Urdu Academy Controversy: उर्दू अकादमी सचिव के विरोध में सभी कर्मचारी हुए लामबंद, किया कार्य बहिष्कार

Urdu Academy Controversy: उर्दू अकादमी में सचिव के कार्यो और सचिव की भाषा शैली को लेकर सभी कर्मचारियों के बीच नाराजगी है। जिसके चलते अकादमी के कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच संघर्ष माहौल है।

Report :  Jyotsna Singh
Update:2024-11-05 16:24 IST

उर्दू अकादमी सचिव के विरोध में सभी कर्मचारी हुए लामबंद, किया कार्य बहिष्कार: Photo- Newstrack

Urdu Academy Controversy: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी में सचिव के कार्यो और सचिव की भाषा शैली को लेकर सभी कर्मचारियों के बीच नाराजगी है। जिसके चलते अकादमी के कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच संघर्ष माहौल है। सचिव शौकत अली के विरोध में सभी कर्मचारी लामबंद होकर कार्य बहिष्कार करते हुए अकादमी के गेट पर इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया।

उर्दू अकादमी, उर्दू आईएएस स्टडी सेंटर और कंप्यूटर सेंटर के सभी कर्मचारी विरोध में सामने सामने हैं। सभी ने सचिव के खिलाफ सामूहिक पत्र भी हस्ताक्षर कर अपना मुखर विरोध दर्ज किया है।

इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के मीडिया सेन्टर कोर्डिनेटर आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के कर्मचारियों द्वारा अनियमितताओं को सामने लाया जाना है जिनमें मुख्य तौर पर पूर्व में छः माह से कार्यरत सचिव को पता नहीं क्यों हटाकर शौकत अली, अनुभाग अधिकारी उर्दू अनु०-२ उ०प्र० सचिवालय को सचिव उर्दू अकादमी का अतिरिक्त चार्ज दे दिया गया।

चार्ज लेते ही केवल ऐसे कार्यों एवं योजनाओं के निस्तारण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है एवं बल दिया जा रहा है जिनको किये जाने का या तो अवसर नहीं है या जिनका निस्तारण किया जाना पूर्ण रुपेण असंवैधानिक, अनुचित और नियम विरूद्ध है जो इस प्रकार है -


1. सॉफ्ट वेयर विकसित कराया जानाः

अकादमी में एकाउंट एवं छात्रवृत्ति आदि साफ्ट वेयर बनवाये जाने की योजना है जिसपर लगभग 20 से 25 लाख रूपये की लागत आंकी गयी है। जिसके लिये दो बार टेण्डर कराया गया और दोनों बार निरस्त करना पड़ा। किन्तु सचिव महोदय को इस कार्य में इतनी रुचि है कि पुनः तीसरी बार भी टेण्डर Upload करवा दिया गया किन्तु किसी भी साफ्ट वेयर की अप्रैल 2025 से पूर्व कोई विशेष आवश्यकता है ही नहीं। इसके अतिरिक्त वर्तमान समय में कार्यकारिणी समिति एवं चेयरमैन कार्यरत नही हैं, ऐसी स्थिति में इतनी बड़ी धनराशि व्यय किये जाने हेतु सहमति/अनुमोदन किससे प्राप्त किया जायेगा। यह एक प्रश्न चिन्ह है जबकि सचिव उक्त व्यय / भुगतान हेतु सक्षम नहीं है। किन्तु सचिव महोदयको इससे कोई सरोकार व भय नही है। उक्त कार्य निस्तारण हेतु कर्मचारियों को डराना धमकाना जारी है।

2. कार्यक्रम योजनाः

नियमानुसार कार्यकारिणी समिति एवं चेयरमैन के अभाव में किसी भी नये कार्य के निस्तारण एवं नई योजनाओं का संचालन सम्भव नही है फिर भी बड़ी-बड़ी धनराशि के कार्यक्रम जैसे मुशायरा, सेमिनार आदि स्वीकृत किये जा रहे हैं। इस योजना के तहत निम्न स्तरीय (कनिष्ठ लिपिक) कर्मचारियों की कमेटी बनाकर कार्यक्रम आवंटित किये गये यह प्रकिया सचिव द्वारा किस नियम किन दिशा निर्देश के अन्तर्गत अपनाई जा रही है पता नही जबकि यह पूरी तरह अनियमित एवं अनुचित तो है ही साथ ही घोर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में भी आती है। अब ऐसे मनमाने एवं अनुचित कार्य भी निस्तारण हेतु मना करने का साहस कर्मचारी नही कर सकते।

