Lucknow News: ख्वाहिशों से जुड़े अनछुए मुद्दों पर युवा महिलाओं ने बाँटे अनुभव, सीखे गुर

Lucknow News: सभी प्रतिभागियों को लखनऊ की मशहूर फेमिनिस्ट औरतों के एतिहासिक काम और पुश्तैनी घरो का वॉक कराया गया। जैसे- कला कोठी, अमृतलाल नागर की कोठी और बेग़म अख्तर की मज़ार।

Update:2023-06-16 18:07 IST
(Pic: Newstrack)

Lucknow News: बुलंद आवाज़ें: नई बातें और मुलाक़ातें कार्यक्रम का दूसरा दिन बहुत ही उत्साह और लखनऊ की गलियों की ऐतिहासिक जानकारियों के साथ गुज़रा। साथ ही पहले दिन में हुई खुली चर्चाओं ने प्रतिभागियों के मन में सीखने की उत्सुकता बढ़ाई। दिन की शुरुआत पहले सत्र के पैनल डिस्कशन से हुई. इस सत्र को द थर्ड आई (दिल्ली) से दीप्ता भोग द्वारा संचालित किया गया। उन्होंने युवा महिलाओं से उनके करिअर, चॉइस और काम के सफ़र को लेकर चर्चा किया। महिलाओं के लिए ये पैनल डिस्कशन एक सुरक्षित जगह थी । जहाँ वे बता पाईं की कैसे उन्होंने अपने खुद की चॉइस को ऊपर रख कर अपने करिअर को चुना और अब वे अपनी जिंदगी अपनी इच्छा से जी रही हैं।सत्र का शीर्षक था-कार्यस्थल में महिलायें: आज़ाद, उड़ान और पहचान।

दूसरे सत्र में फ़िल्म की स्क्रीनिंग हुई। रात में सड़कों पर महिलाओं की आवाजाही- प्रतिभागियों को डॉक्यूमेंटेरी फिल्म “रात” दिखाई गयी। यह फिल्म डिजिटल एजुकेटर, द थर्ड आई दिल्ली द्वारा निर्मित की गई है। यह बहुत ही चर्चित फिल्म है जिसे कई राज्य और देश में दिखाया गया है। फिल्म पर चर्चा के दौरान कई युवा महिलाओं ने रात से जुड़ी उनकी उत्सुकता और डर के बारे में अपने अनुभव बताएं। एक युवा महिला ने बताया की उन्हें रात की सुनसान सड़कों पर साईकिल चलाने का बहुत शौक है । लेकिन उन्हें घर से कभी इजाज़त नहीं मिली की वे अपने मन का करें, आज भी उन्हें इस बात का अफ़सोस है, लेकिन इनका प्रयास जारी है।

तीसरा सत्र डीप लर्निंग सेशन: अलबेली बातों के इर्द गिर्द रहा। यह सत्र तीन अलग- 2 सेशन रूम में संचालित हुआ जिसका विषय था, इनएक्सेसेबल पब्लिक स्पेस, सड़कों पर महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा और कार्यस्थल में महिलाओं का नेविगेशन। प्रतिभागियों ने सत्रों के दौरान जाना की पब्लिक स्पेस में महिलाओं को क्या चुनौतियाँ आती है। वे उनसे वे कैसे निपटती हैं, साथ ही उससे जुड़े कानून पर भी चर्चा हुई। इन सत्रों के मुख्य फैसिलिटेटर रहे ऋचा रस्तोगी, पूनम कथूरिया और नितिका पंत जी. इन्होंने इन मुद्दों से जुडे अपने तजुर्बे और सीख सभी प्रतिभागियों के साथ बाटें।

फेमिनिस्ट वॉक और गड़बड़ झाले की ख़रीदारी पर भी एक सत्र रहा। सभी प्रतिभागियों को लखनऊ की मशहूर फेमिनिस्ट औरतों के एतिहासिक काम और पुश्तैनी घरो का वॉक कराया गया। जैसे- कला कोठी, अमृतलाल नागर की कोठी और बेग़म अख्तर की मज़ार। इस वॉक के दौरान प्रतिभागियों ने नारीवादी नज़रिए से जाना कि लखनऊ के इतिहास में महिलाओं का किन- किन क्षेत्रों में योगदान रहा है, और आज उनके योगदान को कैसे याद किया जाता है। इसी दौरान गड़बड़झाला में ख़रीदारी करने के लिए गए. प्रतिभागियों ने मनमोहक और आकर्षक कान के झाले और चूड़ियाँ ख़रीदें। उन्होंने ने बताया कि ये मज़ेदार पल/सफ़र उनकी ज़िन्दगी का पहला अनुभव है।

पाँचवाँ सत्र मस्क्यूरेड पार्टी रहा। आर्ट थेरेपी के साथ आज की शाम का जश्न शुरू हुआ। प्रतिभागियों ने खुशनुमा माहौल बनाते हुए अपने ख़ास अंदाज़ में आज की शाम का आगाज़ किया। जहाँ उन्होंने मस्क्यूरेड पार्टी के ज़रिये मुखौटों से अपने ख्वाहिशें, चॉइस और सपनों को सजाया और दर्शाया। इस जश्न में अतिथि के रूप में मौजूद रही- मरियम (सद्भावना ट्रस्ट), श्वेता पवार और कुलसुम (द थर्ड आई दिल्ली). आज दूसरे दिन का समापन उर्जावान तरीके और पार्टी के साथ हुआ।

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