Lucknow News: अचानक Heart Attack आने पर लखनऊ नगर निगम के कर्मचारी भी दे सकेंगे CPR, केजीएमयू के डॉक्टरों ने दी ट्रेनिंग
Lucknow News: लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल की डॉक्टरों की टीम ने लखनऊ नगर निगम के कार्यालय में एक वर्कशॉप का आयोजन करते हुए वाहन के कर्मचारियों को CPR की ट्रेनिंग दी।;
Lucknow News: राह चलते अक्सर हार्ट अटैक की घटनाएं सामने आती हैं, ऐसे में लोगों को CPR देने की सही जानकारी न होने की वजह से मरीज देरी होने के चलते अपनी जान से भी हाथ धो बैठता है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों की ओर से सभी को CPR की जानकारी रखने की हिदायत दी जाती है। इसी के चलते बुधवार को लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल की डॉक्टरों की टीम ने लखनऊ नगर निगम के कार्यालय में एक वर्कशॉप का आयोजन करते हुए वाहन के कर्मचारियों को CPR की ट्रेनिंग दी। केजीएमयू के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर ने ट्रेनिंग के दौरान कहा कि जागरूकता और ट्रेनिंग किसी की जान बचाने में काम आ सकती है।
हार्ट अटैक में इमरजेंसी ट्रीटमेंट देने का सबसे बेहतर माध्यम है CPR
आपको बता दें कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट में दिए जाने वाला एक इमरजेंसी ट्रीटमेंट है। यह ट्रीटमेंट रोगी को तब दिया जाता है, जब किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन अचानक रुक जाती है। इस स्थिति में सीपीआर देकर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। इसी के चलते बुधवार को नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों को केजीएमयू के कार्डियोलॉजी विभाग में प्रो. ऋषि सेठी ने वर्कशॉप करके जागरूक व ट्रेंड किया।
कमेटी हॉल में हुई ट्रेनिंग, कर्मचारियों को कराया गया CPR का अभ्यास
नगर निगम कार्यालय में इस वर्कशॉप में लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल, नगर निगम कमिश्नर इंद्रजीत सिंह, समस्त अपर नगर आयुक्त, अधिकारीगण और समस्त नगर निगम के कर्मचारी मौजूद रहे। नगर निगम मुख्यालय में बाबू राजकुमार श्रीवास्तव कक्ष यानी कमेटी हॉल में सीपीआर देने को लेकर ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान प्रो. ऋषि सेठी ने नगर निगम के कर्मचारियों को डेमो सीपीआर देकर बताया। इसके साथ ही नगर निगम के ही कर्मियों को मंच पर बुलाकर उनसे सीपीआर देने का अभ्यास भी कराया गया।
डॉक्टर ने बताया 'CPR देते समय किन बातों का रखें खास ध्यान'
डॉ. सेठी ने ट्रेनिंग के दौरान बताया कि सीपीआर बेसिक लाइफ सपोर्ट का एक पार्ट है, जिसकी मदद से हार्ट और लंग्स को पूरी तरह जिंदा रखा जाता है। इसमें सेफ्टी का ध्यान रखना चाहिए। कार्डियक अरेस्ट होने पर मरीज का रिस्पॉन्स देखते हैं कि वह जिंदा है या बेहोश हुआ है। अगर वह रिस्पॉन्स नहीं देता है तो मेडिकल हेल्प तुरंत लेनी चाहिए। अस्पताल पहुंचने तक मरीज की पल्स रेट जरूर चेक करें। गले से भी पल्स (केरोटेड पल्स) को चेक करते रहें। ये पल्स हर 10 सेकेंड में चेक करना होता है। अगर केरोटेड पल्स और सांस नहीं मिल रही तो चेस्ट को कम्प्रेसन यानी दबाएं। यह भी सीपीआर का ही हिस्सा होता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी को हार्ट अटैक आने के 1 मिनट के अंदर सीपीआर दे दिया जाए तो उसके बचने की संभावना 22% होते हैं, जबकि अगर किसी को 39 मिनट बाद सीपीआर देते हैं तो यह सिर्फ 1% ही होता है।