Lucknow News: 'किताब उत्सव में 'उदासी कोई भाव नहीं है' कविता संग्रह का हुआ विमोचन

Lucknow : एक तरफ जहां माहौल डिजिटल होता जा रहा है वही दूसरी तरफ जो लेखक है वह अपना काम निरंतर कर रहे हैं ऐसे में आज एक किताब का विमोचन हुआ जिसका नाम है "उदासी कोई भाव नहीं है।

Newstrack :  Network
Update:2024-01-13 20:13 IST

Kitab Utsav (Photo: Social Media)

Lucknow News: राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा लखनऊ स्थित अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित 'किताब उत्सव' के दूसरे दिन का पहला और दूसरा सत्र आधुनिक अवधी कविता विषय पर केंद्रित रहा। तीसरे सत्र में राजकुमार सिंह के कविता संग्रह 'उदासी कोई भाव नहीं है' का लोकार्पण हुआ।

आधुनिक दौर में एक तरफ लोग जहां डिजिटल दुनिया की तरफ़ रुख कर रहे तो वहीं, दूसरी तरफ लेखक अभी भी अपनी रचनाओं से लोगों को किताबों से जोड़े हुये हैं। इसी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजकुमार द्वारा लिखी गई कविता "उदासी कोई भाव नहीं है"। इस कविता संग्रह में लेखक ने जीवन से जुड़ी कई भावनाओं को शब्दों में पिरोहा है। इससे पहले भी राजकुमार सिंह द्वारा रचित गजल संग्रह ‘हर किस्सा अधूरा’ को भी लोगों ने खूब पसंद किया।

किताब उत्सव के दूसरे दिन के लोकार्पण सत्र में दैनिक जागरण के उत्तर प्रदेश के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल और नवभारत टाइम्स, लखनऊ के संपादक मो. नदीम उपस्थित रहे। सत्र के शुरुआत में राजकुमार सिंह ने अपने लेखन प्रक्रिया पर बात की। उन्होंने कहा कि यह कविताएं दिल से लिखी गई हैं और पूरी ईमानदारी से लिखी गई हैं।

सत्र के पहले वक्ता मो. नदीम जी ने कहा कि जो कल्पना शील होता है, वही कवि होता है। हजार शब्दों का लेख नहीं, एक छोटी सी कविता आपके दिलों पर असर कर जाती है। उदासी कोई भाव नहीं एक संवेदनशील कवि ही लिख सकता है। अगले वक्ता और दैनिक जागरण के राज्य स्तरीय संपादक आशुतोष शुक्ल जी ने कहा कि मैं कवि को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता हूं। कविता लिखी नहीं जाती, वह अपने आप उतरती है। राजकुमार सिंह का कविता संग्रह राजकमल प्रकाशन से छप कर आया है, यह हम सबके लिए गर्व की बात है। पुस्तक का कलेवर बहुत सुंदर है। सत्र के अंतिम में राजकुमार सिंह ने अपने नए कविता संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा भी शामिल हुए। वहीं कार्यक्रम का संचालन अरुण कुमार ने किया।

किताब उत्सव के दूसरे दिन का चौथा सत्र 'पोस्ट ट्रुथ का दौर' विषय पर केंद्रित रहा। इस सत्र में वरिष्ठ पत्रकार नसीरुद्दीन हैदर खान, नवीन जोशी और नागेंद्र मौजूद रहे। पोस्ट ट्रुथ के दौर में जितने भी अकरणीय कार्य दे वह सभी होने लगे। नागेंद्र ने कहा कि सोशल मीडिया हाथ का खिलौना है। उन्होंने कहा कि जो भी विश्वसनीयता बची है वह अखबारों में ही है। हम हर उस चीज पर भरोसा करने लगे हैं जो हमें पीछे धकेलती है। नसीरुद्दीन हैदर खान ने कहा कि सोशल मीडिया बे आवाजों की आवाज है। सच झूठ के बराबर नहीं फैलता। जबतक किसी खबर के पीछे का सच पता चलता है तबतक झूठ बहुत नुकसान कर चुका होता है। पोस्ट ट्रुथ विशुद्ध राजनीतिक विचार के लिए यहां प्रसारित किया गया। 

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