Lucknow News: सनातन का मतलब मनुष्य की भलाई है, विभेद उन लोगों ने पैदा किया जो अल्प ज्ञानी थे-कौशल किशोर

Lucknow News: सामाजिक समरता के अखिल भारतीय संयोजक के. श्याम प्रसाद ने कहा कि जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए सामाजिक समरसता मंच कटिबद्ध है। समाज में वैचारिक भिन्नता होना स्वाभाविक है। लेकिन झगड़ा जरूरी नही।

Update:2023-08-26 19:50 IST
samanata ke prateek buddh aur vivekanand book Release program organized at Paryatan Bhavan

Lucknow News: पर्यटन भवन में आयोजित "समानता के प्रतीक बुद्ध और विवेकानंद" पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आए आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि विवेकानंद समानता के प्रतीक हैं। हमें विसंगति के कारणों को समझना होगा। बुद्ध अपने विचारों से उदार थे। यही कारण है कि उन्होंने समाज में भेदभाव को खत्म कर समानता स्थापित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सनातन आया। सनातन का मतलब मनुष्य की भलाई है। विभेद उन लोगों ने पैदा किया जो अल्प ज्ञानी थे। उन्होंने कहा कि हम सब अपने इष्ट की पूजा तो करते हैं लेकिन उनके विचारों को नहीं मानते। हम जिसे मानते हैं उनके विचारों को भी आत्मसात करना चाहिए। आज के समय मे बुद्ध और विवेकानंद होते तो किन बातों को लेकर विचार कर रहे होते। इसपर हमें भी विचार करना होगा। दलित का मतलब दलन करने वाला होता है, यानी लोगों को दबाने वाला। लेकिन समय के साथ अर्थ बदलता जा रहा है। हम एक नही हो पा रहे इसका प्रमुख कारण जातीय विसंगति और आर्थिक विसंगति है।

उन्होंने कहा कि सनातनी एकता को लाने के लिए जाति सूचक शब्द हटाने होंगे। यही कारण है कि विवेकानंद और भगवान बुद्ध ने अपने नाम से जाति को हटा दिया था। आरएसएस ने भी जाति सूचक शब्द पर पाबंदी लगा दी है। हम जाति नही समाज की स्थापना करना चाहते हैं। जहां आर्थिक विसंगति है वहां जाति विसंगत खत्म हो जाती है। दोनो विसंगति (जातिगत विसंगति और आर्थिक विसंगति) को खत्म कर समाज में समरसता लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में विशेष सम्प्रदाय के लोगों ने महिलाओं को ड्रग्स खिलाकर उनके साथ जो चाहा किया। 25 से ज्यादा लड़कियां प्रेग्नेंट हो गईं। हमें ऐसे लोगों से बचना होगा जो सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने कार्यकाल में सामाजिक और आर्थिक विषमता कम करने का काम किया है।

समाज मे वैचारिक भिन्नता होना स्वाभाविक है, लेकिन झगड़ा जरूरी नही

सामाजिक समरता के अखिल भारतीय संयोजक के. श्याम प्रसाद ने कहा कि जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए सामाजिक समरसता मंच कटिबद्ध है। समाज मे वैचारिक भिन्नता होना स्वाभाविक है। लेकिन झगड़ा जरूरी नही। यहां पर कुछ लोग राम के भक्त हैं तो कुुछ लोग शिव जी के। यह उनकी वैचारिक स्वतंत्रता है। इस विचार को किसी पर जबरन नहीं थोपा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए भगवान बुद्ध और विवेकानद के विचार को आगे लेकर चलन ही होगा।

हिन्दू में हिंदुत्व के साथ-साथ समरसता का भाव होना अत्यावश्यक है

कार्यक्रम के अध्यक्ष और संघ के सह क्षेत्र संचालक (पूर्वी उत्तर प्रदेश) राजकुमार वर्मा ने कहा कि समाज बटा हुआ प्रतीत हो रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भावना सामाजिक समरसता को बनाना है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद और भगवान बुद्ध दोनो नें समाज मे ऊंच-नीच की भावना को समाप्त करने का प्रयास किया। एक को हमारा समाज भगवान मानता है और एक को महात्मा। मेरा कहना है दोनों को मानो। किसी के विचारों का खंडन करने से सशक्त हिन्दू संगठन नही खड़ा हो सकता। हिन्दू में हिंदुत्व के साथ-साथ समरसता का भाव होना अत्यावश्यक है।

विवेकानंद जी और भगवान बुद्ध दोनों ने धर्म को विज्ञान की कसौटी पर तौला

कार्यक्रम के अंत में आईआरएस अधिकारी पंकज नें पुस्तक समीक्षा करते हुए कहा कि विवेकानंद जी और भगवान बुद्ध दोनो ने धर्म को वैज्ञानिक आधार पर माना। उनका मानना था कि किसी चीज को इस आधार पर न माने कि वह सालों से चली आ रही है। धर्म ने सामाज को नया दृष्टिकोण दिया। केवल भाषण से हम समानता नही ला सकते हैं। इसके लिए हमें उनके विचारों को भी आत्मसात करना होगा। बता दें कि विवेकानंद और भगवान बुद्ध के विचारों पर आधारित हिन्दी की यह पहली पुस्तक है। इससे पहले यह तेलुगू और अंग्रेजी में छप चुकी है।

कार्यक्रम में ये मौजूद रहे

इस अवसर पर सामाजिक समरसता विभाग अवध प्रान्त के प्रमुख राज किशोर, प्रोफेसर चंद्रकांता माथुर, सामाजिक समरसता के प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य बृजनंदन राजू, प्रांत संयोजक ओमप्रकाश सिंह, सह प्रान्त संयोजक राम नरेश, पवन श्रीवास्तव, सुभाष अग्रवाल प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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