3. अकादमी प्रचार प्रसारः

दो वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री जी द्वारा गठित उस समय कार्यरत कार्यकारिणी समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि उर्दू अकादमी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कराया जाये विशेषकर सदस्यों के जिला में किन्तु कार्यकारिणी का कार्यकाल सामप्त हो गया जिसके चलते इसके अनुसार पूर्व सचिव द्वारा इस आशा में कि शीघ्र ही कार्यकारिणी का पुनर्गठन हो जायेगा प्रचार-प्रसार का टेण्डर करा दिया गया । किन्तु कर्मचारियों द्वारा अग्रेत्तर कार्यवाही के लिये मनाकर दिया गया कि भुगतान हेतु उच्च स्तर पर अनुमोदन किससे प्राप्त किया जायगा। और इस समय कार्यकारिणी सदस्य भी नहीं जिनके जनपदों का चयन प्रचार प्रसार हेतु किया जा सके ऐसी स्थिति में इतनी बडी अर्थात रूपये 45.00 लाख का भुगतान किया जाना सम्भव नहीं है।

इस परामर्श के फलस्वरूप पूर्व सचिव ने इस कार्य को होल्ड पर डाल दिया बल नही दिया। अब यही बात वर्तमान सचिव को बताई व समझाई जा रही है। किन्तु वह कुछ सुनने व समझने को तैयार नहीं हैं। वे कहते है मैं जो कह रहा हूँ आप वह करिये आप सरकारी कार्य से इनकार नहीं कर सकते। ठेकेदार को बुलाते रहते हैं पता नहीं क्या रणनीति बना रहे है। कर्मचारियों की नौकरी ले लेने तक की घौंस दे रहे है। हम छोटे कर्मचारी किस प्रकार इस अनुचित, असंवैधानिक कार्य का निस्तारण कराये बहुत चिंतित है हम लोग।

4. आई०ए०एस० स्टडी सेण्टर में सेवा प्रदान कर रही कोचिंग का भुगतान:

आई०ए०एस०स्टडी सेण्टर के विषय में दर्शाये गये एक अत्यंत गम्भीर कृत मान्यवर की जानकारी में लाया जाना अति आवश्यक है। यह कृत वित्तीय नियमों के साथ खिलवाड एवं खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार है। वह यह कि उक्त सेण्टर में छात्रों को ट्रेनिंग दिये जाने हेतु नामी कोचिंग को कार्य सौपा गया है इसके लिए रूपये की वार्षिक धनराशि निर्धारित की गई थी और 50 प्रतिशत धनराशि पूर्व में भुगतान की जा चुकी है। तथा शेष 50 प्रतिशत धनराशि कार्य पूर्ण हो जाने के पश्चात अर्थात दिसम्बर 2024 के बाद देय है। किन्तु सचिव उर्दू अकादमी द्वारा अवशेष भुगतान पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए लगभग तीन माह पूर्व ही पूर्ण भुगतान करवा दिया गया इसकी क्या आवश्यक्ता एवं क्या औचित्य था स्पष्ट नहीं है।

वही दूसरी ओर कार्यालय द्वारा इस अनियमित भुगतान का पूर्णरूपेण विरोध किया गया कि Shedule के अनुसार दिनांक 15 अक्टूबर, 2024 से नये बैच की कक्षायें प्रारम्भ होनी है। भुगतान प्राप्त हो जाने के पश्चात गुणवत्ता प्रभावित होनी स्वभाविक है। छात्रों द्वारा शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात एवं छात्रों का Feed Backलिये जाने के बाद ही भुगतान किया जाना उचित होगा। किन्तु सचिव महोदय द्वारा एक बात नहीं सुनी गयी उलटे नौकरी ले लेने एवं प्रतिकूल प्रविष्टि देने की धौंस देकर।

पत्रावली पर भुगतान हेतु की गई विवशता एवं सम्भव न होने सम्बन्धी टिप्पणी को नकारते हुए स्वयंतत्काल भुगतान के आदेश जारी किये गये जबकि नियमानुसार अपारिहार्य भुगतान हेतु भी कम से कम एक स्तर ऊपर का अनुमोदन आवश्यक होता है। यह एक चिंता जनक एवं गम्भीर मुददा है यदि इसको संज्ञान में नही लिया गया तो आगे अनेक अनुचित कार्यों की रणनीति तैयार की जा रही है इनके द्वारा।


5. फर्जी नियुक्तियां:

