Lucknow University: एलयू के छात्रों ने किया वृक्षारोपण, योग सेमिनार का हुआ आयोजन

Lucknow University: सेमिनार के मुख्य वक्ता योगाचार्य राजेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि पाचन संस्थान शरीर की क्रियात्मक इकाई है। इसलिए इसका स्वस्थ्य रहना अनिवार्य है। पाचन संस्थान के रोगों के लिये प्रबंधन के लिए सन्तुलित आहार, आदर्श जीवनशैली के साथ वज्रासन, पवनमुक्तासन, मयूरसान, तथा प्राणायाम में नाड़ी शोधन, कपालभाति प्रमुख है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-06-05 19:00 IST

Lucknow University: लखनऊ विश्विद्यालय की ओर से 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024 के मद्देनजर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में छात्रों में विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर वज्रासन का अभ्यास किया। इसके साथ छात्रों द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया। 

छात्रों ने किया वज्रासन का अभ्यास

फैकल्टी ऑफ़ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन की ओर से बुधवार को अलीगंज स्थित नेहरू बाल वाटिका वृक्षारोपण किया गया। छात्रों ने वज्रासन का भी अभ्यास किया। विश्व पर्यावरण दिवस पर अलीगंज के नगरीय सामुदायिक केंद्र, खाद्य औषधि प्रसाधन के प्रांगण और जानकीपुरम स्थित लखनऊ विश्विद्यालय के द्वितीय परिसर में भी वृक्षारोपण किया गया। वृक्षारोपण में योग फैकल्टी की कई छात्राओं ने प्रतिभाग किया। जिसमें रोमा हेमवानी, मोनिका सिंह, अनामिका चौधरी, पूर्णिमा सरकार, सविता रंजन,प्रीति मनुज, अर्चना वर्मा, नम्रता मिश्रा, मधु त्रिपाठी, व्याख्या सिंह, स्वेतालिका नायक, पीयूष तिवारी, वर्षा, प्रतीक केसरवनी, प्रिया मिश्रा, आयुष शर्मा और आशा राजवंशी शामिल रही। इस अवसर पर अधिष्ठाता अशोक कुमार सोनकर कॉर्डिनेटर डॉ.अमरजीत यादव तथा विभाग के शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे ।


 पाचन स्वस्थ्य रखने में योग सहायक 

एलयू के योग फैकल्टी स्थित योग हॉल में 'पाचन संस्थान के रोगों में योग की भूमिका' विषयक सेमिनार का भी आयोजन किया गया। सेमिनार के मुख्य वक्ता योगाचार्य राजेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि पाचन संस्थान शरीर की क्रियात्मक इकाई है। इसलिए इसका स्वस्थ्य रहना अनिवार्य है। पाचन संस्थान के रोगों के लिये प्रबंधन के लिए सन्तुलित आहार, आदर्श जीवनशैली के साथ वज्रासन, पवनमुक्तासन, मयूरसान, तथा प्राणायाम में नाड़ी शोधन, कपालभाति प्रमुख है। उन्होंने कहा कि प्रकृति एक बहुत बड़ी चिकित्सक है। जिस मौसम में जो बीमारियाँ होने वाली होती है। प्रकृति उस मौसम की बीमारियों का उपचार उस मौसम में होने वाली सब्ज़ियों और फल में भेज देती है। अतः मौसमी फल और सब्ज़ियों का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।



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