Lucknow News: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर आपत्ति, विरोध प्रदर्शन की चेतावनी, पक्षपाती और पसमांदा समाज के अधिकारों का हनन, अनीस मंसूरी
Lucknow News Today: पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि पसमांदा समाज वक्फ संपत्तियों का सबसे बड़ा हकदार है, लेकिन इतिहास में हमेशा उनके साथ भेदभाव किया गया है।;
Lucknow News in Hindi: वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह विधेयक न केवल वक्फ संपत्तियों के मूल उद्देश्य को कमजोर करेगा, बल्कि इससे पसमांदा समाज के गरीब, वंचित और बेसहारा वर्ग के अधिकारों का पूरी तरह से हनन होगा।
वक्फ का उद्देश्य और उसकी वर्तमान स्थिति
अनीस मंसूरी ने कहा कि इस्लाम में वक्फ की अवधारणा गरीबों, यतीम बच्चों, बेवा औरतों, और समाज के वंचित वर्गों की मदद के लिए की गई थी। हालांकि, वक्फ संपत्तियों का उपयोग इन वर्गों की सहायता के लिए न होकर, अब प्रभावशाली लोगों के लाभ के लिए किया जा रहा है।
विधेयक में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ाने के प्रावधान पर अनीस मंसूरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे वक्फ की धार्मिक और सांस्कृतिक संरचना के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है।
विवाद निपटारे के लिए न्यायाधिकरण पर सवाल
विधेयक में विवाद निपटाने के लिए स्वतंत्र न्यायाधिकरण का प्रावधान है, लेकिन मंसूरी ने कहा कि इसकी संरचना और स्वायत्तता संदिग्ध है। उनका मानना है कि यह न्यायाधिकरण सरकार के नियंत्रण में होगा और इसका उद्देश्य निष्पक्षता से अधिक सरकारी एजेंडे को लागू करना होगा।
पसमांदा समाज का हक छीना जा रहा है
पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि पसमांदा समाज वक्फ संपत्तियों का सबसे बड़ा हकदार है, लेकिन इतिहास में हमेशा उनके साथ भेदभाव किया गया है। अब यह विधेयक इन संपत्तियों को पसमांदा समाज से पूरी तरह छीनने की कोशिश है।
पसमांदा मुस्लिम समाज की मांगें
विधेयक से गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान हटाया जाए।
वक्फ संपत्तियों का उपयोग गरीबों, विधवाओं और यतीम बच्चों के कल्याण के लिए हो।
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए पसमांदा समाज के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
विवाद निपटारे के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायाधिकरण बनाया जाए, जिसमें सरकार का हस्तक्षेप न हो।
सरकार पर आरोप और विरोध प्रदर्शन की चेतावनी
पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी कब्जा स्थापित करने की कोशिश है। उन्होंने इसे वंचित वर्गों का शोषण करार दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विधेयक में संशोधन नहीं किया गया। तो पसमांदा मुस्लिम समाज देशभर में लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करेगा।