Raghuraj Pratap Singh: राजा भइया ने इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दायर मुकदमा लिया वापस, सियासी गलियारों में सपा से नजदीकी की चर्चा
Raghuraj Pratap Singh: कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने समाजवादी पार्टी के विधायक इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दायर किया गया मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया है।
Raghuraj Pratap Singh: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने समाजवादी पार्टी के विधायक इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दायर किया गया मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया है। राजा भइया के इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दायर मुकदमा वापस लेने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गयी है कि कुंडा विधायक की समाजवादी पार्टी से नजदीकियां फिर बढ़ने लगी हैं।
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक इंद्रजीत सरोज ने मंच से रघुराज प्रताप सिंह के करारा हमला बोला था। इंद्रजीत सरोज ने राजा भइया पर मंच से लोगों को संबोधित करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद राजा भइया ने विधायक इंद्रजीत सरोज पर पांच करोड़ रुपए का मानहानि का दावा किया था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था। लेकिन समय के साथ दोनों नेताओं के बीच की दूरियां नजदीकियों में बदलने लगी। इस नजदीकी का प्रमाण तब देखने को मिला। जब साल 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने कौशांबी सीट से इंद्रजीत सरोज के पुत्र पुष्पेंद्र को मैदान में उतारा। तब इंद्रजीत ने अपने पुत्र के साथ राजा भइया से भेंट की।
इस मुलाकात का सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला। पुष्पेंद्र सरोज ने भाजपा के दो बार के सांसद को कौशांबी सीट पर मात दे दी। इसके घटनाक्रम के बाद दोनों नेताओं के बीच संबंध मधुर हो गये। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह ने साल 2019 में इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दायर किया गया मानहानि का मुकदमा वापस ले लिया है। राजा भइया के मुकदमा वापस लेने के बाद सपा विधायक इंद्रजीत सरोज ने उनका आभार जताया है।
उन्होंने कहा कि 2019 में हम एक-दूसरे के विपक्ष में थे। इसलिए शब्दों के वार हुए थे। लेकिन अब हम दोनों के बीच की दूरियां मिट गयी हैं। राजा भइया ने मुकदमा वापस ले लिया है जिसके लिए उनका आभार है। उन्होंने राजा भइया की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब वह 61 साल को हो गये है। उनके पुत्र का चुनाव के दौरान कुंडा विधायक राजा भइया ने भरपूर सहयोग किया। जिसके चलते उनके पुत्र ने कौशांबी सीट से लगभग एक लाख मतों से जीत दर्ज की।