Lucknow University: बक्करवाल, गुज्जरवाल जैसी जनजातियों का अध्ययन करेंगे छात्र, कश्मीर जाकर इकट्ठा करेंगे जानकारी

प्रो. केया पांडेय के अनुसार जम्मू कश्मीर की कुछ जनजातियां आज विलुप्त होने की ओर अग्रसर हैं। विभाग के परास्नातक पाठ्यक्रम के विद्यार्थी कंपलसरी पेपर के अंतर्गत इस विषय पर अध्ययन करेंगे। उन्होंने बताया कि एमए और एमएससी चौथे सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं कश्मीर जाकर जनजातियों के बारे में अध्ययन करने के लिए कश्मीर जाएंगे।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-03-29 12:30 GMT

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र विलुप्त हो रही जनजातियों का अध्ययन करने के लिए जम्मू कश्मीर जाएंगे। इस दौरान एलयू के विद्यार्थी क्षेत्र में भ्रमण करते हुए घुमंतू और विलुप्त हो रही जनजातियों का डाटा एकत्रित करेंगे। जिससे इस विषय पर आगे विस्तृत रुप से अध्ययन किया जा सके।

विलुप्त हो रही जनजातियों का अध्ययन करेंगे विद्यार्थी

एलयू के मानवशास्त्र विभाग के छात्र-छात्राएं जम्मू कश्मीर जाकर इन जनजातियों की जानकारी इकट्ठा करेंगे। विभाग के परास्नातक छात्रों को इस यात्रा में जाएंगे। मानवशास्त्र विभाग के विद्यार्थियों का एक दल विलुप्त हो रही जनजातियों के बारे में अध्ययन करेगा। जम्मू कश्मीर से धीरे-धीरे विलुप्त हो रही बक्करबाल, गुज्जरवाल, सिप्पी जैसी जनजातियों की संस्कृति के बारे में छात्रों को जानने का मौका मिलेगा। इन घुमंतू जनजातियों के अध्ययन से रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

जनजातियों के रहन-सहन के बारे में जानेंगे छात्र

मानवशास्त्र विभाग का दल अगले महीने कश्मीर के लिए निकलेगा। दल में शामिल छात्र जनजातियों की सामाजिक और सांस्कृतिक पक्षों के बारे में जान सकेंगे। इसके साथ ही विद्यार्थी उनके रहन-सहन और देवी-देवताओं के बारे में जानेंगे। छात्र इन जानजातियों की प्रचलित कहानियों का भी अध्ययन करेंगे। यह सभी जानकारी इकट्ठा कर छात्र रिपोर्ट तैयार करेंगे।

200 अंकों का पेपर होगा

मानवशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो. केया पांडेय के अनुसार जम्मू कश्मीर की कुछ जनजातियां आज विलुप्त होने की ओर अग्रसर हैं। विभाग के परास्नातक पाठ्यक्रम के विद्यार्थी कंपलसरी पेपर के अंतर्गत इस विषय पर अध्ययन करेंगे। उन्होंने बताया कि एमए और एमएससी चौथे सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं कश्मीर जाकर जनजातियों के बारे में अध्ययन करने के लिए कश्मीर जाएंगे। यह अनिवार्य पेपर दो सौ अंकों का निर्धारित किया गया है। जानकारी के मुताबिक अप्रैल माह के आखिर या मई की शुरुआत में एलयू के छात्र इस अध्ययन के लिए कश्मीर जा सकते हैं।

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