल लखनऊ विश्वविद्यालय में बायोमीट्रिक अटेंडेंस की अनिवार्यता करने के आदेश का विरोध कर रहे जेआरएफ ने उठाए थे। प्रशासनिक भवन पर सैकड़ों की संख्या में जेआरएफ ने सोमवार को प्रदर्शन किया। जेआरएफ ने विवि प्रशासन से आदेश वापस लेने की गुहार लगाई। इस दौरान धरने की सूचना पाकर प्रॉक्टोरियल बोर्ड से जेआरएफ की नोकझोक हुई। विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज अरविंद तिवारी भी मौके पर पहुंचे। तकरीबन एक घंटे तक चले धरने के दौरान सभी जेआरएफ कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय से मिलने पर अडे रहे। लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। कई बार जेआरएफ ने प्रशासनिक भवन के भीतर जाने की कोशिश की। लेकिन चैनल पर ताला लगा दिया गया। इसके बाद जेआरएफ ने कुलपति को संबोधित अपना मांग पत्र मुख्य कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी को सौंपा। जिस पर मुख्य कुलानुशासक ने आश्वासन दिया कि मांग पत्र पर विचार किया जाएगा।

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