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में नियमित नियुक्तियों केसाथ-साथ संविदा एवं आउट सोर्स भर्तियों पर भी पाबंदी आयद है। किसी भी विभाग में तथा भाषा विभाग के नियन्त्रण में कार्यरत भाषायी संस्थाओं में भी इस प्रकार की नियुक्तियां नहीं की गई है। किन्तु वर्तमान सचिव द्वारा दोनों संस्थाओं में यह नियुक्तियां की गई है एवं की जा रही है। उ०प्र० उर्दू अकादमी के नियन्त्रणाधीन कार्यरत उर्दू I.A.S स्टडी सेण्टर में एक लाइब्रेरियन व एक कोआडिनेटर की नियुक्ति की गई है। जबकि सेण्टर से सम्बंधित अभिलेखों में लाइब्रेरियन का कोई पद उपलब्ध है ही नही/और पिछले दस वर्षों से इस पद की कोई आवश्यकता भी प्रतीत नहीं हुई। किन्तु नियुक्ति के साथ स्वयं अपने स्तर से पद तैयार करने का साहस भी दिखाया गया।

उर्दू अकादमी में एक कर्मचारी आडिटोरियम में रखा गया,एक कर्मचारी मीडिया सेण्टर में रखा गया, एक कर्मचारी अकादमी कार्यों हेतु कम्प्यूटर रूम में रखा गया कद सारे कर्मचारी अलग-अलग समय पर आगे-पीछे रखे गये और ड्यूटी पर दिखाई भी दे रहे है। इस कार्य में दूसरी त्रुटि यह है कि मुख्यमंत्री जी द्वारा अभी कार्यकारिणी समिति का गठन नहीं किया गया है। अकादमी नियमावली के अनुसार किसी भी नियुक्ति का अधिकारकार्यकारिणी समिति को है। अन्य किसी को भी यह अधिकार प्राप्त नही है।

6. तीन वर्षों में तीसरी बार उर्दू अकादमी का सचिव नियुक्त:

अंश कालिक या पूर्ण कालिक वर्तमान सचिव को मात्र तीन वर्षों में तीसरी बार उर्दू अकादमी का सचिव नियुक्त कर अतिरिक्त चार्ज दिया गया किन्तु वर्तमान सचिव प्रातः से रात्रि तक केवल उर्दू अकादमी में ही बने रखते है। सचिवालय में इनके मूल पद का कार्य कैसे होता है यह विशेष ध्यान दिये जाने की बात है। कर्मचारियों को देर तक रोके रखा जाता है। छुटिटयों में कार्यालय खुलवाया जाता है।


7. इनको पूर्व में दो बार हटाया गया क्यो?

वर्तमान सचिव को पूर्व में दो बार हटाया भी जा चुका है पूर्व में भी इनकी कार्यशैली इनकी गतिविधियों इनका व्यवहार एवं आचरण, इनकी मनमानी, अत्यंत आपत्ती जनक रही थी। कर्मचारियों का उत्पीड़न विशेषकर महिला कर्मचारियों का उत्पीडन तो इनका प्रिय हथियार रहा है। कर्मचारियों का आपस में मनमुटाव करवाना फूट डलवाना, लड़वाना, क्षति पहुंचाना आदि इनकी प्राथमिकता रही थी जो वर्तमान में भी उसी प्रकार जारी है। पूर्व में जिन कर्मचारियों से अनुचित कार्योंमें सहयोग नहीं मिला था या किसी कर्मचारी के विरूद्ध इनके कान भरे जाते है तो बिना किसी छानबीन के उस कर्मचारी की शामत आ जाना पक्का है।

यदि वह रिटायर भी हो गया है तो उसकी पेंशन रोक दी जायगी, स्टडी सेण्टर मोहान रोड पारा भेज दिया जायगा या फिर उसे नौकरी से ही निकाल बाहर कर दिया जायगा जबकि हम लोग अपने समस्त कार्य पूरी मेहन्त ईमानदारी एवं लगन से करते हे। वर्तमान सचिव के अतिरिक्त किसी भी अन्य चेयरमैन, सचिव या कार्यकारिणी सदस्यों को कोई समस्या आपत्ती नही हुई उनके अन्दर बदले की भावना जागृत नही हुई शायद इसलिये कि वे नियमानुसार एवं ईमानदारी से कार्य करते है व करना चाहते है। उनका ध्यान केवल एक ही प्रकार के अनुचित लाभ वाले कार्यों पर नहीं होता। चेयरमैन अकादमी द्वारा स्वीकृत युटूब के संचालन का कार्य मीडिया कोआडिनेटर से लेकर अपने साथियों को दे दिया गया।

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