Lucknow News : 'रामभद्राचार्य की उपस्थिति में हो अस्थियों का विसर्जन', इस्लाम छोड़ हिन्दू बने वसीम की वसीयत, जानें और क्या लिखा?
Lucknow News : अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहे ने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने एक बार फिर कुछ ऐसा कह दिया है, जिससे वह चर्चा का विषय बन गए हैं।
Lucknow News : अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहे ने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने एक बार फिर कुछ ऐसा कह दिया है, जिससे वह चर्चा का विषय बन गए हैं। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा ज़ाहिर करते हुए अपना वसीयत नामा सार्वजनिक कर दिया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि मेरी मृत्यु के बाद मुझे इस्लामिक क़ब्रिस्तान में न दफ़नाया जाये, बल्कि मेरा अंतिम संस्कार सनातन रीति-रिवाज के अनुसार किया जाए।
उनका वसीयत नामा यहीं ख़त्म नहीं होता है, उन्होंने आगे लिखा कि मैं इस्लाम धर्म में पैदा हुआ और मेरा नाम सैयद वसीम रिजवी था, मैंने इस्लामी सिद्धांतों को नकारते हुए वर्ष 2021 में सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है। वर्तमान में हमें सेंगर राजपूत परिवार ने पुत्र मानते हुए गोद लिया है, जिसके कारण अब मेरा नाम ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर है। मैं नहीं चाहता कि मेरे मरने के बाद मेरे शव को किसी कब्रिस्तान में दफना दिया जाए, बल्कि मेरे मरने के बाद मेरी चिता बननी चाहिए और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार मेरा अंतिम सस्कार किया जाए।
मुखाग्नि के लिए दिए तीन नाम
वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने अपने वसीयत नामे में अपनी चिता को मुखाग्नि देने वाले 3 लोगों के नाम का भी सुझाव दिया है। उन्होंने मुखाग्नि देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक मिहिरजध्वज, उत्तराखंड निवासी हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभात कुमार सेंगर और पत्रकार हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर का नाम मुखाग्नि देने के लिए प्रस्तावित किया है। आखिर में उन्होंने अपने वसीयतनामे में लिखा है कि मेरी अंतिम इच्छा है कि मेरी अस्थियों को जगतगुरु राम भद्राचार्य की उपस्थिति में गंगा में प्रवाहित कर दिया जाए।