Lucknow University: गर्भवती महिलाओं का अजन्मे बच्चों के प्रति दिखा कम लगाव, LU के शोध में खुलासा

डॉ. अर्चना शुक्ला के अनुसार गर्भ संस्कार विषय पर किए गए शोध के पहले स्टेज में सौ गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया था। इन महिलाओं में विभिन्न पहलुओं का आंकलन किया गया है। जिसमें बच्चे के प्रति लगाव, मानसिक स्वास्थ्य और होने वाले बच्चे के प्रति उनकी सोच शामिल हैं।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-04-05 07:00 GMT

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय की पीएचडी छात्रा ने गर्भ संस्कार के विषय पर शोध किया है। एलयू उत्तर प्रदेश में इस विषय में शोध कराने वाला पहला विश्वविद्यालय बन गया है। बता दें कि राज्यपाल ने गर्भ संस्कार विषय की पढ़ाई शुरू करने को कहा था। वर्ष 2020 में इस विषय पर कोर्स की शुरुआत हुई।

पीएचडी छात्रा ने गर्भ संस्कार पर की रिसर्च

पीएचडी छात्रा प्रज्ञा वर्मा ने गर्भ संस्कार विषय पर शोध किया है। एलयू के मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. अर्चना शुक्ला छात्रा की पर्यवेक्षक रहीं। डॉ. अर्चना शुक्ला के मुताबिक इस शोध से गर्भवती महिलाओं में होने वाले बच्चों के प्रति लगाव को बढ़ाने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिली है। प्रज्ञा ने तीन साल और तीन महीने में अपनी पीएचडी पूरी की है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस विषय की पढ़ाई शुरू करने को कहा था। पाठ्यक्रम में बदलाव कर एलयू में साल 2020 से गर्भ संस्कार पर कोर्स शुरू कर दिया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय इस विषय में रिसर्च कराने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।

पहले चरण में 100 महिलाएं शामिल

मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. अर्चना शुक्ला के अनुसार गर्भ संस्कार विषय पर किए गए शोध के पहले स्टेज में सौ गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया था। इन महिलाओं में विभिन्न पहलुओं का आंकलन किया गया है। जिसमें बच्चे के प्रति लगाव, मानसिक स्वास्थ्य और होने वाले बच्चे के प्रति उनकी सोच शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बीस प्रतिशत महिलाओं में जन्म लेने वाले बच्चे के प्रति लगाव कम था। ऐसी महिलाओं का मानना था कि बच्चों के स्वास्थ्य में दूसरे की सलाह और डॉक्टर की दवाई का ही असर पड़ता है। जिससे वह बच्चों के प्रति किसी तरह के प्रयास को आवश्यक नहीं मानती थी।

दूसरे चरण में हुई महिलाओं की काउंसलिंग

गर्भ संस्कार पर किए शोध के दूसरे चरण में गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग की गई। इसके लिए 25 महिलाओं का चयन किया गया था। इनमें जन्म लेने वाले बच्चों के प्रति लगाव कम देखा गया। गर्भवती महिलाओं में चिड़चिड़ापन, स्ट्रेस, शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं थी। विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना शुक्ला ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को गर्भ की आयु के हिसाब से योग, संगीत, पूजा पाठ, खान पान के बारे में बताया गया। इसके बाद महिलाओं को शुगर और ब्लड प्रेशर की दिक्कत से आराम मिला।

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